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{{Infobox protected area
{{ज्ञानसन्दूक संरक्षित क्षेत्र|name=नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल|alt_name=नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व|iucn_category=|photo=Pic from Doddabetta Peak.jpg|photo_caption=डोड्डाबेट्टा चोटी के ऊपर से नीलगिरि की पहाड़ियाँ|map_image=Nilgiris Biosphere Reserve.jpg|map_alt=|map_caption=|map=India Tamil Nadu#India Kerala#India|relief=1|location=[[दक्षिण भारत]]|nearest_city=|coordinates={{coord|11|33|00|N|76|37|30|E|region:IN|format=dms|display=inline,title}}|coords_ref=|established=1986|visitation_num=|visitation_year=|governing_body=तमिलनाडु वन विभाग, कर्नाटक वन विभाग, केरल वन विभाग, प्रोजेक्ट टाइगर|website=https://www.nbnaturepark.com/}}
| name = नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल
[[File:Logo_of_the_Nilgiri_Biosphere_Reserve.jpg|अंगूठाकार| नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व का लोगो]]
| alt_name = Nilgiri Biosphere Reserve
'''नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल''' या '''नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व''' [[दक्षिण भारत]] में [[पश्चिमी घाट]] के [[नीलगिरि पर्वत|नीलगिरी पहाड़ों]] में एक [[संरक्षित प्रकृतिक्षेत्र|बायोस्फीयर रिजर्व]] है। यह [[भारत]] का सबसे बड़ा संरक्षित वन क्षेत्र है, जो [[तमिल नाडु|तमिलनाडु]], [[कर्नाटक]] और [[केरल]] में फैला हुआ है। <ref>{{Cite news|url=https://www.thehindu.com/news/national/conservationist-joins-sc-panel-on-elephant-corridor-case/article33678554.ece|title=Conservationist joins SC panel on elephant corridor case|last=Correspondent|first=Legal|date=2021-01-27|work=The Hindu|access-date=2021-01-28|language=en-IN|issn=0971-751X}}</ref> इसमें संरक्षित क्षेत्र [[मुदुमलै वन्यजीव अभयारण्य|मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान]], [[मुकुर्ती राष्ट्रीय उद्यान|मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान]], तमिलनाडु में [[सत्यमंगलम वन्य अभयारण्य|सत्यमंगलम वन्यजीव अभयारण्य]]; [[नागरहोल अभयारण्य|नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान]], [[बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान]], दोनों कर्नाटक में; केरल में [[साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान|साइलेंट वैली नेशनल पार्क]], [[आरलम वन्य अभयारण्य|अरलम वन्यजीव अभयारण्य]], [[वायनाड वन्य अभयारण्य|वायनाड वन्यजीव अभयारण्य]] और [[करिम्पुड़ा वन्य अभयारण्य|करिम्पुझा वन्यजीव अभयारण्य]] शामिल हैं।
| iucn_category =

| photo = Doddabetta view.jpg
सितंबर 1986 में मैन एंड बायोस्फीयर प्रोग्राम के तहत [[युनेस्को|यूनेस्को]] द्वारा 5000 वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र को कवर करते हुए नीलगिरी की पहाड़ी श्रृंखलाओं और इसके आसपास के वातावरण को नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में गठित किया गया था। नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व भारत का पहला और प्रमुख बायोस्फीयर रिजर्व है, जिसकी विरासत वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध है। [[बडागास|बडगास]], [[टोडा जनजाति|टोडा]], [[कोटा जनजाति|कोटा]], [[ईरुला|इरुल्ला]], [[कुरुम्बा (जनजाति)|कुरुम्बा]], [[पनिया लोग|पनिया]], [[रावुला|अदियान]], एडानाडन चेत्तिस, अलार और मलायन जैसे जनजातीय समूह रिजर्व के मूल निवासी हैं। <ref>[http://www.nilgiribiospherereserve.com/nilgiri-biosphere-info.html About Nilgiri Biosphere Reserve (NBR)] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20120624034217/http://www.nilgiribiospherereserve.com/nilgiri-biosphere-info.html|date=24 June 2012}} – www.nilgiribiospherereserve.com</ref>
| photo_alt =

| photo_caption = [[दोड्डबेट्ट]] शिखर से नीलगिरि का दृश्य
== शब्द उत्पत्ति ==
| photo_width =
नीलगिरी शब्द [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] शब्द ''नीली'' या ''नीला'' से लिया गया है जिसका अर्थ है नीला और ''गिरी'' का अर्थ पर्वत है। <ref> {{Cite journal|last=Evans, T.|date=1886|title=Tödas. Aborigines of the Nilgiri Hill, South India|url=https://books.google.com/books?id=6xNAAQAAMAAJ&pg=RA1-PA398|journal=The Missionary Herald of the Baptist Missionary Society|pages=398–400}}</ref> <ref>{{Cite book|url=https://books.google.com/books?id=i1YlAAAAMAAJ|title=The Nilgiris: Weather and Climate of a Mountain Area in South India|last=Lengerke|first=H.J.v.|date=1977|publisher=Steiner|isbn=9783515026406|location=Wiesbaden|page=5|language=en}}</ref>
| map_image = Nilgiris Biosphere Reserve.jpg

