अंतर्वैयक्तिक संबंध

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साँचा:Close Relationships अंतर्वैयक्तिक संबंध, दो या अधिक लोगों के बीच का संबंध है जो अस्थायी या स्थिर स्वरूप का हो सकता है। यह संबंध विवाहेतर, प्रेम और पसंद, सामान्य व्यावसायिक मेलजोल या किसी अन्य प्रकार की सामाजिक प्रतिबद्धता पर आधारित हो सकता है। अंतर्वैयक्तिक संबंध सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य प्रभावों के संदर्भ में निर्मित होते हैं। संदर्भ पारिवारिक संबंध, दोस्ती, विवाह, सहयोगियों से संबंध, कार्य, क्लब, पड़ोस तथा पूजास्थलों के अनुसार भिन्न हो सकता है। वे कानून, प्रथा और आपसी समझौते द्वारा नियंत्रित हो सकते हैं, तथा सामाजिक समूहों एवं संपूर्ण समाज का आधार होते हैं। यद्यपि मानव मूलतः एक सामाजिक प्राणी है, किन्तु अंतर्वैयक्तिक संबंध सदैव स्वस्थ नहीं होते हैं। अस्वस्थ संबंधों के उदाहरणों में अत्याचारपूर्ण रिश्ते एवं सह-निर्भरता शामिल हैं।

किसी भी रिश्ते को सामान्यतः दो व्यक्तियों के बीच के संबंध के तौर पर देखा जाता है, जैसे कि रूमानी या घनिष्ठ संबंध, या अभिभावक-संतान संबंध. अकेले व्यक्तियों का भी लोगों के समूह के साथ संबंध स्थापित हो सकता है, जैसे कि, एक पादरी और उसके भक्तगण, एक चाचा और एक परिवार, या एक मेयर तथा एक शहर के बीच का संबंध. अंत में, समूह या राष्ट्रों के भी एक दूसरे के साथ संबंध हो सकते हैं, हालांकि अंतर्वैयक्तिक संबंधों के विषय के अंतर्गत आनेवाले क्षेत्रों की तुलना में यह एक कहीं अधिक विस्तृत क्षेत्र है। समूहों के बीच के संबंधों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया अंतर्राष्ट्रीय संबंधों जैसे लेखों को देखें. रिश्तों पर किये गए अधिकांश अध्ययन प्रेमी जोड़ों या प्रेमियों के दो जोड़ों पर केन्द्रित होते हैं। हालांकि, ये घनिष्ठ रिश्ते अंतर्वैयक्तिक संबंधों का एक छोटा उपवर्ग मात्र हैं। अंतर्वैयक्तिक संबंधों में मित्रता को भी शामिल किया जा सकता है, जैसे कि असमर्थ व्यक्तियों एवं उनकी देखभाल करने वाले व्यक्तियों के बीच के संबंध.

इन रिश्तों में आमतौर पर कुछ मात्रा में परस्पर निर्भरता शामिल होती है। किसी भी रिश्ते में लोग एक दूसरे को प्रभावित करते हैं, अपने विचारों और भावनाओं को साझा करते हैं और साथ मिलकर काम करते हैं। इस परस्पर निर्भरता की वजह से, इनमें शामिल किसी एक सदस्य को प्रभावित करनेवाली या बदलाव लानेवाली चीजें दूसरे सदस्य को भी कुछ हद तक प्रभावित करती हैं।[1] अंतर्वैयक्तिक संबंधों के अध्ययन में सामाजिक विज्ञान की कई शाखाओं का समावेश होता है, जैसे समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, मानवशास्त्र तथा सामाजिक कार्य.

