मंजू बिष्ट

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यत्र नार्यस्तु पुज्यन्ते रम्न्ते तत्र देवता : का उधगोश करने वाली हमारी भारतीय संस्कृतित मे प्राचीन काल से ही स्त्रियो को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। गार्मी, लोपामुद्रा, जीजाबाई, लक्ष्मीबाई, सरोजनी नायडू, इंद्रा गाँधी जैसे स्वानामन्ध्य विभूतियो को आज कौन नही जानता है। बात चाहे शिक्षा की हो, राजनीति, कला या फिर खेलो की हो आज भारतीय नारी हर क्षेत्र मे पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर देश के विकास मे अपनी महत्वपूर्ण बुमिका निभा रही है। आज पी॰टी॰ उषा, साईनी विलसन, करणम मलेश्वरी जेसे अनगिनत खेल प्रतिभाओ ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने महाकाव्य प्रदर्शन से हर भारतीय का माथा गर्व से उँचा कर रखा है। देवभूमि उत्तराखंड की पुण्य धरती ने भी ऐसी ही अनेक खेल प्रतिभाओ को जनम दिया है, जीनो ने देश तथा विदेश मे भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा अर्जित कर अपनी माटी के नाम देवभूमि को ध्न्य किया है। ऐसी ही एक खेल प्रहतिभा है मंजू बिष्ट।


बचपन[संपादित करें]

पर्वतराज हिमालय की तलहटी और हिन्दुऊओ के पवित्रम तिरथ्स्थल एव भगवान शंकर की निवास स्थली कैलाश मानसरोवर को जाने वाले पवित्र मार्ग मे एक पहाड़ी पर बसा कस्बा है कनालीछिनआ जहा के उमरी गांव मे 3 नवम्बर 1964 को श्रीमान एस.बिष्ट जी के घर पर एक कन्या रत्न का जानम हुवा, जिसका नाम उन्होने मंजू रखा |मंजू के पिता रेलवे मे एक सुरक्षा अधिकारी के पद पर कार्यकरत थे | माता श्रीमती माया बिष्ट एक सुहयोगय ग्रहणी है | जिन्होंने अपनी चारो बेटीयों क्रमश: पुष्पा, मंजू, बिना और पूनम का लालन-पालन बड़ी सूझ-बुझ के साथ किया | अपनी पुत्रियो विशेषकर पुष्पा और मंजू पढ़ाई के साथ-साथ उनकी खेल रूचि को देखते हुवे, उन्हे इसके लिए प्रोत्साहन दिया | इसी का परिणाम था की पुष्पा और मंजू ने हॉकी खेलते हुवे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुकमो को छुआ | यो तो मंजू की रूचि बॅस्केटबॉल, लंबी दौड़, तैराकी और हॉकी मे रही पर आतंत: उन्होने हॉकी को अपना प्रहमुख खेल बना लिया | उनके इस खेल को निखारने मे उनकी आदर्ज और उनकी बढ़ी बहेन पुष्पा, जो हॉकी की राष्ट्रीय स्तर की गोलकी भी रही थी, का बहुत बड़ा योगदान रहा | उन्ही से मंजू ने इस खेल की बरीकियो को समझा।

शिक्षा[संपादित करें]

प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा पिथौरागढ़ मे प्राप्त के उपरांत मंजू हाइ-स्कूल की शिक्षा लेने के लिए अपने पिता के साथ बरेली चली गयी | हाइ-स्कूल परीक्षा पास करने के उपरांत उन्हो ने लखनऊ के के.डी.सिंह बाबू छात्रवास मे प्रवेश लिया और हॉकी कोचिंग प्राप्त करने के साथ-साथ इंटरमीडियेट तथा स्नातक की परीक्षाये पास की | डी.सिंह बाबू स्टेडियम मे मंजू के गुरु अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी श्री जमन लाल शर्मा के कुशल निर्देशन मे मंजू का खेल प्रतिदिन नई उँचाईयो को छूता गया | लखनऊ विश्वविद्यालय की टीम को प्रधानमंत्री श्री पी. वी.नरसिमहा राव एव राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा भी सामानित किया गया है |

वैवाहिक जीवन[संपादित करें]

