भारत में संगठित अपराध

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भारत में संगठित अपराध का संदर्भ भारत में होने वाले और दुनिया के कई हिस्सों में सक्रिय संगठित अपराध तत्वों से है। माफिया भारत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल है।[1][2] भारतीय माफिया उन शक्तिशाली परिवारों को भी संदर्भित करता है जिनके आपराधिक पहलू हैं।[3]

मुम्बई केन्द्रित संगठित अपराध[संपादित करें]

मुंबई के भूमिगत अपराधियों (अंडरवर्ल्ड) में अबतक ऐसे कई डॉन हुए हैं जिनके खूनी किस्से बहुत चर्चित रहे हैं। भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही 1960-70 तक करीम लाला, वरदराजन मुदलियार और हाजी मस्तान नाम के तीन डॉनों का मुंबई अंडरवर्ल्ड पर सिक्का चलता था। तीनों के इलाके बंटे हुए थे और ये एक-दूसरे के काम में टांग नहीं अड़ाते थे। इसलिए तब तक अंडरवर्ल्ड में खून-खराबा नहीं हुआ करता था, पर दाऊद इब्राहिम के आने के बाद यह स्थिति बदल गयी।

हाजी मस्तान[संपादित करें]

मुंबई अंडरवर्ल्ड को एक नई पहचान देने और ग्लैमर को अंडरवर्ल्ड के साथ लाकर खड़ा करने वाला बाहुबली माफिया तस्कर हाजी मस्तान मुंबई का पहला अंडरवर्ल्ड डॉन माना जाता है। उसका जन्म तमिलनाडु के कुड्डलोर में 1 मार्च 1926 को हुआ था। हाजी ने स्मगलिंग के जरिए खूब पैसा कमाया। 1970 के दशक तक मस्तान मुंबई में अपना साम्राज्य स्थापित कर चुका था। उसने ही वरदराजन मुदलियार उर्फ़ वर्धा और माफिया डॉन करीम लाला को आगे बढ़ाया और मुंबई में अपने धंधे को दोनों के बीच बांट दिया। तमिल होने के कारण वर्धा और हाजी के बीच काफी अच्छे सम्बन्ध थे। कुछ समय बाद ही वर्धा वापस चेन्नई चला गया। कहा जाता है कि हाजी मस्तान और इन्दिरा गांधी के बड़े अच्छे रिस्ते थे।[4]

मस्तान जैसा बनना चाहता था, वह उससे ज्यादा ही बन चुका था। अब वो अमीर भी था और ताकतवर भी। मस्तान को सफेद डिजाइनर सूट पहनने और मर्सिडीज की सवारी करने का बहुत शौक था। उसके हाथ में हमेशा विदेशी सिगरेट और सिगार दिखाई देते थे। ऐशोआराम उसकी जिंदगी का इकलौता शगल बन गया था।

करीम लाला[संपादित करें]

करीम लाला पठान था और अफगानिस्तान के कुनार प्रान्त में 1911 में पैदा हुआ था। मुंबई के तस्करी समेत कई गैर-कानूनी धंधों में उसके नाम की तूती बोलती थी। उसका प्रभाव इसी से पता चलता है कि खुद हाजी मस्तान उसे असली डॉन कहा करता था। 21 वर्ष उम्र में करीम पेशावर के रास्ते मुंबई पहुंचा और यहां पर उसने अपना धंधा शुरू किया। 1940 तक वो तस्करी के काम में जम चुका था। फिर उसने जुएं और दारू के अड्डे भी कई जगह खोल लिए।

इसी समय वरदराजन मुदलियार और हाजी मस्तान भी सक्रिय थे पर तीनों के इलाके बंटे हुए थे। इसलिए खून-खराबा नहीं होता था।

वरदराजन मुदलियार[संपादित करें]