| map_alt =
== इतिहास ==
| map_caption = नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल का मानचित्र 1/1,300,000
1970 के दशक में, लगभग 5,670 वर्ग किमी का क्षेत्र [[नीलगिरि पर्वत]] में [[भारत के संरक्षित जैवमंडल|भारत के बायोस्फीयर रिजर्व]] की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव था। इस प्रस्तावित क्षेत्र में 2,290 वर्ग किमी का वानिकी क्षेत्र, 2,020 वर्ग किमी का एक कोर ज़ोन, 1,330 वर्ग किमी का कृषि क्षेत्र और 30 वर्ग किमी का एक बहाली क्षेत्र शामिल है। नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व सितंबर 1986 में स्थापित किया गया था और यह [[युनेस्को|यूनेस्को के]] [[मानव और जैवमंडल कार्यक्रम|मैन एंड द बायोस्फीयर प्रोग्राम]] के तहत भारत का पहला बायोस्फीयर रिजर्व है। <ref name="Daniels1996">{{Cite report|title=The Nilgiri Biosphere Reserve: A Review of Conservation Status with Recommendations for a Wholistic Approach to Management|publisher=UNESCO South-South Co-operation Programme for Environmentally Sound Socio-Economic Development in the Humid Tropics|url=http://unesdoc.unesco.org/images/0011/001137/113753eo.pdf}}</ref>
| map_width =

| location = [[तमिल नाडु]], [[कर्नाटक]], [[केरल]]<br>{{IND}}
== भूगोल ==
| nearest_city =
[[चित्र:Nilgiris_Biosphere_Reserve.jpg|अंगूठाकार| नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व का नक्शा]]
| coordinates = {{coord|11|33|00|N|76|37|30|E|region:IN|format=dms|display=inline,title}}
नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व [[कोडगु जिला|कोडागु जिले]] के पूर्वी भाग से पूर्व में [[ईरोड जिला|इरोड जिले]] तक और दक्षिण में [[पालक्काड़ दर्रा|पलक्कड़ गैप]] तक 80 से 2,600 मीटर की ऊंचाई के साथ 5,520 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका बफर जोन 4,280 वर्ग किमी का है और जिसमें 1,250.3 वर्ग किमी का मुख्य क्षेत्र, जिसमें से 701.8 वर्ग किमी कर्नाटक में, 264.5 वर्ग किमी केरल में और 274 वर्ग किमी तमिलनाडु में स्थित है। <ref name="Daniels1996">{{Cite report|url=http://unesdoc.unesco.org/images/0011/001137/113753eo.pdf}}<cite class="citation report cs1" data-ve-ignore="true" id="CITEREFRanjit_Daniels,_R.J.Vijayan,_V.S.1996">Ranjit Daniels, R.J. & Vijayan, V.S. (1996). [http://unesdoc.unesco.org/images/0011/001137/113753eo.pdf The Nilgiri Biosphere Reserve: A Review of Conservation Status with Recommendations for a Wholistic Approach to Management] <span class="cs1-format">(PDF)</span> (Report). Working Paper No. 16. Paris: UNESCO South-South Co-operation Programme for Environmentally Sound Socio-Economic Development in the Humid Tropics.</cite></ref>
| coords_ref =

| area_km2 = 5520
रिजर्व [[उष्ण और उपोष्ण आर्द्र पृथुपर्णी वन|उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय नम चौड़ी पत्ती वाले जंगलों]], घाटों के पश्चिमी ढलानों के [[उष्ण और उपोष्ण आर्द्र पृथुपर्णी वन|उष्णकटिबंधीय नम जंगलों]] से लेकर पूर्वी ढलानों पर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय शुष्क चौड़ी पत्ती वाले उष्णकटिबंधीय सूखे जंगलों तक फैला हुआ है। वर्षा की सीमा 500–7,000 मिमी प्रति वर्ष है। रिजर्व में तीन ईकोरीजन, दक्षिण पश्चिमी घाट के नम पर्णपाती वन, दक्षिण पश्चिमी घाट के पर्वतीय वर्षा वन और दक्षिण दक्कनी पठार के शुष्क पर्णपाती वन शामिल हैं। <ref name=":0">{{Cite book|url=https://www.worldcat.org/oclc/48435361|title=Terrestrial ecoregions of the Indo-Pacific: a Conservation Assessment|last=Wikramanayake|first=Eric D.|date=2002|publisher=Island Press|others=|isbn=1-55963-923-7|location=Washington, D.C.|pages=284-285|oclc=48435361}}</ref>
| established = 1986

| visitation_num =
== वनस्पति वर्ग (फ्लोरा) ==
| visitation_year =
[[चित्र:Shola_forest_from_Nilgiris.jpg|अंगूठाकार| नीलगिरि पहाड़ियों में शोला वन]]
| governing_body =
नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व में 3,700 से अधिक पौधों की प्रजातियां हैं, जिनमें लगभग 200 [[औषधीय पौधे]]; 132 [[तत्रस्थता|स्थानिक (Endemic)]] [[सपुष्पक पौधा|फूल वाले पौधे]], नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व में स्थानिक पौधों की सूची में शामिल हैं। 1,800 मीटर से ऊपर के शोला वन पैच में छोटे [[सदाबहार]] पेड़ उगते हैं और [[अधिपादप|अधिपादपों]] (Ephiphytes) से सुसज्जित हैं। <ref name="Chandrashekara_al2006">{{Cite journal|last=Chandrashekara, U.M.|last2=Muraleedharan, P.K.|last3=Sibichan, V.|year=2006|title=Anthropogenic pressure on structure and composition of a shola forest in Kerala, India|url=https://www.researchgate.net/publication/226385585|journal=Journal of Mountain Science|volume=3|issue=1|pages=58–70|doi=10.1007/s11629-006-0058-0}}</ref>
| url =

