दक्षिण अफ्रीकी गणतंत्र
दक्षिण अफ्रीकी गणतंत्र South African Republic [Zuid-Afrikaansche Republiek] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help) (language?) | ||||||
| ||||||
| ||||||
राष्ट्रगान Transvaalse Volkslied | ||||||
Location of the South African Republic, circa 1890.
| ||||||
राजधानी | Pretoria 25°43′S 28°14′E / 25.717°S 28.233°E | |||||
भाषाएँ | Dutch, Afrikaans, Northern Sotho, Tswana, Ndebele, Tsonga, Venda, Zulu | |||||
धार्मिक समूह | Dutch Reformed Church | |||||
शासन | गणराज्य | |||||
President | ||||||
- | 1857–1863 | Marthinus Wessel Pretorius1 | ||||
- | 1883–1902 | Paul Kruger | ||||
- | 1900–1902 | Schalk Willem Burger (acting) | ||||
विधायिका | Volksraad | |||||
इतिहास | ||||||
- | Sand River Convention | 17 January 1852 | ||||
- | British annexation | 12 April 1877 | ||||
- | First Boer War | 20 December 1880 | ||||
- | Pretoria Convention | 3 August 1881 | ||||
- | London Convention | 27 February 1884 | ||||
- | Treaty of Vereeniging | 31 May 1902 | ||||
क्षेत्रफल | ||||||
- | 1870[1] | 1,91,789 किमी ² (74,050 वर्ग मील) | ||||
जनसंख्या | ||||||
- | 1870[1] est. | 1,20,000 | ||||
|
0.6 /किमी ² (1.6 /वर्ग मील) | |||||
मुद्रा | Zuid-Afrikaanse pond (South African pound) | |||||
आज इन देशों का हिस्सा है: | South Africa | |||||
1Also State President of the Orange Free State |
दक्षिण अफ्रीकी गणतंत्र (South African Republic ; Dutch: Zuid-Afrikaansche Republiek, ZAR), दक्षिणी अफ्रीका में सन १८५२ से १९०२ तक एक स्वतन्त्र और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्य देश था। इसे ट्रैंसवाल (Transvaal) भी कहते हैं। वाल नदी के 'पार' क्षेत्र में स्थित होने के कारण बोर लोगों ने 'ट्रैंसवाल' (वाल के पार का क्षेत्र) नाम दिया।
इसका धरातल विषम एवं उठा हुआ पठारी है। समूचे क्षेत्र को चार भागों में विभाजित कर सकते है: (१) ऊँचा वेल्ड (Veld), (२) मध्य वेल्ड (३) बुश वेल्ड तथा (४) नीचा बेल्ड। ऊँचा वेल्ड क्षेत्र दक्षिण एवं पूर्व में फैला है और समुद्रतल से लगभग ३,५०० फुट से लेकर ६,००० फुट तक उठा हुआ है। इस क्षेत्र में लगभग २० से ३५ वार्षिक वर्षा होती है। यहाँ स्वर्ण एवं कोयला प्राप्य हैं। मध्य वेल्ड बीच में फैला है जिसकी ऊँचाई ३,००० से ४,००० फुट है। इसके उत्तर, पूर्व एवं पश्चिम में निचले मैदान हैं। इस क्षेत्र में लंबी किंतु नीची एवं पथरीली पहाड़ी श्रेणियाँ फैली हैं जिन्हें 'रैंड' कहते हैं। यहाँ हीरा (किंबरले क्षेत्र) तथा लोह खनिज पाए जाते हैं। यहाँ १५ से ३० वार्षिक वर्षा होती है, जो उच्च वेल्ड की अपेक्षा कुछ न्यून है। बुश वेल्ड क्षेत्र विषम धरातलीय है और यहाँ ज्वालामुखीय उद्गार की चट्टानें मिलती हैं। यहाँ वार्षिक वर्ष लगभग १५ से २५ होती है। टिन, प्लैटिनम, क्रोम, नमक तथा अन्य खनिज मिलते है। नीचा बेल्ड क्षेत्र उत्तरी सीमांत (लिंपोपो नदी जो दक्षिणी रोडीजिया एवं ट्रैसवाल की सीमारेखा है) तक फैला है। इसका सीमावर्ती क्षेत्र पर्वतीय है किंतु अधिकांश क्षेत्र की औसत ऊँचाई लगभग ३,००० फुट है। यहाँ पश्चिम (२०) से पूर्व की ओर (५० से ७०) वर्षा की मात्रा बढ़ती जाती है। यहाँ सोने, टैल्क (Talc), मैग्नेसाइट, ताँबा तथा अभ्रक की खाने हैं।