वरदराजन मुदालियर 1926 में मद्रास प्रेसीडेन्सी थूटुकुडी में पैदा हुआ था और जल्द से जल्द अमीर बनना चाहता था। छोटी-मोटी नौकरी करने के बाद वह 1960 के दशक में 34 साल की उम्र में वह मुंबई चला आया और वीटी स्टेशन पर कुली का काम करना शुरू कर दिया। वहीं वो अवैध शराब के कारोबार से जुड़ा। उन दिनों मुंबई में हाजी मस्तान और करीम लाला का राज चलता था। वरदराजन तब गुर्गा था लेकिन कुछ ही समय बाद उसने खुद का धंधा शुरू कर दिया। वरदराजन कारोबार बढ़ाना चाहता था, जिसके लिए वो हाजी मस्तान से मिला. हाजी वरदराजन से प्रभावित हुआ और दोनों साथ आ गए। इसी दौरान हाजी मस्तान ने उसे करीम लाला से भी मिलवा दिया। कुछ ही सालों में वह मुंबई में स्थापित हो गया। हत्या की सुपारी लेने से लेकर जमीन खाली कराने और ड्रग्स की तस्करी करने जैसे मामलों में मुदालियर शामिल था।

हाजी मस्तान ने पूर्व और उत्तरी मध्य मुंबई की जिम्मेदारी वरदराजन मुदालियर को दे दी जबकि दक्षिण और मध्य मुंबई का सारा काम करीम लाला संभालने लगा। मुंबई में रहने वाले तमिल समुदाय के लोग उसे मसीहा मानते थे। वह भी अपने लोगों के लिए पूरी तरह समर्पित था। सब इनके हिसाब से चल रहा था लेकिन अस्सी के दशक में एक तेजतर्रार पुलिस अधिकारी के कारण वह मुंबई छोड़कर वापस चेन्नई चला गया। 2 जनवरी 1988 को चेन्नई में माफिया वरदराजन मुदालियर की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।

दाऊद इब्राहीम[संपादित करें]

भारत के सबसे बड़े अपराधियों की लिस्ट में दाऊद का नाम सबसे ऊपर है। दाऊद 1993 के मुंबई अटैक का मुख्य मास्टरमाइंड था। कहा जाता है कि दाऊद कई आतंकी संगठनों का भी करीबी है और पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी ISI का उसे संरक्षण मिला हुआ है। दाऊद की बेटी की शादी पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद के बेटे से हुई है।

दाऊद इब्राहीम के पिता मुंबई पुलिस में हेड कांस्टेबल थे। उसने अपने भाई शब्बीर के साथ मिलकर तस्करी का धंधा शुरू किया। दाऊद के इस धंधे में आने के चलते करीम लाला के काम में दखल पड़ने लगा और करीम लाला ने इसी झगड़े में 1981 में दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या करवा दी। इसके बाद दाऊद के गैंग और करीम लाला के पठानी गैंग के बीच खूनी गैंगवार शुरू हो गया।

1986 में दाऊद के साथियों ने करीम लाला के भाई रहीम खान का कत्ल कर दिया जिसने कभी अंडरवर्ल्ड पर राज करने वाला करीम लाला को तोड़कर रख दिया। इसके बाद उसने दाऊद से दोस्ती कर ली और अपराध की दुनिया को छोड़ दिया। 1980 में वरदराजन ने जुर्म की दुनिया को अलविदा कह चुका था। इससे पहले 1977 में जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन से प्रभावित होकर हाजी मस्तान ने भी अपराध की दुनिया को छोड़कर सियासी दुनिया में कदम रख दिया था। निश्चित ही दाऊद सारी मुंबई में अकेला बड़ा गैंगस्टर बचता था। इनके जाने का उसे बहुत लाभ मिला।

1993 के धमाकों से पहले ही दाऊद मुंबई से दुबई चला गया। धमाकों की वजह से ही दाऊद और छोटा राजन अलग हो गया। छोटा राजन भी मुंबई से मलेशिया चला गया और वहां उसने अपना कारोबार शुरू कर दिया। ऐसे में अभी तक अपेक्षाकृत उतने प्रभावी नहीं रहे, अरुण गवली को अपना प्रभाव बढ़ाने का मौका मिला।

शब्बीर इब्राहिम कास्कर[संपादित करें]

