नया नियम

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नया नियम ईसाइयों के धर्मग्रन्थ बाइबिल का दूसरा भाग या उत्तरार्ध है। यीशु मसीह की जीवनी, शिक्षाएं, और उनके शिष्यों द्वारा धर्मप्रचार इसमें शामिल हैं। नया नियम 27 किताबों का संग्रह है, जो कि तीन भागों में विभाजित हैं: सुसमाचार (४), कार्य (१) और पत्रियाँ (२२; १४-पॉल, ७-कैथोलिक, १-इल्हाम)। नए नियम के इन २७ पुस्तकों को ईसाई धर्म में लगभग सर्वमान्य रूप से मान्यता दी गई है।

परिचय[संपादित करें]

नया नियम यीशु की शिक्षाओं और उनके व्यक्तित्व पर चर्चा करता है, साथ ही ईसाई धर्म की पहली सही में हुई घटनाओं पर भी जानकारी देता है। ईसाई पुराने और नए दोनों नियमों को एक साथ पवित्र ग्रंथ (बाइबल) मानते हैं।

नया नियम ईसाई ग्रंथों का एक संग्रह है, जो मूल रूप से कोइन ग्रीक भाषा में, विभिन्न लेखकों द्वारा अलग-अलग समय पर लिखा गया है। जबकि पुराने नियम का विहित संग्रह अलग-अलग ईसाई संप्रदायों के बीच कुछ हद तक भिन्न होता है, नए नियम के २७ किताबों के संग्रह को उत्तर प्राचीन काल के बाद से ईसाई धर्म में लगभग सर्वमान्य रूप से मान्यता दी गई है। इस प्रकार, आज लगभग सभी ईसाई परंपराओं में, नए नियम में २७ पुस्तकें ही शामिल हैं: चार विहित सुसमाचार (मत्ती, मरकुस, लुका और योहन्ना), प्रेरितों के कार्य, पॉल के चौदह एपिस्थेत, सात कैथोलिक एपिस्थेत, और प्रकाषिकवाक्यों (इल्हाम) की पुस्तक।

रचना[संपादित करें]

नए नियम के नवीनतम पांडुलिपियों की रचना की तारीख पर अभी तक कोई विद्वानों की सहमति नहीं बानी है। रूढ़िवादी विद्वान जॉन ए टी रॉबिन्सन, डैन वालेस और विलियम एफ अलब्राइट के अनुसार 70 ईस्वी तक नए नियम की सभी पुस्तकों की रचना हो चुकी थी।[1] लेकिन अधिकांश विद्वान कुछ नए नियम के ग्रंथों की की रचना का समय उससे बहुत बाद में बताते हैं। उदाहरण के लिए, रिचर्ड पेरवो ने लुका सुसमाचार से लेकर कार्यों की किताब की रचना की तारीख को 115 ई तक बताते हैं[2] तथा डेविड ट्रोबिस्क के अनुसार कार्यों की किताब की रचना पहली शताब्दी के मध्य से लेकर दूसरी शताब्दी में हुई थी।[3][note 1]

पुस्तक संग्रह[संपादित करें]

सुसमाचार[संपादित करें]

इसमें प्रथम चार किताबें शामिल हैं जो कि यीशु के चार शिष्यों द्वारा लिखी गईं। इनमें यीशु मसीह की जीवनी व शिक्षाओं का वर्णन है। इसलिए इन्हें चार-शुभसन्देश भी कहा जाता है। इस्लाम में इसे इंजील कहा जाता है।

  • मत्ती
  • मरक़ुस
  • लूक़ा
  • यूहन्ना

प्रेरितों[संपादित करें]

इसमें ईसा के शिष्यों द्वारा किये गए धर्मप्रचार का वर्णन मिलता है।

  • प्रेरितों के कार्य

पत्रियां[संपादित करें]

ये ईसा के विभिन्न शिष्यों द्वारा प्रथम स्थापित कलीसियाओं को लिखे गए पत्रों का संकलन है। इनकी संख्या 22 है। ईसाई धर्म में इनका प्रमुख आध्यत्मिक महत्व है।

  • रोमियों
  • कुरुन्थियो 1 व 2
  • गलतियो
  • इफीसियों
  • फिलिप्पियों
  • कुलुस्सियों
  • थिसलुनीकियों 1 व 2
  • तीमुथियुस 1 व 2
  • तीतुस
  • फिलेमोन
  • इब्रानियों
  • याकूब
  • पतरस 1 व 2
  • यूहन्ना 1, 2, व 3
  • यहूदा
  • प्रकाशितवाक्य

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

नोट्स[संपादित करें]

  1. "...Acts provides information that makes it possible to identify Luke, the author of the Gospel, as the doctor who travels with Paul and to identify Mark as someone close to Peter and Paul. This 'canon consciousness' suggests that the book of Acts was composed at a later date than is typically thought; this theory is supported by the first attestation of the book around 180 CE." - Trobisch 2007

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Robinson, John Arthur Thomas (2000) [1976]. Redating the New Testament. Eugene, Oregon: Wipf & Stock. पृ॰ 352. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-57910-527-3.
  2. Pervo, Richard (2015). "Acts in Ephesus (and Environs) c. 115" (PDF). Forum. 3 (Fall 2015): 125–151. मूल से 25 मई 2019 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 1 मार्च 2020.
  3. Trobisch, David. "Who Published the New Testament?" (PDF). Free Inquiry. 28 (Dec. 2007/Jan. 2008): 30–33.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

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