अल-क़ियामह

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(अल-कियामह से अनुप्रेषित)

सूरा अल-क़ियामह (इंग्लिश: Al-Qiyama) इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 75 वां सूरा (अध्याय) है। इसमें 40 आयतें हैं।

नाम[संपादित करें]

इस सूरा के अरबी भाषा के नाम को क़ुरआन के प्रमुख हिंदी अनुवाद में सूरा अल-क़ियामह [1]और प्रसिद्ध किंग फ़हद प्रेस के अनुवाद में सूरा अल्-क़ियामह[2] नाम दिया गया है।

पहली ही आयत शब्द “अल-क़ियामाह” (प्रलय, परलोक , क़ियामत) को इस सूरा का नाम दिया गया है और यह केवल नाम ही नहीं है, बल्कि विषय-वस्तु की दृष्टि से इस सूरा का शीर्षक भी है, क्योंकि इसकी वार्ता क़ियामत (क़यामत) के सम्बन्ध में है।

अवतरणकाल[संपादित करें]

मक्की सूरा अर्थात् पैग़म्बर मुहम्मद के मदीना के निवास के समय हिजरत से पहले अवतरित हुई।

इसकी वार्ता में एक आन्तरिक साक्ष्य ऐसा माजूद है जिससे मालूम होता है कि यह बिलकुल आरम्भिक काल में अवतरित होने वाली सूरतों में से है। (देखें , आयत 16 से 19 तक)

विषय और वार्ता[संपादित करें]

इस्लाम के विद्वान मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी लिखते हैं कि यहाँ से कुरआन के अन्त तक जो सूरते पाई जाती हैं, उनमें से अधिकतर अपने विषय और अपनी वर्णन-शैली की दृष्टि से उस कालखण्ड की अवतरित मालूम होती है, जब सूरा 74 (अल-मुद्दस्सिर) की 7 आरम्भिक आयतों के पश्चात् कुरआन के अवतरण का क्रम वर्षा की तरह आरम्भ हो गया था। इस आयत में परलोक का इनकार करनेवालों को सम्बोधित करके उनके एक-एक सन्देह और एक-एक आक्षेप का उत्तर दिया गया है; बड़े सुदृढ़ प्रमाणों के साथ क़ियामत (प्रलय और परलोक) की सम्भावना और प्रकटीकरण और अवश्यम्भाविता का प्रमाण दिया गया है और यह भी साफ़ - साफ़ बता दिया गया है कि जो लोग भी आख़िरत का इनकार करते हैं उनके इनकार का वास्तविक कारण यह नहीं है कि उनकी बुद्धि इसे असम्भव समझती है, बल्कि इसका वास्तविक प्रेरक यह है उनके मन की इच्छाएँ इसे मानना नहीं चाहती। इसके साथ ही उन लोगों को सावधान किया गया है कि जिस समय के आने का तुम इनकार कर रहे हो वह आकर रहेगा, तुम्हारा सब किया-धरा तुम्हारे सामने लाकर रख दिया जाएगा , और वास्तव में तो अपना कर्मपत्र देखने से भी पहले तुममें से हर व्यक्ति को स्वयं मालूम होगा कि वह दुनिया में क्या करके आया है।

सुरह "अल-क़ियामह का अनुवाद[संपादित करें]

बिस्मिल्ला हिर्रह्मा निर्रहीम अल्लाह के नाम से जो दयालु और कृपाशील है।

इस सूरा का प्रमुख अनुवाद:

क़ुरआन की मूल भाषा अरबी से उर्दू अनुवाद "मौलाना मुहम्मद फ़ारूक़ खान", उर्दू से हिंदी [3]"मुहम्मद अहमद" ने किया।

बाहरी कडियाँ[संपादित करें]

इस सूरह का प्रसिद्ध अनुवादकों द्वारा किया अनुवाद क़ुरआन प्रोजेक्ट पर देखें


पिछला सूरा:
अल-मुद्दस्सिर
क़ुरआन अगला सूरा:
अल-इंसान
सूरा 75 - अल-क़ियामह

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सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. सूरा अल-क़ियामह,(अनुवादक: मौलाना फारूक़ खाँ), भाष्य: मौलाना मौदूदी. अनुदित क़ुरआन - संक्षिप्त टीका सहित. पृ॰ 924 से.
  2. "सूरा अल्-क़ियामह का अनुवाद (किंग फ़हद प्रेस)". https://quranenc.com. मूल से 22 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जुलाई 2020. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  3. "Al-Qiyama सूरा का अनुवाद". http://tanzil.net. मूल से 25 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जुलाई 2020. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  4. "Quran Text/ Translation - (92 Languages)". www.australianislamiclibrary.org. मूल से 30 जुलाई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 March 2016.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]