ताज़िया
इसलामी संस्कृति पर एक शृंखला का भाग |
---|
वास्तुकला |
अरबी · अज़ेरी |
कला |
वस्त्र |
अबाया · अगल · बौबौ |
त्योहार |
अशुरा · अरबाईन · अल्-गादीर |
साहित्य |
अरबी · अज़ेरी · बंगाली |
मार्शल कला |
सिलाठ · सिलठ मेलेयु · कुरश |
संगीत |
दस्त्गाह · ग़ज़ल · मदीह नबवी |
थिएटर |
इस्लाम प्रवेशद्वार |
ताज़िया : बाँस की कमाचिय़ों पर रंग-बिरंगे कागज, पन्नी आदि चिपका कर बनाया हुआ मकबरे के आकार का वह मंडप जो मुहर्रम के दिनों में मुसलमान सुनी लोग हजरत-इमाम-हुसेन की कब्र के प्रतीक रूप में बनाते है और दसवें दिन जलूस के साथ ले जाकर इसे दफन किया जाता है।
मीलादुन नबी, यौम-ए-आशूरा, मुहर्रम, औलिया के उर्स के मौक़ों पर ताज़िए बनाए और सजाए जाते हैं.
मुहर्रम में ख़ास तौर पर ताज़िया हज़रत इमाम हुसैन कि याद में बनाया जाता है।
भारत में सब्से अच्छी ताजियादारी जावरा मध्यप्रदेश प्रदेश में होती है। यहां ताजिये बांस से नहीं बनते है बल्कि शीशम और साग्वान कि लकड़ी से बनाते है जिस पर कांच और माइका का काम होता है। जावरा में ३०० से ज्यादा (१२ फ़ीट) के ताज़िए बनते है।।
गेलरी
[संपादित करें]-
हज़रत इमाम हुसैन के खीमों में आग लगाए जाने की एक्टिंग करते हुवे, ईरान
-
ताज़िये का चित्र
-
तेहरान के तजरिष में एक ताज़िया
-
शीराज़ आर्ट्स फेस्टिवल 1977 में एक ताज़िया
-
भारत में शिया इस्लाम
-
इंडोनेशिया के परिअमन में ताजियों को समंदर में छोड़ते हुए
-
ताज़िये में स्त्रीओं की शिरकत
-
ताजियों के लिए फारसी तेकये
-
प्रदर्शन के दौरान सारे अभिनेता स्क्रिप्ट पढ़ते हैं