गौमुखासन

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बद्धगोमुखासन

गौमुख का अर्थ होता है गाय का मुख अर्थात अपने शरीर को गौमुख के समान बना लेने के कारण ही इस आसन को गौमुखासन कहा जाता है। गौमुखासन तीन शब्दों की संधि से बना है - गौ (गाय) + मुख (चहरा) + आसन।

विधि[संपादित करें]

दंडासन में बैठ कर बाएं पैर को मोड़ कर एड़ी को दाएं नितंब के पास रखे या एड़ी पर बैठ भी सकते हैं। दाएं पैर को मोड़ कर बाएं पैर के ऊपर इस प्रकार रखें कि दोनों घुटने एक-दूसरे से स्पर्श करते हों। दाएं हाथ को ऊपर उठा कर पीठ की ओर मोड़ें और बाएं हाथ को पीठ के पीछे से लेकर दाएं हाथ को पकड़ें। गर्दन और कमर सीधी रखें। एक ओर से करने के बाद दूसरी ओर से भी इसी तरह करें।

कितनी देर करें गौमुखासन[संपादित करें]

योग की पाठशाला में आप १ या २ मिनट तक गौमुख आसान का अभ्यास कर सकते हैं।

सावधानियाँ[संपादित करें]

गर्दन दर्द, कमर दर्द वाले लोग इसे न करे।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]