}}
18 मीटर की ऊंचाई से ऊपर लंबे पेड़ विशाल मधुमक्खियों ( ''[[एपिस डोरसॅटा|एपिस डोरसाटा]]'' ) द्वारा छत्तों के निर्माण के लिए उपयोग किए जाते हैं, जिसमें ''टेट्रामेल्स न्यूडिफ्लोरा'', इंडियन लॉरेल ( ''फ़िकस माइक्रोकार्पा'' ), कोरोमंडल एबोनी ( ''[[तेन्दु|डायोस्पायरोस मेलानोक्सिलोन]]'' ), पीला सांप का पेड़ ( ''स्टीरियोस्पर्मम टेट्रागोनम'' ), जंग लगी कमला ( ''मैलोटस टेट्राकोकस)'' शामिल हैं। ) और ''एक्रोकार्पस फ्रैक्सिनिफोलियस'' । <ref>{{Cite journal|last=Thomas, S.G.|last2=Varghese, A.|last3=Roy, P.|last4=Bradbear, N.|last5=Potts, S.G.|last6=Davidar, P.|year=2009|title=Characteristics of trees used as nest sites by ''Apis dorsata'' (Hymenoptera, Apidae) in the Nilgiri Biosphere Reserve, India|url=https://repository.si.edu/bitstream/handle/10088/15956/stri_Thomas_Varghese_Roy_Bradbear_Potts_and_Davidar_2009.pdf|journal=Journal of Tropical Ecology|volume=25|issue=5|pages=559–562|doi=10.1017/S026646740900621X}}</ref> जनवरी से मई तक चरम फूलों के मौसम के दौरान, [[सागौन]] ( ''टेक्टोना ग्रैंडिस'' ), लाल देवदार ( ''एरिथ्रोक्साइलम मोनोगिनम'' ), हिप्टेज ( ''हिप्टेज बेंघालेंसिस'' ), बड़े फूलों वाले बे ट्री ( ''पर्सिया मैक्रांथा'' ), जुन्ना बेरी ( ''ज़िज़िफस रगोसा'' ) और रेंगने वाले स्मार्टवीड ( ''पर्सिकेरिया चिनेंसिस'' ) सहित कम से कम 73 प्रजातियां खिलती हैं । वे विशाल मधुमक्खी, एशियाई मधुमक्खी ( ''एपिस सेराना'' ), लाल बौनी मधुमक्खी ( ''ए. फ्लोरिया'' ) और ''ट्राइगोना'' मधुमक्खियों द्वारा [[परागण]] पर निर्भर हैं। <ref name="Thomas_al2009">{{Cite journal|last=Thomas, S.G.|last2=Rehel, M.S.|last3=Varghese, A.|last4=Davidar, P.|last5=Potts, S.G.|year=2009|title=Social bees and food plant associations in the Nilgiri Biosphere Reserve, India|url=https://www.researchgate.net/publication/237584631|journal=Tropical Ecology|volume=50|issue=1|pages=79–88}}</ref>
'''नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल''' [[भारत]] के [[पश्चिमी घाट]] व [[नीलगिरी]] क्षेत्र में स्थित एक [[अंतर्राष्ट्रीय संरक्षित जैवमंडल]] है। [[तमिल नाडु]], [[कर्नाटक]] और [[केरल]] राज्यों में 5,520 वर्ग किमी पर विस्तारित यह क्षेत्र भारत का सबसे बड़ा [[संरक्षित क्षेत्र|संरक्षित वन क्षेत्र]] है। इसमें [[आरलम वन्य अभयारण्य|आरलम]], [[मुदुमलै वन्यजीव अभयारण्य|मुदुमलै]], [[मुकुर्ती राष्ट्रीय उद्यान|मुकुर्ती]], [[नागरहोल अभयारण्य|नागरहोल]], [[बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान|बांदीपुर]] और [[साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान|साइलेंट वैली]] राष्ट्रीय उद्यान और [[वायनाड वन्य अभयारण्य|वायनाड]], [[करिम्पुड़ा वन्य अभयारण्य|करिम्पुड़ा]] और [[सत्यमंगलम वन्य अभयारण्य|सत्यमंगलम]] वन्य अभयारण्य सम्मिलित हैं।<ref>{{Cite news|last=Correspondent|first=Legal|date=2021-01-27|title=Conservationist joins SC panel on elephant corridor case|language=en-IN|work=The Hindu|url=https://www.thehindu.com/news/national/conservationist-joins-sc-panel-on-elephant-corridor-case/article33678554.ece|access-date=2021-01-28|issn=0971-751X}}</ref><ref>{{Cite news|title=The clandestine gold diggers of the Nilgiris|url=https://www.thehindu.com/news/national/tamil-nadu/the-clandestine-gold-diggers-of-the-nilgiris/article23037081.ece|last=Premkumar|first=Rohan|date=10 March 2018|access-date=4 June 2021|work=The Hindu}}</ref>

