काटल

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काटल (अंग्रेजी Katal या Katil) सूर्यवंशी राजपूत राष्ट्र की एक शाखा है।

परिचय[संपादित करें]

काटल राष्ट्र भारत और पाकिस्तान में मौजूद पंजाब के क्षेत्रों में पाई जाती है। इस जनजाति के 360 गांव बसे हैं, जिनमें से 100 के करीब जिले नारोवाल और गुरदासपुर में पाए जाते हैं। और जम्मू में उनकी अनुस्मारक रहे हैं। यह अपने आप सोरिया ोनशिय जताते हैं। ये लोग खोखरों से शादी नहीं करते।

धर्म[संपादित करें]

मुगल सम्राट औरंगजेब के दौर में काटल, राव, बलील, माल, नहालह जाति के लोग इस्लाम में चले गए। और तहसील शकरगढ़ के काटल मुस्लिम हैं मगर जम्मू और भारत के काटल हिंदू हैं।

विभिन्न दृश्यता काटलों के बारे में[संपादित करें]

1- दृश्यता में है कि राजा तीड़ो, किरण, सोमपाल, बरशपत, ावीगीधीता, दीधदता, मुंह, आधार पाल, रतन पाल, ाटर, राजा साहसरानो, राजा सनतील, राजा कैरेट, राजा कोड़, राजा चित, राजा गोरा , राजा भरत, राजा बिल, राजा शीखा और उसका बेटा राजा जीसरथ। उन्हें खीरिय जयपुर से गज़नह मोहम्मद ने निकालकर जम्मू में मनगलह देवी के स्थान पर बसाया। उनमें से एक राजा कैरेट वंश सांबा गांव के पास जंगल में डकैती करने लगी। उन्होंने सांबा गांव की एक लड़की का अपहरण कर लिया। इस लड़की के भाइयों ने उन्हें तहसील शकरगढ़ के बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई जमीन दे दी। उन्होंने इस जगह पर बसेरा किया और इस जगह को काटल नाम दिया क एन पीढ़ियों आजकल काटल कहा जाता है।


2- दृश्यता में है कि मुगलों के दूर में राजपूतों का एक राजा था जिसे मुगलों से हार हुई तो मुगलों ने उन्हें अपने क्षेत्र से निकालकर [[जम्मू] ] क्षेत्र में बसाया। और इन दिनों शकरगढ़ और जम्मू के बीच एक जंगल हुआ करता था। इस राजा को कहा गया कि सुबह से लेकर शाम तक तुम इस जंगल के जितने क्षेत्र को तह कर लोगे तो क्षेत्र तुम्हारे हवाले कर दिया जाएगा। इस राजा ने ऐसा ही किया और जो क्षेत्र भी हासिल किया उसका नाम काटल रख दिया जो पंजाबी शब्द कटली जिसके अर्थ जंगल क्षेत्र के हैं रख दिया। आजकल इस राजा की पीढ़ियों जो इस क्षेत्र में बस्ती हैं काटल के नाम से पुकारा जाता है।