प्रकार[संपादित करें]

करीबी रिश्ते उम्र भर की भावनात्मक भलाई के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।

अंतर्वैयक्तिक संबंधों में निकटता और पारिवारिक रिश्ते शामिल होते हैं जिसमें लोग आनुवांशिकता या रक्तसंबंध से जुड़े होते हैं। इनमें पिता, माता, पुत्र या पुत्री जैसी भूमिकाएं शामिल होती हैं। शादी द्वारा भी रिश्तों का निर्माण हो सकता है जैसे कि, पति, पत्नी, सास, ससुर, फूफा, मौसा या चाची, मामी. ये कानून द्वारा मान्यता प्राप्त औपचारिक दीर्घकालीन रिश्ते हो सकते हैं जिन्हें विवाह या नागरी संयोग (सिविल यूनियन) जैसे सार्वजनिक समारोह के माध्यम से औपचारिक रूप प्रदान किया गया है। वे अनौपचारिक दीर्घकालीन रिश्ते भी हो सकते हैं, जैसे कि, एक साथ रहने या उसके बिना होनेवाले प्रेम संबंध या रूमानी रिश्ते. इन मामलों में इस "दूसरे व्यक्ति" को अक्सर प्रेमी, बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड कहा जाता है, जो मात्र पुरूष अथवा महिला मित्र या "महत्त्वपूर्ण व्यक्ति" से काफी भिन्न होता है। अगर साथी एक साथ रहते हैं, तो यह रिश्ता विवाह के समान हो सकता है और शामिल व्यक्तियों को संभवतः पति और पत्नी भी कहा जा सकता है। स्कॉटिश सामान्य कानून एक निश्चित अवधि के बाद ऐसे जोड़ों को वास्तविक विवाहित जोड़े के तौर पर मान्यता दे सकता है। अन्य देशों में दीर्घकालीन संबंध, कानून में कोई विशेष दर्जा न होने के बावजूद सामान्य-कानूनी विवाह के नाम से जाने जा सकते हैं। रखैल (मिस्ट्रेस) शब्द, पारंपरिक तौर पर किसी पहले से विवाहित या अविवाहित पुरूष की महिला प्रेमी को संदर्भित कर सकता है। एक रखैल को "आधिकारिक रखैल" का दर्जा दिया जा सकता है (फ्रेंच भाषा में मैत्रे एन ताएत्र (maîtresse en titre)); जैसा कि मादाम दी पाम्पादोर के करियर में दृष्टांत होता है। "पुका" नामक एक शब्द है जिसकी उत्पत्ती संभवतः हवाई द्वीप से हुई है। हवाई भाषा में इसका मतलब है "छेद", जिसका उपयोग सामान्यतः अमीर पुरूषों की संपत्ती का हिस्सा पाने की उम्मीद में उनके साथ शारीरिक संबंध रखनेवाली महिलाओं के लिए किया जाता है।

रिश्ते का स्तर इस बात पर निर्भर करता है कि हम दूसरे व्यक्ति के साथ किस तरह का संवाद स्थापित करते हैं। अंतर्वैयक्तिक संबंध और संवाद एक दो-तरफा मार्ग होता है जिसे दोनों तरफ से खुला होना चाहिए। स्वयं के लिए महत्त्वपूर्ण व्यक्ति से संवाद करने का तरीका, अपने मालिकों या छोटे भाई से बात करने के तरीके से भिन्न होता है। कैरेन रेनोल्ड्स के निबंध के अनुसार, संवाद के प्रसारण मॉडल के पांच प्रमुख भाग हैं[2][specify]:

  • सूचना स्रोत - जहां संदेश उत्पन्न होता है
  • प्रेषित्र - जहां संदेश कूटलिखित किया जाता है
  • चैनल - जहां पर संकेत पहुंचाया जाता है
  • प्राप्तकर्ता - जहां संदेश का कूटानुवाद किया जाता है
  • गंतव्य - जहां अंततः संदेश जाता है