शब्बीर इब्राहिम अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का बड़ा भाई था और इब्राहिम परिवार का सबसे बड़ा बेटा था। शब्बीर और उसके छोटे भाई दाऊद ने ही मिलकर डी कंपनी की शुरुआत की थी। ये दोनों मिल के धंधे को चलाते थे. एक विरोधी गिरोह ने शबीर की वध कर दिया। उसकी मौत ने भारत का सबसे खूनी गैंगवार शुरू किया था जिसमें अगले 10 साल की अवधि में 50 अपराधी और उनके रिश्तेदारों का सफाया हो गया।

अरुण गवली[संपादित करें]

जब सभी अंडरवर्ल्ड डॉन मुंबई छोड़ चुके थे तब जुर्म के मैदान में दो मेन खिलाड़ी बचे थे, अरुण गवली और अमर नाइक। अमर नाइक को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया और उसके भाई अश्विन नाइक को गिरफ्तार कर लिया गया। अब अरुण अकेला ही डॉन बचा था। हमेशा सफेद टोपी और कुर्ता पहनने वाला अरुण मुंबई की दगली चाल में रहता था। दगली चाल को उसने किले का रूप दे दिया था जिसमें 15 फीट के दरवाजे भी थे। गवली के हथियार बंद लोग हमेशा वहां तैनात रहा करते थे। गवली डैडी के नाम से मशहूर था।

एक अनुमान के अनुसार उसके गैंग में लोगों की संख्या 800 थी। मुंबई के कई कारोबारी और बिल्डर कारोबार बढ़ाने में उसकी मदद लिया करते थे। गवली हफ्ता और रंगदारी भी वसूल करता था। गवली को सुपारी किंग भी कहा जाता था। मारपीट और हत्या की घटनाओं को सुपारी लेकर वह अंजाम दिया करता था। पुलिस वालों में भी उसकी अच्छी पैठ थी. यही कारण रहा कि जब उसे पकड़ा गया तो कई पुलिस वाले भी जांच के घेरे में आए।

गवली ने एक दशक में कई दुश्मन जुटा लिए थे और पुलिस भी अब उसपर शिकंजा कसना चाहती थी. ऐसे में उसने बच निकलने का एक रास्ता सूझा, राजनीति में कूदना. उसने 2004 में अखिल भारतीय सेना नाम की एक पार्टी बनाई. और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अपने कई कैंडिडेट उतारे। अरुण को लगता था विधायक बनने के बाद पुलिस उसे नहीं छुएगी पर ऐसा हुआ नहीं। 2008 में उसने शिवसेना के कॉरपोरेटर कमलाकर जामसांडेकर की सुपारी लेकर हत्या कर दी जिसमें उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। उधर गवली जेल गया और इधर पुलिस ने एनकाउंटर अभियान चलाया। गवली का पूरा गैंग मारा गया और अभी गवली अपने गुनाहों की सजा जेल में काट रहा है।

अबु सलेम[संपादित करें]

मुंबई की जेल में बंद अबू सलेम एक अरबपति माफिया डॉन है। सीबीआई और पुलिस रिकार्ड के मुताबिक उसकी कुल संपत्ति 4000 करोड़ रुपये की है जिसमें से 1,000 करोड़ रुपए नकदी और संपत्ति उसकी दोनों पत्नियों समीरा जुमानी और मोनिका बेदी के बीच विभाजित है।

अबू सलेम 1960 के दशक में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में सराय मीर गांव में पैदा हुआ था। पिता की मौत के बाद उसने पढ़ाई छोड़कर एक मैकेनिक के यहां काम करना शुरू कर दिया लेकिन जल्द वह काम के लिए दिल्ली आ गया। यहां उसने मैकेनिक का काम करने के बाद टैक्सी चलाना शुरू किया। आर्थिक स्थिति न सुधर पाने के कारण 80 के दशक में वह मुंबई जाकर टैक्सी चलाने लगा। यहां उसकी मुलाकात दाऊद इब्राहिम के लोगों से हुई जहां उसने डी कंपनी में काम करना शुरू कर दिया। जल्द ही वह गैंग में आगे बढ़ गया।