== पशुवर्ग (फोना) ==

=== पक्षी ===
[[चित्र:The_Black_Chinned_Laughingthrush.jpg|अंगूठाकार|नीलगिरि लाफिंगथ्रश]]
नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व में पक्षियों की 14 प्रजातियां पाई जाती हैं जो पश्चिमी घाट के [[तत्रस्थता|स्थानिक हैं]] । इनमें से, नीलगिरि लाफिंगथ्रश ( ''स्ट्रोफोसिंकला कैचिनन्स'' ) केवल 1,200 से अधिक ऊंचाई पर निवास करती है। अन्य स्थानिकों और निकट-स्थानिकों में शामिल हैं [[नीलगिरि जंगली कबूतर|नीलगिरि वुड-पिजन]], मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, मालाबार पैराकीट, व्हाइट-बेलिड ट्रीपी, व्हाइट- बेलिड शॉर्टविंग, ग्रे- हेडेड बुलबुल, ग्रे-ब्रेस्टेड लाफिंगथ्रश, रूफस बैबलर, ब्लैक-एंड-रूफस फ्लाईकैचर, नीलगिरि फ्लाईकैचर, और नीलगिरी पिपिट । <ref name=":0">{{Cite book|url=https://www.worldcat.org/oclc/48435361|title=Terrestrial ecoregions of the Indo-Pacific: a Conservation Assessment|last=Wikramanayake|first=Eric D.|date=2002|publisher=Island Press|others=|isbn=1-55963-923-7|location=Washington, D.C.|pages=284-285|oclc=48435361}}<cite class="citation book cs1" data-ve-ignore="true" id="CITEREFWikramanayake2002">Wikramanayake, Eric D. (2002). [https://www.worldcat.org/oclc/48435361 ''Terrestrial ecoregions of the Indo-Pacific: a Conservation Assessment'']. Washington, D.C.: Island Press. pp.&nbsp;284–285. [[अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या|ISBN]]&nbsp;[[विशेष: पुस्तक स्रोत/1-55963-923-7|<bdi>1-55963-923-7</bdi>]]. [[ऑनलाइन कंप्यूटर लाइब्रेरी सेंटर|OCLC]]&nbsp;[https://www.worldcat.org/oclc/48435361 48435361].</cite></ref>

=== स्तनधारी ===
 
[[चित्र:2010-kabini-elephant-family.jpg|अंगूठाकार|काबिनी नदी पर एशियाई हाथी]]
नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व और आस-पास के क्षेत्रों में भारत में सबसे बड़ी [[एशियाई हाथी]] ( ''एलिफस मैक्सिमस'' ) की आबादी है, जो 2007 तक 5,750 होने का अनुमान है। झुंड 562–800 वर्ग किमी में विचरण करते हैं , शुष्क मौसम के दौरान इनके बड़े समूह बारहमासी जल स्रोतों पर एकत्रित होते हैं। <ref>{{Cite book|title=Indian Hotspots|last=Baskaran N.|last2=Kanakasabai, R.|last3=Desai, A.A.|publisher=Springer|year=2018|isbn=978-981-10-6604-7|editor-last=Sivaperuman, C.|location=Singapore|pages=295–315|chapter=Ranging and spacing behaviour of Asian Elephant (''Elephas maximus'' Linnaeus) in the tropical forests of Southern India|doi=10.1007/978-981-10-6605-4_15|editor-last2=Venkataraman, K.|chapter-url=}}</ref>

जीवों में स्तनधारियों की 100 से अधिक प्रजातियाँ, पक्षियों की 370 प्रजातियाँ, सरीसृपों की 80 प्रजातियाँ, मछलियों की लगभग 39 प्रजातियाँ, 31 उभयचर और तितलियों की 316 प्रजातियाँ शामिल हैं।{{उद्धरण आवश्यक|date=February 2023}} यह [[बंगाल बाघ|बंगाल टाइगर]], [[भारतीय तेन्दुआ|भारतीय तेंदुआ]], [[चीतल|चीतल हिरण]], [[गौर]], [[साम्भर (हिरण)|सांभर हिरण]], [[सोनकुत्ता|ढोल]], [[सुनहरा गीदड़|सुनहरा सियार]], [[भारतीय सूअर]], [[नीलगिरि तहर]], [[भारतीय चित्तीदार मूषक मृग|भारतीय चित्तीदार चीवरोटेन]], [[कृष्णमृग|काला हिरन]], [[एशियाई ताड़ कस्तूरी बिलाव|एशियाई पाम सीविट]], [[स्लोथ रीछ|स्लोथ भालू]], [[चौसिंगा|चार सींग वाला मृग]], नीलगिरि मार्टन, [[भारतीय सेही|भारतीय कलगीदार साही]], [[भारतीय विशाल गिलहरी|मालाबार विशाल गिलहरी]], [[बिज्जू|हानीबेजर]], भारतीय धूसर नेवला, [[भारतीय पैंगोलिन]], भारतीय लोमड़ी, चिकने कोट वाला ऊदबिलाव, और चित्रित चमकादड़ । प्राइमेट्स में [[लायन टेल्ड मकाक|लायन टेल मकाक]], नीलगिरी लंगूर, [[धूसर लंगूर|ग्रे लंगूर]] और बोनट मकाक शामिल हैं।