हालांकि, चैनल के साथ हस्तक्षेप कर शोर मूल संदेश को बदल सकता है। कैरेन रेनोल्ड्स के अनुसार इसका संबंध अंतर्वैयक्तिक संबंधों से जोड़ा जा सकता है, क्योंकि संदेशों के प्रेषक एवं ग्राहक के लिए संदेश को एक ही सन्दर्भ में समझ लेना आवश्यक होता है, ताकि उसका गलत अर्थ निकालने से बचा जा सके। यदि संदेश का गलत अर्थ निकाला जाए, तो यह रिश्ते के लिए हानिकारक हो सकता है। एक सफल रिश्ते के लिए संचार अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटक है। समय के साथ लोग एक दूसरे के साथ अधिक सहज हो जाते हैं इसलिए उनके नजरिए भी बादल जाते हैं। यह प्रेषक द्वारा संदेश भेजने या प्राप्तकर्ता द्वारा उसका अर्थ निकालने की क्रिया को प्रभावित कर सकता है। डैनियल चैंडलर्स ने अपने एक निबंध में कहा है कि असमान अधिकारों वाले संबंधों के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। दूसरे शब्दों में कहें तो, उनका तात्पर्य है कि लोग दूसरे व्यक्ति के विचारों को हमेशा महत्त्वपूर्ण या विश्वसनीय नहीं समझते हैं।[3] अंतर्वैयक्तिक संबंधों के दृष्टिकोण से, एक आदमी अपने स्वयं के मानकों मद्देनजर अपनी प्रेमिका की बातों पर कभी भी विश्वास नहीं कर सकता, जो उनके संबंधों को तबाह कर सकता है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए दूसरों की बातों को समझने का तरीका अलग-अलग होता है; इसलिए अंतर्वैयक्तिक संबंध में प्रसारण मॉडल को सम्मिलित करना कठिन होता है क्योंकि संदेश का अर्थ किसी भी समय बदल सकता है।

मित्रता में आपसी पसंद, विश्वास, सम्मान और यहां तक कि अक्सर प्रेम तथा बिना शर्त स्वीकृती भी शामिल होती है। यह आमतौर पर व्यक्तियों के बीच समानता तथा मतैक्यता की खोज या स्थापना को इंगित करती है।[4] इंटरनेट दोस्ती और पत्र-मित्रता भौतिक रूप से अत्यधिक दूर होने पर भी संभव हो सकती है। भाईचारा और भगिनीत्व (सिस्टरहुड), समान कारण या समान रूची रखनेवाले लोगों की एकजुटता को संदर्भित कर सकता है जिसमें क्लब, संस्था, संगठन, समाज, घर, बिरादरी या भगिनी समाज की औपचारिक सदस्यता शामिल हो सकती है। इस प्रकार के अंतर्वैयक्तिक संबंध शान्ति अथवा युद्ध के दौरान साथी सैनिकों की मैत्री से संबंधित होते हैं। समान व्यवसाय, पेशे या समान कार्य-क्षेत्र में काम करनेवाले भागीदारों या सह-कर्मियों में भी दीर्घकालीन अंतर्वैयक्तिक संबंध स्थापित हो सकते हैं।

हमसफ़र उन व्यक्तियों को कहते हैं जो समान विचारों तथा दृष्टिकोण के कारण एक दूसरे के काफी निकट होते हैं और एक दूसरे के प्रति पारस्परिक स्वीकार्यता एवं समझ दर्शाते हैं। उम्रभर के लिए जुड़ने के कारण हमसफ़र यौन साथी भी बन सकते हैं, लेकिन ऐसा आवश्यक नहीं है। संयोग से बने संबंध वे यौन संबंध होते हैं जो केवल यौन व्यवहार की इच्छा से बनाए गए एक रात्रि के संबंध से परे होते हैं। यौन संबंध के सीमित अर्थ में देखा जाए तो इसमें शामिल व्यक्तियों को "लाभ के लिए बने दोस्त" या "हूकिंग अप (जोड़ा बनाना)" की श्रेणी में रखा जा सकता है, या व्यापक अर्थ में उन्हें यौन साथी के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। निष्काम प्रेम एक प्रगाढ़ संबंध है जिसमें यौन तत्त्व शामिल नहीं होता, विशेष रूप से ऐसे मामलों में जहां किसी को सहजता से ग़लतफ़हमी हो सकती है।