उसके खिलाफ पहला मामला 1988 में मुंबई के अंधेरी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था लेकिन 1991 में उसे पहली बार गिरफ्तार किया गया। इसके बाद अबू सलेम, दाऊद के गैंग में अपनी खास जगह बना चुका था। इसी दौरान मुंबई में सीरियल ब्लास्ट हुए जिसका इल्जाम दाऊद गैंग के सिर पर था। इसलिए दाऊद इब्राहिम और उसके गैंग ने दुबई में पनाह ली। अबू सलेम भी वहां पहुंच गया और दाऊद के भाई अनीस इब्राहिम के लिए काम करना शुरू कर दिया। अबू सलेम अब एक बड़ा माफिया बन चुका था। रंजिश के कारण 1998 में अबू सलेम दाऊद गैंग से अलग हो गया। बाद में दोनों की दुश्मनी गहरी हो गई.।1997 में बॉलीवुड के निर्माता गुलशन कुमार की हत्या में भी उसका नाम सामने आया था।

भारत में मोस्ट वांटेड बन जाने के बाद सलेम भारत छोड़कर भाग गया था। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर उसे 20 सितम्बर 2002 को उसकी प्रेमिका मोनिका बेदी के साथ इंटरपोल ने लिस्बन, पुर्तगाल में गिरफ्तार कर लिया। 1993 के मुंबई सीरियल बम धमाकों के मामले में अबू सलेम पर विशेष टाडा अदालत ने आठ आरोप दायर किए थे।

बड़ा राजन[संपादित करें]

बड़ा राजन के नाम से मशहूर राजन महादेव नायर 70-80 के दशक में मुंबई का मशहूर डॉन था। मुंबई में चेंबूर के तिलकनगर में पैदा और पले-बढ़े बड़ा राजन ने बचपन से ही जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया। एक फैक्ट्री में काम कर रहे बड़ा राजन ने ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में ब्रैंडेड टाइपराइटर चुराकर चोर बाजार में बेचना शुरु कर दिया। इसी दौरान वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। जेल से छूटने के बाद से ही उसने फिल्म टिकट की ब्लैक मार्केटिंग शुरू कर दी। करीब 17 साल की उम्र में उसकी मुलाकात छोटा राजन से हुई। दोनों ने साथ-साथ ये धंधा करना शुरू कर दिया।

1970-85 के दौरान ब्लैक में टिकट बेचना मुंबई के गैंग्स की इनकम का मुख्य स्रोत था। इसके बाद इन दोनों ने मिलकर एक गैंग बनाया जिसका सर्वेसर्वा बड़ा राजन था। 80 के दशक की शुरुआत में बड़ा राजन मुंबई के स्थापित डॉन वरदराजन मुदलियर के नाम पर अपने काले कारनामों को अंजाम देता था। बड़ा राजन को पहली बार दाऊद इब्राहिम ने अपने बड़े भाई के हत्यारों को मारने की सुपारी दी। अगले दो सालों में बड़ा राजन के कई दुश्मन बन गए इनमें से एक था अब्दुल कुंजू। अब्दुल ने ही बड़ा राजन को कई बार मरवाने की कोशिश की। आखिर में उसने एक ऑटो ड्राइवर, चंद्रशेखर सफालिका को बड़ा राजन की 50 लाख की सुपारी दी जिसने उसकी हत्या कर दी।

छोटा राजन[संपादित करें]

राजेन्द्र सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन 1956 में मुंबई के चेंबूर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुआ। पढ़ाई में मन ना लगने से छोटा राजन बुरी संगत में पड़ा और जगदीश शर्मा उर्फ गूंगा के गिरोह का मेंबर बन गया। उसी वक्त चेंबूर और घाटकोपर इलाके में वरदा भाई के सहायक और मिल मजदूर नेता रहे राजन नायर यानि कि बड़ा राजन ने इसकी मुलाकात हुई। तब तक इसने सिनेमा हॉल के टिकट ब्लैक करने का धंधा शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे इसके बारे में बड़ा राजन को मालूम पड़ा. बड़ा राजन ने इसे वरदराजन मुदलियर के साथ सोने की स्मगलिंग में लगा दिया। इसी के बाद से ये बड़ा राजन का सबसे खास आदमी बन गया और गिरोह के लोग इसे छोटा राजन नाम से पुकारने लगे। 80 का दशक की शुरुआत में बड़ा राजन गिरोह सुपारी लेकर मर्डर करने लगा। तब तक इन दोनों को दाऊद का साथ मिल गया।