मंजू बिष्ट, लम्बे समय तक भारत महिला हॉकी टीम की सदस्य थी | आज कल वह रेलवे बोर्ड गोरखपुर मे नौकरी के साथ-साथ स्पारिवार सुखद जीवन व्यतीत कर रही है | विवाह भी सोभाग्य से ऐसे परिवार मे हुआ जिसमे खेलो के प्रति गहरी रूचि थी | पति सुनील बिष्ट क्रीड़ा पथ के सुयोग्य रही है एव ससुर प्रेम सिंह बिष्ट अपने समय के अच्छे निशानेबाज़ो मे गिने जाते थे| मंजू की दो संताने है बड़ा पुत्र तन्मय और छोटी बिटिया रूउपली है | अपने गुरु को सर्वोच्च स्थान देने वाली मंजू का न्ये खिलाड़िओ को ये संदेश है की ``कोई भी कार्य मुश्किल नही है बस आपमे परिश्रम करने की छमता हो और इरादे मजबूत हो | " राष्ट्रीयकवि मतिलिसरण गुप्त की इन पंक्तियों को अक्सर गुनगुनया करती है और ये पंक्तिया उनकी प्रेरणास्रोत भी थी - दुख सोक जो कुछ आ पड़े, धेर्य पूर्वक सब सहो | होगी सफलता क्यो नही, कर्तव्य पथ पर दृढ़ रहो ||

मंजू बिष्ट द्वारा खेली गयी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओ पर एक नज़र


  1. 1982 - दोहाद मे आयोजित इंटर रेलवे चैंपियनशिप मे उत्तर रेलवे महिला हॉकी टीम की ओर से प्रतिनिधित्व कर रजत पदक |
  2. 1983 - गोरखपुर मे आयोजित इंटर रेलवे चैंपियनशिप मे उत्तर रेलवे महिला हॉकी टीम की ओर से प्रतिनिधित्व किया और दूसरे स्थान |
  3. 1983 - मॉस्को मे आयोजित भारत-सोवियट संघ हॉकी अभ्यास टूर्नामेंट मे भारत का प्रतिनिधित्व |
  4. 1985 - राँची मे आयोजित अंतर्रैलवे हॉकी चैंपियनशिप मे उत्तर रेलवे महिला टीम की और से प्रतिनिधित्व कर तृीत्या स्थान |
  5. 1985 - गोरखपुर मे आयोजित अंतर्रैलवे हॉकी चैंपियनशिप मे उत्तर रेलवे महिला टीम की और से प्रतिनिधित्व किया और दूसरा स्थान |
  6. 1985 - बैंगलोर मे आयोजित राष्ट्रीय हॉकी चैंपियनशिप मे भारतीय रेलवे महिला हॉकी टीम की ओर से प्रतिनिधित्व कर प्रथम स्थान |
  7. 1985 - अर्जेंटीना मे आयोजित अंतरमहाद्वीप हॉकी टूर्नामेंट मे भारत का प्रतिनिधित्व किया |
  8. 1986 - मद्रास मे आयोजित अंतर्रैलवे हॉकी चैंपियनशिप मे मे उत्तर रेलवे महिला हॉकी टीम की ओर से प्रतिनिधित्व कर तृीत्या स्थान |
  9. 1986 - उसेक (जापान) मे आयोजित भारत - जापान टेस्ट श्रृंखला मे भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया |
  10. 1986 - एशिया खेल सीओल (कोरीया) हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व कर कांस्य पदक |
  11. 1986 - मास्को (रूस) मे आयोजित भारत - सोवियट संघ टेस्ट श्रृंखला मे भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया |
  12. 1987 - गोरखपुर मे आयोजित अंतर्रैलवे हॉकी चैंपियनशिप मे उत्तर रेलवे महिला टीम की और से प्रतिनिधित्व कर विजयी खिताब जीता |
  13. 1987 - कुरूशेत्र (भारत) मे आयोजित भारत - चीन टेस्ट श्रृंखला मे कप्तान के रूप मे भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया |
  14. 1988 - जबलपुर मे आयोजित मे भारतीय रेलवे महिला हॉकी टीम की और से प्रतिनिधित्व कर प्रथम स्थान प्राप्त किया |

मंजू बिष्ट का खेल जीवन संघर्षमय रहा, उन्होने कठिन परिश्रम से भारतीय रेलवे महिला हॉकी टीम का नाम सदा रोशन किया | भारतीय जनमानस मंजू बिष्ट को उनकी उपलब्धियो के लिए सदा याद करता रहेगा |

[1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. धरोहर