विकास[संपादित करें]

अंतर्वैयक्तिक संबंध का स्वरूप गतिशील होता है और वे निरंतर परिवर्तित होते रहते हैं। जीवित प्राणियों की ही तरह, संबंधों की भी एक शुरुआत, जीवनकाल और एक अंत होता है। जैसे-जैसे लोग एक दूसरे को जानने और भावनात्मक रूप से करीब आने लगते हैं, ये संबंध भी धीरे-धीरे विकसित और बेहतर होते जाते हैं; या लोग जब एक दूसरे से दूर होने लगते हैं, अपने जीवन में मशगूल हो जाते हैं और नए संबंधों का निर्माण करते हैं तब ये संबंध भी धीरे-धीरे बिगड़ने लगते हैं। मनोवैज्ञानिक जॉर्ज लेविंगर द्वारा प्रस्तावित मॉडल को संबंधों के विकास के क्षेत्र के सर्वाधिक प्रभावशाली मॉडलों में से एक माना जाता है।[5] इस मॉडल को इतरलिंगी, वयस्क रूमानी संबंधों का वर्णन करने के लिए तैयार किया गया था, लेकिन अन्य प्रकार के अंतर्वैयक्तिक संबंधों के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इस मॉडल के अनुसार, एक संबंध का स्वाभाविक विकास निम्नलिखित पांच चरणों में होता है:

  1. परिचय - किसी के साथ परिचय; पूर्व के रिश्तों, शारीरिक निकटता, पहली छाप और कई अन्य कारकों पर निर्भर करता है। यदि दो लोग एक दूसरे को पसंद करना शुरू कर देते हैं, तो उनके बीच निरंतर अंतःक्रिया उन्हें अगले चरण तक ले जा सकती है, लेकिन परिचय अक्सर सदैव के लिए होता है।
  2. विस्तार - इस चरण के दौरान लोग एक दूसरे का विश्वास करना और ख़याल रखना शुरू कर देते हैं। संगतता की आवश्यकता और समान पृष्ठभूमि तथा लक्ष्य जैसे कारक संबंध के आगे बढ़ने की नियति को प्रभावित करते हैं।
  3. निरंतरता - इस चरण में एक दीर्घकालीन रिश्ते, रूमानी रिश्ते या शादी के प्रति पारस्परिक प्रतिबद्धता दिखाई देती है। यह सामान्यतः एक लंबी और अपेक्षाकृत रूप से स्थिर अवधि होती है। लेकिन इस समय के दौरान भी निरंतर वृद्धि और विकास घटित होता रहता है। संबंध बनाए रखने के लिए आपसी विश्वास काफी महत्त्वपूर्ण होता है।
  4. बिगड़ना - सभी रिश्ते गिरावट के दौर से नहीं गुजरते हैं, लेकिन जो गुजरते हैं उनमें बिगड़ने के लक्षण अवश्य दिखाई देते हैं। बोरियत, रोष और असंतोष प्रकट हो सकते हैं और लोग संवाद में कमी तथा स्वयं को अधिक खोलने से बचने की कोशिश कर सकते हैं। इस गिरावट के साथ विश्वास में कमी और विश्वासघात भी देखा जा सकता है।
  5. अंत - यह चरण संबंध का अंत दर्शाता है जो एक स्वस्थ संबंध में मृत्यु की वजह से या अलग होने की वजह से हो सकता है।

मित्रता का स्वरूप काफी गतिशील होता है। दूसरे शब्दों में, एक व्यक्ति एक मौजूदा दोस्त के दोस्त का एक दोस्त बन सकता है। हालांकि, अगर दो लोग एक ही व्यक्ति के साथ यौन संबंध रखते हैं, तो वे दोस्त की बजाय प्रतियोगी बन सकते हैं। तदनुसार, एक दोस्त के यौन साथी के साथ यौन व्यवहार, दोस्ती को नुकसान पहुंचा सकता है (देखें प्रेम त्रिकोण). दो दोस्तों के बीच यौन गतिविधियाँ, या तो "अगले स्तर पर ले जा कर" या संबंध विच्छेद करके उस रिश्ते को परिवर्तित कर सकती हैं। यौन साथियों को मित्र के रूप में भी वर्गीकृत किया जा सकता है और यह यौन संबंध मित्रता को बढ़ा, या खतम भी कर सकता है।