=== उभयचर और सरीसृप ===
उभयचरों में बैंगनी मेंढक, साइलेंट वैली ब्रश मेंढक, मालाबार ग्लाइडिंग मेंढक, बेडडोमिक्सलस शामिल हैं। भारत की लगभग पचास प्रतिशत उभयचर प्रजातियाँ और सरीसृपों की लगभग नब्बे प्रजातियाँ इस क्षेत्र की स्थानिक (Endemic) हैं, जिनमें जेनेरा <nowiki><i id="mw4w">ब्राचियोपिहिडियम</i></nowiki>, ''द्रविड़ोगेको'', <nowiki><i id="mw5w">मेलानोफ़िडम</i></nowiki>, ''रिस्टेला'', ''सेलिया'', ''पलेक्ट्रुरस'', ''टेरेट्रूरस'' और ''ज़ाइलोफ़िस'' शामिल हैं। <ref name=":0">{{Cite book|url=https://www.worldcat.org/oclc/48435361|title=Terrestrial ecoregions of the Indo-Pacific: a Conservation Assessment|last=Wikramanayake|first=Eric D.|date=2002|publisher=Island Press|others=|isbn=1-55963-923-7|location=Washington, D.C.|pages=284-285|oclc=48435361}}<cite class="citation book cs1" data-ve-ignore="true" id="CITEREFWikramanayake2002">Wikramanayake, Eric D. (2002). [https://www.worldcat.org/oclc/48435361 ''Terrestrial ecoregions of the Indo-Pacific: a Conservation Assessment'']. Washington, D.C.: Island Press. pp.&nbsp;284–285. [[अंतर्राष्ट्रीय मानक पुस्तक संख्या|ISBN]]&nbsp;[[विशेष: पुस्तक स्रोत/1-55963-923-7|<bdi>1-55963-923-7</bdi>]]. [[ऑनलाइन कंप्यूटर लाइब्रेरी सेंटर|OCLC]]&nbsp;[https://www.worldcat.org/oclc/48435361 48435361].</cite></ref>

== खतरे ==
[[चित्र:Bandipur_fires_2019.jpg|अंगूठाकार| 2019 में बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में जंगल की आग]]
संरक्षित क्षेत्रों के बाहर शोला वनों को विखंडन का खतरा है, विशेष रूप से बस्तियों के आसपास के क्षेत्रों में। <ref name="Chandrashekara_al2006">{{Cite journal|last=Chandrashekara, U.M.|last2=Muraleedharan, P.K.|last3=Sibichan, V.|year=2006|title=Anthropogenic pressure on structure and composition of a shola forest in Kerala, India|url=https://www.researchgate.net/publication/226385585|journal=Journal of Mountain Science|volume=3|issue=1|pages=58–70|doi=10.1007/s11629-006-0058-0}}<cite class="citation journal cs1" data-ve-ignore="true" id="CITEREFChandrashekara,_U.M.Muraleedharan,_P.K.Sibichan,_V.2006">Chandrashekara, U.M.; Muraleedharan, P.K. & Sibichan, V. (2006). [https://www.researchgate.net/publication/226385585 "Anthropogenic pressure on structure and composition of a shola forest in Kerala, India"]. ''Journal of Mountain Science''. '''3''' (1): 58–70. [[डिजिटल वस्तु अभिज्ञापक|doi]]:[[doi:10.1007/s11629-006-0058-0|10.1007/s11629-006-0058-0]]. [[S2CID (पहचानकर्ता)|S2CID]]&nbsp;[https://api.semanticscholar.org/CorpusID:55780505 55780505].</cite></ref> आक्रामक ''पैसिफ्लोरा मोलिसिमा'' की तीव्र और सघन वृद्धि शोला वन पैच में देशी वृक्ष प्रजातियों के पुनर्जनन को रोकती है। <ref>{{Cite journal|last=Jose, F.C.|year=2012|title=The 'living fossil' shola plant community is under threat in upper Nilgiris|url=https://www.researchgate.net/publication/287703029|journal=Current Science|volume=102|issue=8|pages=1091–1092}}</ref>

अवैध शिकार, वनों की कटाई, जंगल की आग और देशी जनजातियों का समाप्त होते जाना, मुख्य खतरे हैं। 1972 में अवैध शिकार कानून द्वारा प्रतिबंधित होने के बावजूद, लोग अभी भी त्वचा, फर या दांत के लिए बाघ, हाथी और चीतल जैसे जानवरों का अवैध शिकार करते हैं। खेती या पशुओं के लिए जंगलों को नष्ट किया जा रहा है। मवेशियों को मारने वाले पशु, किसानों द्वारा मारे जाते हैं। जंगल की आग वनस्पति को नष्ट कर देती है। मूल जनजातियों को उनकी मातृभूमि से निकाला जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप जनजातीय संस्कृति का नुकसान हो रहा है।{{उद्धरण आवश्यक|date=February 2023}}


== इन्हें भी देखें ==
== इन्हें भी देखें ==
* [[संरक्षित जैवमंडल]]
* [[नीलगिरि]]


* [[भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद|भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद]]
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}


