इमामबाड़े
इमामबाड़ा या इमाम-बारगाह (इमाम का दरबार) वह स्थान है जो शिया मुसलमानों द्वारा उनके तीसरे इमाम हुसैन इब्ने अली की शहादत को याद करने और उसका दुःख मनाने हेतु बनाया जाता है ! इमामबारगाह में हुसैन इब्ने अली की शहादत से संबंधित प्रतीकात्मक वस्तुएं जैसे ताज़िया अर्थात् इमाम हुसैन के मज़ार की प्रतिकृति, अलम, ताबूत एवं व्याख्यान हेतु मिम्बर इत्यादि रखा जाता है ! इमामबारगाह या इमामबाड़ा एक इमारत होती है जिसमें एक बड़ा हाल तथा एक छोटा और तीन तरफ से घिरा हुआ और हाल की अपेक्षाकृत ऊंचे तल वाला कमरा जिसे शाहनशीं अर्थात् वह कमरा जहां इमाम हुसैन के प्रतीक सुसज्जित करके दर्शन हेतु रखे जाते हैं, होते हैं ! इमामबारगाह में शोक सभाओं जिन्हें मजलिस कहा जाता है , एवं शोकगीतों जिनको नौहा कहते हैं , का आयोजन होता है ! जिन्हें सुनकर लोग रोते हैं और मातम इत्यादि करते हैं !
इमामबारगाह की एक विशेषता ये भी है कि इसमें कोई भी व्यक्ति जो किसी भी धर्म या सम्प्रदाय का व्यक्ति प्रवेश कर सकता है और इन आयोजनों में स्वतंत्र रूप से भाग ले सकता है ! किसी को भी उसके धर्म या सम्प्रदाय के आधार पर रोका नहीं जा सकता ! मजलिस के उपरांत सभी श्रद्धालुओं को अजादार यानी "दुख मनाने वाला" कहा जाता है और यहां सभी के अधिकार बराबर होते हैं ! सभी को इमाम हुसैन के प्रतीकों को छूने, दर्शन करने और मजलिस के उपरांत प्रसाद जिसे तबर्रुक कहा जाता है , प्राप्त करने का अधिकार होता है !
संसार के कई भागों में इमामबारगाह वास्तुकला का अतुलनीय नमूना हैं !