क़ानूनी मंजूरी, विवाह और नागरी संयोगों को समाज के "सम्माननीय" बुनियादी खण्डों के तौर पर मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ कानूनी जामा भी पहनाती है। मिसाल के तौर पर, संयुक्त राज्य अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालाय द्वारा लॉरेंस बनाम टेक्सास (2003) मामले में समलैंगिक यौन संबंधों को गुनाहों की श्रेणी से निकालने के निर्णय ने दीर्घकालीन समलैंगिक संबंधों को मुख्य धारा में लाने और इस देश में समलैंगिक विवाहों के वैधीकरण की संभावना को खोलने के मार्ग को प्रशस्त किया।

== फलते-फूलते संबंध == सकारात्मक मनोवैज्ञानिक "फलते-फूलते रिश्ते" शब्द का उपयोग ऐसे अंतर्वैयक्तिक संबंधों का वर्णन करने के लिए करते हैं जो न केवल खुशहाल होते हैं, बल्कि उनमें प्रचुर मात्रा में घनिष्ठता, विकास और लचीलापन भी शामिल होता है।[6] फलते-फूलते संबंध, घनिष्ठ संबंधों के साथ-साथ अन्य सामाजिक संबंधों पर भी ध्यान केंद्रित करने के लिए एक गतिशील संतुलन उपलब्ध कराते हैं।

पृष्ठभूमि[संपादित करें]

जबकि निकट संबंधों पर विशेषज्ञता प्राप्त करने वाले पारंपारिक मनोवैज्ञानिक संबंधों की दुष्क्रियात्मकता पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वहीं सकारात्मक मनोविज्ञान का तर्क है कि संबंधों का स्वास्थ्य केवल संबंधों की दुष्क्रियात्मकता का अभाव मात्र ही नहीं है।[7] स्वस्थ संबंध सुरक्षित लगाव की नींव पर ही खड़े होते हैं और प्रेम तथा उद्देश्यपूर्ण सकारात्मक व्यवहारों द्वारा उन्हें बनाए रखा जाता है। इसके अतिरिक्त, स्वस्थ संबंधों को "फलता-फूलता" भी बनाया जा सकता है। सकारात्मक मनोवैज्ञानिक, मौजूदा संबंधों को फलता-फूलता बनाने वाले गुणों की तलाश कर रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि अपने मौजूदा और भविष्य के व्यक्तिगत संबंधों को बेहतर बनाने के लिए भागीदारों को किन कौशलों को सिखाना चाहिए।

वयस्क लगाव[संपादित करें]

स्वस्थ संबंध सुरक्षित लगाव की एक नींव पर बनते हैं। वयस्क लगाव के मॉडल संबंध की अंतरंगता से संबंधित आतंरिक अपेक्षाओं तथा वरीयताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो उनके व्यवहार में परिलक्षित होता है।[7] सुरक्षित वयस्क लगाव, जिसमें कम लगाव से संबंधित परिहार और चिंता जैसे व्यवहार शामिल हैं, के अनेक फायदे हैं। सुरक्षित और निश्चिन्त लगाव के दायरे में रहकर लोग अपनी आदर्श कार्य क्षमता प्राप्त कर सकते हैं तथा फल-फूल सकते हैं।[7] (लोपेज़ और ब्रेनन, 2000)

प्रेम[संपादित करें]