== संदर्भ ==
{{Reflist}}{{Protected areas of Karnataka}}{{Protected areas of Kerala}}{{Protected areas of Tamil Nadu}}
[[श्रेणी:पर्वतीय पारिस्थितिकी]]
[[श्रेणी:इंडोमलायन जैवभूक्षेत्र]]
[[श्रेणी:पालक्काड़ ज़िले में पर्यटन आकर्षण]]
[[श्रेणी:वायनाड ज़िले में पर्यटन आकर्षण]]
[[श्रेणी:पालक्काड़ ज़िले का भूगोल]]
[[श्रेणी:पश्चिमी घाट के वन्य अभयारण्य]]
[[श्रेणी:वायनाड ज़िले का भूगोल]]
[[श्रेणी:कर्नाटक के संरक्षित क्षेत्र]]
[[श्रेणी:भारत के संरक्षित जैवमंडल]]
[[श्रेणी:भारत के संरक्षित जैवमंडल]]
[[श्रेणी:केरल के संरक्षित क्षेत्र]]
[[श्रेणी:केरल के संरक्षित क्षेत्र]]
[[श्रेणी:कर्नाटक के संरक्षित क्षेत्र]]
[[श्रेणी:विकिडेटा पर उपलब्ध निर्देशांक]]
[[श्रेणी:तमिल नाडु के संरक्षित क्षेत्र]]
[[श्रेणी:Pages with unreviewed translations]]
[[श्रेणी:पश्चिमी घाट के वन्य अभयारण्य]]
[[श्रेणी:इंडोमलायन जैवभूक्षेत्र]]

03:25, 4 अप्रैल 2023 का अवतरण

नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल
नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व
डोड्डाबेट्टा चोटी के ऊपर से नीलगिरि की पहाड़ियाँ
नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल की अवस्थिति दिखाता मानचित्र
नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल की अवस्थिति दिखाता मानचित्र
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अवस्थितिदक्षिण भारत
निर्देशांक11°33′00″N 76°37′30″E / 11.55000°N 76.62500°E / 11.55000; 76.62500निर्देशांक: 11°33′00″N 76°37′30″E / 11.55000°N 76.62500°E / 11.55000; 76.62500
स्थापित1986
शासी निकायतमिलनाडु वन विभाग, कर्नाटक वन विभाग, केरल वन विभाग, प्रोजेक्ट टाइगर
वेबसाइटhttps://www.nbnaturepark.com/
चित्र:Logo of the Nilgiri Biosphere Reserve.jpg
नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व का लोगो

नीलगिरि संरक्षित जैवमंडल या नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट के नीलगिरी पहाड़ों में एक बायोस्फीयर रिजर्व है। यह भारत का सबसे बड़ा संरक्षित वन क्षेत्र है, जो तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में फैला हुआ है। [1] इसमें संरक्षित क्षेत्र मुदुमलाई राष्ट्रीय उद्यान, मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान, तमिलनाडु में सत्यमंगलम वन्यजीव अभयारण्य; नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, दोनों कर्नाटक में; केरल में साइलेंट वैली नेशनल पार्क, अरलम वन्यजीव अभयारण्य, वायनाड वन्यजीव अभयारण्य और करिम्पुझा वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।

सितंबर 1986 में मैन एंड बायोस्फीयर प्रोग्राम के तहत यूनेस्को द्वारा 5000 वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र को कवर करते हुए नीलगिरी की पहाड़ी श्रृंखलाओं और इसके आसपास के वातावरण को नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में गठित किया गया था। नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व भारत का पहला और प्रमुख बायोस्फीयर रिजर्व है, जिसकी विरासत वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध है। बडगास, टोडा, कोटा, इरुल्ला, कुरुम्बा, पनिया, अदियान, एडानाडन चेत्तिस, अलार और मलायन जैसे जनजातीय समूह रिजर्व के मूल निवासी हैं। [2]

शब्द उत्पत्ति

नीलगिरी शब्द कन्नड़ शब्द नीली या नीला से लिया गया है जिसका अर्थ है नीला और गिरी का अर्थ पर्वत है। [3] [4]

इतिहास

1970 के दशक में, लगभग 5,670 वर्ग किमी का क्षेत्र नीलगिरि पर्वत में भारत के बायोस्फीयर रिजर्व की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव था। इस प्रस्तावित क्षेत्र में 2,290 वर्ग किमी का वानिकी क्षेत्र, 2,020 वर्ग किमी का एक कोर ज़ोन, 1,330 वर्ग किमी का कृषि क्षेत्र और 30 वर्ग किमी का एक बहाली क्षेत्र शामिल है। नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व सितंबर 1986 में स्थापित किया गया था और यह यूनेस्को के मैन एंड द बायोस्फीयर प्रोग्राम के तहत भारत का पहला बायोस्फीयर रिजर्व है। [5]

भूगोल

नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व का नक्शा

नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व कोडागु जिले के पूर्वी भाग से पूर्व में इरोड जिले तक और दक्षिण में पलक्कड़ गैप तक 80 से 2,600 मीटर की ऊंचाई के साथ 5,520 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका बफर जोन 4,280 वर्ग किमी का है और जिसमें 1,250.3 वर्ग किमी का मुख्य क्षेत्र, जिसमें से 701.8 वर्ग किमी कर्नाटक में, 264.5 वर्ग किमी केरल में और 274 वर्ग किमी तमिलनाडु में स्थित है। [5]