1983 में जब बड़ा राजन की हत्या हो गई तो छोटा राजन दाऊद के करीब आया। दाऊद और छोटा राजन की दोस्ती गहरी होती ग।. जब 1988 में जब दाऊद दुबई भागा तब वह मुंबई के अपने काले साम्राज्य की बागडोर छोटा राजन को सौंप गया। 1992 आते-आते छोटा राजन और दाऊद में मतभेद होने लगे. ऐसे में छोटा शकील ने राजन के खिलाफ दाऊद के कान भरने शुरू कर दिए। मतभेद का मुख्य कारण था कि राजन दाऊद की बहन के पति के हत्यारों को मारने में नाकाम साबित हो रहा था। इसके बाद जब दाऊद मुंबई धमाकों की साजिश रच रहा था तब उसे किसी मुस्लिम गुर्गे की जरूरत थी। इस लिए उसने छोटा राजन को किनारे कर अबु सलेम और मेमन बंधुओं को गिरोह की कई जिम्मेदारियां दे दीं लेकिन मुंबई धमाकों से पहले ही एक ऐसी घटना हो गई जिसने दाऊद और छोटा राजन के बीच दुश्मनी के बीच को हवा दे दी। इसके बाद दोनों गिरोह में खूनी जंग छिड़ गई। इसके बाद दाऊद पाकिस्तान में पनाह ले चुका है और छोटा राजन बैंकॉक को अपना ठिकाना बना चुका है।

छोटा शकील[संपादित करें]

छोटा शकील का नाम भारत के मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची में शामिल है। छोटा शकील का असली नाम शकील बाबूमियां शेख है। शकील को दाऊद इब्राहीम का खास आदमी माना जाता है। बॉलीवुड हस्तियों के साथ अपने संबंधों के चलते चर्चा में रहा है। बॉलीवुड की फिल्मों में यही दाऊद इब्राहीम का पैसा लगाता है। वह आजकल शकील डिफेंस एरिया, कराची, पाकिस्तान में रह रहा है। शकील मुंबई बम ब्लास्ट के आरोपियों में से एक है। उस पर हवाला, फिरौती, अपहरण, हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी का भी आरोप है। कहा जाता है कि छोटा राजन ने छोटा शकील के डर से ही खुद को गिरफ्तार कराया था।

एजाज लाकड़ावाला[संपादित करें]

यह कई मर्डर, दंगों और फिरौती मांगने का आरोपी है। वैसे तो एजाज डी-कंपनी का ही एक मेंबर था पर बाद में उसने छोटा राजन के साथ मिलकर अपना एक अलग गैंग बना लिया था। एक अफवाह उड़ी थी कि दाऊद और उसके गैंग के बीच हुई एक खूनी मुठभेड़ में एजाज मारा गया पर बाद में उसे कनाडा में 2004 में गिरफ्तार किया गया।

गोवा के माफिया[संपादित करें]

पंजाब के माफिया[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Can Narendra Modi bring Dawood Ibrahim back to India from Pakistan?". dna. मूल से 9 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 December 2014.
  2. "Archived copy". मूल से 2007-10-22 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2006-11-10.सीएस1 रखरखाव: Archived copy as title (link)
  3. "Know about Haji Mastan, the first underworld don of Mumbai". India TV News. मूल से 5 नवंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 December 2014.
  4. हाजी मस्तान के बेटे ने कहा- राउत का इंदिरा गांधी पर बयान सही, बाला साहेब भी मेरे पिता के अच्छे दोस्त थ।