प्रेम की क्षमता मानवी संबंधों को गहराई प्रदान करती है, भावनात्मक तथा शारीरिक रूप से लोगों को एक दूसरे के करीब लाती है और लोगों को स्वयं तथा संसार के प्रति एक विस्तृत दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करती है।[7] मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट स्टर्नबर्ग ने अपने प्यार के त्रिकोणीय सिद्धांत में अनुमान लगाया है कि प्रेम तीन भावनाओं का मिश्रण है: 1) जूनून, या शारीरिक आकर्षण, 2) घनिष्ठता, या निकटता की भावनाएं और 3) प्रतिबद्धता, जिसमें संबंध को शुरू करने तथा बनाए रखने का निर्णय भी शामिल है। इन तीनों भावनाओं की उपस्थिति प्रेम की पराकाष्ठा को दर्शाती है, जो चिरकालीन होता है। इसके अतिरिक्त, वैवाहिक संबंधों में घनिष्ठता और जूनून की उपस्थिति वैवाहिक संतुष्टि की द्योतक होती है। साथ ही, प्रतिबद्धता संबंधों में संतुष्टि का सर्वोत्तम द्योतक है, विशेषकर दीर्घकालीन संबंधों में. प्रेम में होने के सकारात्मक परिणामों में आत्मसम्मान और आत्मसामार्थ्य की वृद्धि भी शामिल है।[7]

सिद्धांत और अनुभवजन्य शोध[संपादित करें]

रिश्तों का लिहाज करना[संपादित करें]

रिश्तों के लिहाज का सिद्धांत दर्शाता है कि किस प्रकार संबंधों में निकटता को बढ़ाया जा सकता है। यह, "अपने साथी को जानने की प्रक्रिया है जिसमें किसी संबंध में शामिल व्यक्तियों के निरंतर और पारस्परिक रूप से जुड़े विचार, भावनाएं और व्यवहार शामिल होते हैं।"[8] "लिहाज" के पांच घटकों में शामिल हैं:[7]

  1. एक दूसरे को जानना: साथी को समझने की चेष्टा
  2. संबंध को सुदृढ़ बनाने वाला व्यवहार करना: संदेह का लाभ देना
  3. स्वीकृती और सम्मान: समानुभूति और सामाजिक कौशल
  4. आदान-प्रदान को बनाए रखना: संबंध सुदृढ़ करने में सक्रिय भागीदारी
  5. लिहाज में निरंतरता: लिहाजपूर्ण व्यवहार को निरंतर बनाए रखना

सराहना की संस्कृति[संपादित करें]

मनोवैज्ञानिक जोन गोटमैन ने कई वर्षों तक विवाहित जोड़ों का अध्ययन करने के बाद, सफल शादियों के लिए "जादुई अनुपात" के सिद्धांत को प्रस्तावित किया। सिद्धांत के अनुसार एक शादी की सफलता के लिए, जोड़ों की सकारात्मक और नकारात्मक अंतःक्रियाओं का औसत अनुपात 5:1 होना चाहिए। यदि यह अनुपात 1:1 के निकट पहुँचता है तो तलाक की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।[7] नकारात्मक संबंधों की अंतर्वैयक्तिक अंतःक्रियाओं में आलोचना, तिरस्कार, बचाव और असहयोग शामिल हैं। समय के साथ, उपचार इन अंतर्वैयक्तिक रणनीतियों को शिकायत, प्रशंसा, जिम्मेदारी स्वीकारने और स्वयं को शांत करने जैसी अधिक सकारात्मक रणनीतियों में परिवर्तित करने की चेष्टा करता है। इसके अतिरिक्त, अंतर्वैयक्तिक संबंधों के भागीदार भावनात्मक दूरी से बचने के लिए कठिन विषयों में सकारात्मक घटकों को शामिल कर सकते हैं।

सकारात्मक घटनाओं का लाभ उठाना[संपादित करें]