रिजर्व उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय नम चौड़ी पत्ती वाले जंगलों, घाटों के पश्चिमी ढलानों के उष्णकटिबंधीय नम जंगलों से लेकर पूर्वी ढलानों पर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय शुष्क चौड़ी पत्ती वाले उष्णकटिबंधीय सूखे जंगलों तक फैला हुआ है। वर्षा की सीमा 500–7,000 मिमी प्रति वर्ष है। रिजर्व में तीन ईकोरीजन, दक्षिण पश्चिमी घाट के नम पर्णपाती वन, दक्षिण पश्चिमी घाट के पर्वतीय वर्षा वन और दक्षिण दक्कनी पठार के शुष्क पर्णपाती वन शामिल हैं। [6]

वनस्पति वर्ग (फ्लोरा)

नीलगिरि पहाड़ियों में शोला वन

नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व में 3,700 से अधिक पौधों की प्रजातियां हैं, जिनमें लगभग 200 औषधीय पौधे; 132 स्थानिक (Endemic) फूल वाले पौधे, नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व में स्थानिक पौधों की सूची में शामिल हैं। 1,800 मीटर से ऊपर के शोला वन पैच में छोटे सदाबहार पेड़ उगते हैं और अधिपादपों (Ephiphytes) से सुसज्जित हैं। [7]

18 मीटर की ऊंचाई से ऊपर लंबे पेड़ विशाल मधुमक्खियों ( एपिस डोरसाटा ) द्वारा छत्तों के निर्माण के लिए उपयोग किए जाते हैं, जिसमें टेट्रामेल्स न्यूडिफ्लोरा, इंडियन लॉरेल ( फ़िकस माइक्रोकार्पा ), कोरोमंडल एबोनी ( डायोस्पायरोस मेलानोक्सिलोन ), पीला सांप का पेड़ ( स्टीरियोस्पर्मम टेट्रागोनम ), जंग लगी कमला ( मैलोटस टेट्राकोकस) शामिल हैं। ) और एक्रोकार्पस फ्रैक्सिनिफोलियस[8] जनवरी से मई तक चरम फूलों के मौसम के दौरान, सागौन ( टेक्टोना ग्रैंडिस ), लाल देवदार ( एरिथ्रोक्साइलम मोनोगिनम ), हिप्टेज ( हिप्टेज बेंघालेंसिस ), बड़े फूलों वाले बे ट्री ( पर्सिया मैक्रांथा ), जुन्ना बेरी ( ज़िज़िफस रगोसा ) और रेंगने वाले स्मार्टवीड ( पर्सिकेरिया चिनेंसिस ) सहित कम से कम 73 प्रजातियां खिलती हैं । वे विशाल मधुमक्खी, एशियाई मधुमक्खी ( एपिस सेराना ), लाल बौनी मधुमक्खी ( ए. फ्लोरिया ) और ट्राइगोना मधुमक्खियों द्वारा परागण पर निर्भर हैं। [9]

पशुवर्ग (फोना)

पक्षी

नीलगिरि लाफिंगथ्रश

नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व में पक्षियों की 14 प्रजातियां पाई जाती हैं जो पश्चिमी घाट के स्थानिक हैं । इनमें से, नीलगिरि लाफिंगथ्रश ( स्ट्रोफोसिंकला कैचिनन्स ) केवल 1,200 से अधिक ऊंचाई पर निवास करती है। अन्य स्थानिकों और निकट-स्थानिकों में शामिल हैं नीलगिरि वुड-पिजन, मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, मालाबार पैराकीट, व्हाइट-बेलिड ट्रीपी, व्हाइट- बेलिड शॉर्टविंग, ग्रे- हेडेड बुलबुल, ग्रे-ब्रेस्टेड लाफिंगथ्रश, रूफस बैबलर, ब्लैक-एंड-रूफस फ्लाईकैचर, नीलगिरि फ्लाईकैचर, और नीलगिरी पिपिट । [6]

स्तनधारी

 

काबिनी नदी पर एशियाई हाथी

नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व और आस-पास के क्षेत्रों में भारत में सबसे बड़ी एशियाई हाथी ( एलिफस मैक्सिमस ) की आबादी है, जो 2007 तक 5,750 होने का अनुमान है। झुंड 562–800 वर्ग किमी में विचरण करते हैं , शुष्क मौसम के दौरान इनके बड़े समूह बारहमासी जल स्रोतों पर एकत्रित होते हैं। [10]

जीवों में स्तनधारियों की 100 से अधिक प्रजातियाँ, पक्षियों की 370 प्रजातियाँ, सरीसृपों की 80 प्रजातियाँ, मछलियों की लगभग 39 प्रजातियाँ, 31 उभयचर और तितलियों की 316 प्रजातियाँ शामिल हैं।[उद्धरण चाहिए] यह बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुआ, चीतल हिरण, गौर, सांभर हिरण, ढोल, सुनहरा सियार, भारतीय सूअर, नीलगिरि तहर, भारतीय चित्तीदार चीवरोटेन, काला हिरन, एशियाई पाम सीविट, स्लोथ भालू, चार सींग वाला मृग, नीलगिरि मार्टन, भारतीय कलगीदार साही, मालाबार विशाल गिलहरी, हानीबेजर, भारतीय धूसर नेवला, भारतीय पैंगोलिन, भारतीय लोमड़ी, चिकने कोट वाला ऊदबिलाव, और चित्रित चमकादड़ । प्राइमेट्स में लायन टेल मकाक, नीलगिरी लंगूर, ग्रे लंगूर और बोनट मकाक शामिल हैं।

