बकासन

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बकासन

बकासन[संपादित करें]

दोनों हाथों की हथेलियों को भूमि पर स्थिर करके घुटनों को कोहनियाँ से ऊपर भुजाओं पर स्थिर कीजिए। श्वास अन्दर भरके शरीर के भार को हथेलियों पर संभालते हुये धीरे-धीरे पैरों को भूमि से ऊपर उठाने का यत्न कीजिए। अभ्यास होने पर बगुले जैसी स्थिति हो जायेगी।

लाभ[संपादित करें]

हाथों के स्नायुओं को विषेश बल एवं आरोग्य मिलता है। मुख की कान्ति बढती है।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]