लोग अपने संबंधों को और सुदृढ़ बनाने के लिए अंतर्वैयक्तिक संदर्भ में सकारात्मक घटनाओं का लाभ उठा सकते हैं। लोग अक्सर अपनी अच्छी ख़बरों को दूसरों के साथ बाँटने की कोशिश करते हैं (इसी को "लाभ उठाना" कहा गया है). अध्ययन दर्शाते हैं कि अच्छी घटनाओं के बारे में दूसरों को बताना और जिन्हें वे बतायी गयी हैं उनकी प्रतिक्रया, इन दोनों कृत्यों के व्यक्तिगत और अंतर्वैयक्तिक प्रभाव होते हैं, जिनमें शामिल हैं सकारात्मक भावनाओं की वृद्धि, व्यक्तिपरक कल्याण, तथा आत्मसम्मान; और साथ ही संबंधों के लाभ में शामिल हैं घनिष्ठता, प्रतिबद्धता, विश्वास, चाहत और स्थिरता.[9] अध्ययन दर्शाते हैं कि सकारात्मक घटनाओं को बाँटने का कृत्य सकारात्मक प्रभाव तथा कल्याण की वृद्धि से जुड़ा हुआ है (स्वयं सकारात्मक घटना के प्रभाव से भी परे). अन्य अध्ययनों में यह पाया गया है कि जिन रिश्तों में साथी अच्छी खबर बताये जाने पर उत्साहपूर्ण प्रतिक्रया प्रदान करते हैं, वहां संबंध अधिक बेहतर होते हैं।[10]

अन्य दृष्टिकोण[संपादित करें]

अंतर्वैयक्तिक संबंधों का तंत्रिकाविज्ञान[संपादित करें]

विविध शाखाओं में किये गए ढेरों शोध कार्य सामने आ रहे हैं जो स्वस्थ वयस्क संबंधों के लिए आवश्यक लगाव और समाज को सुदृढ़ करने वाली भावनाओं तथा व्यवहारों के तंत्रिका विज्ञान आधार की जांच के कार्य में रत हैं।[7] सामाजिक परिवेश और उसमें शामिल लगाव जैसी भावनाएं, एक बच्चे के मस्तिष्क की संरचनाओं की परिपक्वता को प्रभावित करती हैं। साथ ही, यह इस बात को समझने में भी मदद कर सकता है कि बचपन के लगाव, वयस्कों के भावनात्मक स्वास्थ्य को किस प्रकार प्रभावित करते हैं। शोधकर्ता फिलहाल देखभालकर्ता-बच्चे के सकारात्मक संबंधों, तथा एचपीए (HPA) एक्सिस जैसी हॉर्मोन प्रणालियों के विकास के बीच के संबंध की जांच कर रहे हैं।

उपयोग[संपादित करें]

शोधकर्ता जोड़ों के उपचार का एक तरीका विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके माध्यम से उन्हें निरंतर संघर्ष की स्थिति से निकालकर अधिक सकारात्मक तथा सहज आदान-प्रदान की दिशा में ले जाया जा सके। चिकित्सा के लक्ष्यों में सामाजिक और अंतर्वैयक्तिक कौशल का विकास शामिल है। आभार व्यक्त करना और साथी की सराहना करना, एक सकारात्मक संबंध बनाने की नींव के समान है। सकारात्मक वैवाहिक परामर्श भी लिहाजपूर्ण व्यवहार पर जोर देता है। "फलते-फूलते संबंधों के क्षेत्र में किये जाने वाले अध्ययन, विवाहपूर्व और वैवाहिक परामर्श के भविष्य को भी एक नई दिशा प्रदान कर सकते हैं।"[7]

विवाद[संपादित करें]