ट्रैसवाल के अधिकांश क्षेत्र में जानवरों का शिकार निषिद्ध है और यहाँ नौ सुरक्षित विशाल शिकारगाह हैं, जिनमें क्रूजर राष्ट्रीय उद्यान सबसे बड़ा है। अधिकांश क्षेत्र वनों के काटने के कारण वनविहीन हो गए हैं किंतु अब लाखों एकड़ में बन लगाए गए हैं। कृषि तथा पशुपालन समुन्नत व्यवसाय हैं। कृषिक उपजों में मक्का, गेहूँ, जौ, जई, आलू, सेम, मटर तथा रसदार फल (अंशत: निर्यातार्थ) तथा पशुओं में गाय, बैल, भैंस, सुअर, भेड़ें और घोड़े आदि मुख्य हैं। खनिज पदार्थों में सोना, हीरा एवं कोयले का अधिक उत्पादन होता है। हीरे की सबसे बड़ी खान यहीं किंबरले में स्थित है। प्रिटोरिआ तथा वेरीनिगिंग में लौह एवं इस्पात के कारखाने हैं। ट्रैंसवाल में ५,००० से अधिक कारखाने हैं, जिनमें ताँबे के तार, बिजली एवं इंजीनियरी के सामान, कपड़े, कागज, सीमेंट, मोटर, काच, रसायनक तथा अन्य विविध वस्तुएँ तैयार की जाती हैं। यहाँ ३,५०० मील लंबे रेलमार्ग तथा ३६,००० मील लंबे राजमार्ग है। १९५० ई० में कैंपटन पार्क नामक स्थान पर विशाल राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण किया गया। इसके अतिरिक्त यहाँ अन्य कई छोटे हवाई अड्डे हैं। प्रिटोरिआ नगर न केवल राज्य का प्रत्युत समूचे दक्षिण अफ्रीकी संघ का प्रशासनिक केंद्र है।
इतिहास
[संपादित करें]१९वीं शती के पूर्व ट्रैंसवाल में मुख्यत: बांतू जातियाँ बसी हुई थीं। कालांतर में जुलू लोगों ने आक्रमण किया और प्रदेश के एक बड़े भाग पर उनका अधिकार हो गया। १८२९ में बेचुआनालैंड का राबर्ट मोफट नामक धर्मप्रचारक ट्रैसवापल पहुँचा और उसके पीछे अनेक अंग्रेज यात्रियों और व्यापारियों ने वहाँ की यात्राएं आरंभ की। १८३५-१८४० के बीच बोअरों के 'महान् प्रव्राजन' के पश्वात् उनके और बातू जातियों के बीच भीषण संघर्ष के बावजूद डच लोग वहाँ अपनी बस्तियाँ बसाने में सफल हो गए। साथ ही बोअरों ने अपने को स्वतत्र घोषित कर दिया।
१८५२ में अंग्रेजों ने टैंसवाल की स्वतंत्रता को मान्यता दी। दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति मार्टिनस प्रिटोरियस के प्रस्ताव और बाद में बलप्रयोग के बावजूद आरेंज फ्री स्टेट ने ट्रैसवाल के साथ संघ बनाने से इनकार कर दिया।
१८७७ में सर थियोफिलस शेप्सटन ने, जो दक्षिण अफ्रीकी मामलों का सचिव था, ट्रैसवाल पर भी अधिकार कर लिया। किंतु १८८० में बोअरों ने पुन: अपने गणराज्य का स्वर ऊँचा किया, इसके लिये उन्हें अंग्रेजों से युद्ध करना पड़ा, और १८८१ में अंग्रेजी संप्रभुता के अंतर्गत स्वतंत्र हो गया। उसके बाद ट्रेसवाल ने स्वाजालैंड, जुलूलैंड और तटीय प्रदेशों की ओर अपना प्रसार आरंभ किया, इसके लिये उन्हें अंग्रेजों और मूल निवासियों से संघर्ष करना पड़ा। ट्रैंसवाल में सोने का पता लगते ही विदेशी अधिक संख्या में आकर्षित होने लगे। इस स्थिति में बोअरों द्वारा अपना प्रभाव स्थिर रखने के लिये उठाए गए कदमों ने बोअर युद्ध (१८९९-१९०२) की भूमिका तैयार की।
युद्ध के चार वर्षों के बाद अंग्रेजी सरकार ने ट्रैंसवाल के लिये स्वायत्त शासन की व्यवस्था कर दी। १९१० में ट्रैंसवाल केप कालोनी, आरेंज फ्री स्टेट और नेटाल ने मिलकर दक्षिण अफ्रीका संघ की स्थापना की।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Alexander Mackay (1870). Manual of modern geography, mathematical, physical, and political. पृ॰ 484. मूल से 12 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 अप्रैल 2017.