उभयचर और सरीसृप

उभयचरों में बैंगनी मेंढक, साइलेंट वैली ब्रश मेंढक, मालाबार ग्लाइडिंग मेंढक, बेडडोमिक्सलस शामिल हैं। भारत की लगभग पचास प्रतिशत उभयचर प्रजातियाँ और सरीसृपों की लगभग नब्बे प्रजातियाँ इस क्षेत्र की स्थानिक (Endemic) हैं, जिनमें जेनेरा <i id="mw4w">ब्राचियोपिहिडियम</i>, द्रविड़ोगेको, <i id="mw5w">मेलानोफ़िडम</i>, रिस्टेला, सेलिया, पलेक्ट्रुरस, टेरेट्रूरस और ज़ाइलोफ़िस शामिल हैं। [6]

खतरे

2019 में बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में जंगल की आग

संरक्षित क्षेत्रों के बाहर शोला वनों को विखंडन का खतरा है, विशेष रूप से बस्तियों के आसपास के क्षेत्रों में। [7] आक्रामक पैसिफ्लोरा मोलिसिमा की तीव्र और सघन वृद्धि शोला वन पैच में देशी वृक्ष प्रजातियों के पुनर्जनन को रोकती है। [11]

अवैध शिकार, वनों की कटाई, जंगल की आग और देशी जनजातियों का समाप्त होते जाना, मुख्य खतरे हैं। 1972 में अवैध शिकार कानून द्वारा प्रतिबंधित होने के बावजूद, लोग अभी भी त्वचा, फर या दांत के लिए बाघ, हाथी और चीतल जैसे जानवरों का अवैध शिकार करते हैं। खेती या पशुओं के लिए जंगलों को नष्ट किया जा रहा है। मवेशियों को मारने वाले पशु, किसानों द्वारा मारे जाते हैं। जंगल की आग वनस्पति को नष्ट कर देती है। मूल जनजातियों को उनकी मातृभूमि से निकाला जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप जनजातीय संस्कृति का नुकसान हो रहा है।[उद्धरण चाहिए]

इन्हें भी देखें

संदर्भ

  1. Correspondent, Legal (2021-01-27). "Conservationist joins SC panel on elephant corridor case". The Hindu (अंग्रेज़ी में). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-751X. अभिगमन तिथि 2021-01-28.
  2. About Nilgiri Biosphere Reserve (NBR) Archived 24 जून 2012 at the वेबैक मशीन – www.nilgiribiospherereserve.com
  3. Evans, T. (1886). "Tödas. Aborigines of the Nilgiri Hill, South India". The Missionary Herald of the Baptist Missionary Society: 398–400.
  4. Lengerke, H.J.v. (1977). The Nilgiris: Weather and Climate of a Mountain Area in South India (अंग्रेज़ी में). Wiesbaden: Steiner. पृ॰ 5. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9783515026406.
  5. The Nilgiri Biosphere Reserve: A Review of Conservation Status with Recommendations for a Wholistic Approach to Management. UNESCO South-South Co-operation Programme for Environmentally Sound Socio-Economic Development in the Humid Tropics. (Report). सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "Daniels1996" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  6. Wikramanayake, Eric D. (2002). Terrestrial ecoregions of the Indo-Pacific: a Conservation Assessment. Washington, D.C.: Island Press. पपृ॰ 284–285. OCLC 48435361. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1-55963-923-7. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; ":0" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  7. Chandrashekara, U.M.; Muraleedharan, P.K.; Sibichan, V. (2006). "Anthropogenic pressure on structure and composition of a shola forest in Kerala, India". Journal of Mountain Science. 3 (1): 58–70. डीओआइ:10.1007/s11629-006-0058-0. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "Chandrashekara_al2006" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
  8. Thomas, S.G.; Varghese, A.; Roy, P.; Bradbear, N.; Potts, S.G.; Davidar, P. (2009). "Characteristics of trees used as nest sites by Apis dorsata (Hymenoptera, Apidae) in the Nilgiri Biosphere Reserve, India" (PDF). Journal of Tropical Ecology. 25 (5): 559–562. डीओआइ:10.1017/S026646740900621X.
  9. Thomas, S.G.; Rehel, M.S.; Varghese, A.; Davidar, P.; Potts, S.G. (2009). "Social bees and food plant associations in the Nilgiri Biosphere Reserve, India". Tropical Ecology. 50 (1): 79–88.
  10. Baskaran N.; Kanakasabai, R.; Desai, A.A. (2018). "Ranging and spacing behaviour of Asian Elephant (Elephas maximus Linnaeus) in the tropical forests of Southern India". प्रकाशित Sivaperuman, C.; Venkataraman, K. (संपा॰). Indian Hotspots. Singapore: Springer. पपृ॰ 295–315. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-981-10-6604-7. डीओआइ:10.1007/978-981-10-6605-4_15.
  11. Jose, F.C. (2012). "The 'living fossil' shola plant community is under threat in upper Nilgiris". Current Science. 102 (8): 1091–1092.

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