कुछ शोधकर्ता सकारात्मक मनोविज्ञान की आलोचना इसलिए करते हैं क्योंकि इसमें केवल सकारात्मक प्रक्रियाओं का ही अध्ययन किया जाता है और नकारात्मक प्रक्रियाओं पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया जाता. जबकि, कुछ लोगों का तर्क है कि संबंधों की सकारात्मक और नकारात्मक प्रक्रियाओं को कार्यात्मक रूप से स्वतंत्र क्रियाओं के रूप में बेहतर समझा जा सकता है, एक दूसरे के विपरीत रूप में नहीं। [11]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • ममता
  • लगाव का सिद्धांत
  • विवाहार्थ मिलना जुलना
  • सहानुभूति
  • सशक्तिकरण
  • मित्रता
  • मानव संबंध
  • अंतर्वैयक्तिक आकर्षण
  • अंतर्वैयक्तिक संवाद
  • अंतर्वैयक्तिक अनुकूलता
  • घनिष्ठ संबंध
  • सामूहिकता (मनो गतिकी)
  • प्यार
  • अंतर्वैयक्तिक कौशल
  • सामाजिक अंतःक्रिया
  • सामाजिक अस्वीकृति
  • सहानुभूति
  • संबंधपरक देखभाल का धर्मशास्त्र

सन्दर्भ[संपादित करें]

टिप्पणियां[संपादित करें]

  1. बर्शिड, इ., एंड पेप्लाऊ, एल. ए. (1983). संबंधों का उभरता विज्ञान. एच एच केल्ली में, एट अल. (एड्स.), निकट रिश्ते. (पीपी 19/01). न्यू यॉर्क: डब्ल्यू. एच. फ्रीमन और कंपनी.
  2. करेन रेनॉल्ड्स
  3. डैनियल चेंडलर
  4. बायर्न, डी. (1961). अंतर्वैयक्तिक आकर्षण और दृष्टिकोण समानता. जर्नल ऑफ़ एब्नोर्मल एंड सोशल साइकोलॉजी, 62, 713-715.
  5. लेविन्गेर, जी. (1983). विकास और परिवर्तन. एच एच केल्ली में, एट अल. (एड्स.), निकट रिश्ते. (पीपी 315-359). न्यू यॉर्क: डब्ल्यू. एच. फ्रीमन और कंपनी.
  6. फिन्चम, एफ. डी. और, बीच, एस.आर.एच.(2010). मेमस और शादी की: एक सकारात्मक संबंध विज्ञान की ओर. परिवार सिद्धान्त और समीक्षा की पत्रिका, 2, 4-24.
  7. स्नायडर, सी.आर. और लोपेज, शेन, जे. (2007). "सकारात्मक मनोविज्ञान:मानवीय शक्तियों के वैज्ञानिक और व्यावहारिक अन्वेषण.", थाउसंड ओक्स, कैलिफोर्निया: सेज प्रकाशन, 297-321.
  8. (2009). रिश्तों का संपर्क: लिहाज की भूमिका और निकटता के संवर्धन में विशेष होने की भावना की गुणवत्ता के बारे में एक रीडक्स. (एड्स.) स्नायडर, सी.डी. और लोपेज, सकारात्मक मनोविज्ञान का एस. जे. ऑक्सफ़ोर्ड हैंडबुक: द्वितीय संस्करण ऑक्सफोर्ड: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. 385-392.
  9. गेबल, एस. एल. और रिस, एच. टी. (2010). अच्छी खबर! अंतर्वैयक्तिक सन्दर्भ में सकारात्मक घटनाओं का लाभ उठाना. प्रयोगात्मक सामाजिक मनोविज्ञान की प्रगती, 42, 195-257.
  10. गेबल, एस. एल. और रिस, एच. टी., इम्पेट, इ. ए., अशर, ई.आर. (2004). तुम क्या करते हो जब चीजें सही होती हैं? सकारात्मक घटनाएँ बांटने के आन्तर्वैय्यक्तिक और अंतर्वैयक्तिक लाभ. जर्नल ऑफ़ पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकॉलोजी, 87, 228 - 245.
  11. मनैची, एम.आर. और रिस एच. टी., (2010). सकारात्मक मनोविज्ञान और विज्ञान के संबंध का विवाह: फिन्चम और बीच को एक उत्तर. जर्नल ऑफ़ फैमिली थीअरी एंड रीव्ह्यू, 2, 47-53.

सामान्य सन्दर्भ[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]