"न्यूमोनिया": अवतरणों में अंतर

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संपूर्ण विघटन के लिये आमतौर पर मौखिक एंटीबायोटिक्स, आराम और सरल [[एन्लजेसिक्स]] और तरल की अधिक मात्रा।<ref name=BTS09/> हलांकि, अन्य चिकित्सीय स्थितियों वाले, बुजुर्ग या श्वसन में महत्वपूर्ण कठिनाई वालों को अधिक गहन देखभाल की आवश्यकता पड़ती है। यदि लक्षण और खराब होते हैं, निमोनिया घर पर दिये जाने वाले उपचार से सुधरता नहीं है या जटिलतायें होती हैं तो अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता पड़ सकती है।<ref name=BTS09/> वैश्विक रूप से बच्चों में लगभग 7–13% मामलों में अस्पताल में भर्ती करवाने की आवश्यकता पड़ती है <ref name=Develop11/>जबकि विकसित दुनिया में वयस्कों में 22 से 42% वे लोग, जिनमें सामुदायिक रूप से अर्जित निमोनिया होता है, अस्पताल में भर्ती होते हैं।<ref name=BTS09/> वयस्कों में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत के निर्धारण के लिये [[सीयूआरबी-65]] स्कोर उपयोगी होता है।<ref name=BTS09/> यदि स्कोर 0 या 1 है तो लोग आमतौर पर घर पर रह कर उपचार करा सकते हैं, यदि स्कोर 2 है तो अस्पताल में थोड़ी सी अवधि के लिये भर्ती होना या नज़दीकी फॉलोअप की आवश्यकता होती है यदि यह 3-5 है तो अस्पताल में भर्ती होने की अनुशंसा की जाती है।<ref name=BTS09/> [[Dyspnea|श्वसन परेशानी]] या ऑक्सीजन संतृप्तता के 90% से कम होने पर बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिये।<ref name=PIDS11>{{cite journal|last=Bradley|first=JS|coauthors=Byington, CL, Shah, SS, Alverson, B, Carter, ER, Harrison, C, Kaplan, SL, Mace, SE, McCracken GH, Jr, Moore, MR, St Peter, SD, Stockwell, JA, Swanson, JT|title=The Management of Community-Acquired Pneumonia in Infants and Children Older Than 3 Months of Age: Clinical Practice Guidelines by the Pediatric Infectious Diseases Society and the Infectious Diseases Society of America|journal=Clinical infectious diseases : an official publication of the Infectious Diseases Society of America|date=2011-08-31|pmid =21880587|volume= 53|issue= 7|pages= e25–76|doi=10.1093/cid/cir531}}</ref> निमोनिया में [[सीने की फिज़ियोथेरेपी]] की उपयोगिता अभी तक निर्धारित नहीं है।<ref>{{cite journal|last=Yang|first=M|coauthors=Yuping, Y, Yin, X, Wang, BY, Wu, T, Liu, GJ, Dong, BR|title=Chest physiotherapy for pneumonia in adults|journal=Cochrane database of systematic reviews |date=2010-02-17|issue= 2|pages=CD006338|pmid=20166082|doi= 10.1002/14651858.CD006338.pub2 |editor1-last=Dong|editor1-first=Bi Rong}}</ref> [[Mechanical ventilation|नॉन-इन्वेसिव वेन्टिलेशन]] [[गहन देखभाल इकाई]] में भर्ती लोगों के लिये लाभकारी हो सकता है।<ref>{{cite journal|last=Zhang|first=Y|coauthors=Fang, C; Dong, BR; Wu, T; Deng, JL|title=Oxygen therapy for pneumonia in adults|journal=Cochrane database of systematic reviews |date=14 March 2012|volume=3|pages=CD006607|pmid=22419316|doi=10.1002/14651858.CD006607.pub4|editor1-last=Dong|editor1-first=Bi Rong}}</ref>काउंटर पर बेची जाने वाली [[खांसी की दवा]] को प्रभावी नहीं पाया गया है <ref name=Chang2012>{{cite journal |author=Chang CC, Cheng AC, Chang AB |title=Over-the-counter (OTC) medications to reduce cough as an adjunct to antibiotics for acute pneumonia in children and adults |journal=Cochrane Database Syst Rev |volume=2 |issue= |pages=CD006088 |year=2012 |pmid=22336815|doi=10.1002/14651858.CD006088.pub3 |editor1-last=Chang |editor1-first=Christina C}}</ref> और बच्चों में [[ज़िंक]] का उपयोग भी प्रभावी नहीं है।<ref>{{cite journal|last=Haider|first=BA|coauthors=Lassi, ZS; Ahmed, A; Bhutta, ZA|title=Zinc supplementation as an adjunct to antibiotics in the treatment of pneumonia in children 2 to 59 months of age|journal=Cochrane database of systematic reviews |date=5 October 2011|issue=10|pages=CD007368|pmid=21975768|doi=10.1002/14651858.CD007368.pub2|editor1-last=Bhutta|editor1-first=Zulfiqar A}}</ref> [[म्यूकोलिक्टस]]के लिये भी अपर्याप्त साक्ष्य ही उपलब्ध हैं।<ref name=Chang2012/>


== इन्हें भी देखें ==
== इन्हें भी देखें ==

13:39, 1 अप्रैल 2013 का अवतरण

Pneumonia
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
A chest X-ray showing a very prominent wedge-shaped bacterial pneumonia in the right lung.
आईसीडी-१० J12., J13., J14., J15.,J16., J17., J18., P23.
आईसीडी- 480-486, 770.0
डिज़ीज़-डीबी 10166
मेडलाइन प्लस 000145
ईमेडिसिन topic list
एम.ईएसएच D011014


निमोनिया फेफड़े में सूजन वाली एक परिस्थिति है—जो प्राथमिक रूप से अल्वियोली(कूपिका) कहे जाने वाले बेहद सूक्ष्म (माइक्रोस्कोपिक) वायु कूपों को प्रभावित करती है।[1][2] यह मुख्य रूप से वायरस या बैक्टीरिया और कम आम तौर पर माइक्रोऑर्गेनिज़्म, कुछदवाओं और अन्य परिस्थितियों जैसे स्वतः प्रतिरक्षा रोगों द्वारा संक्रमण द्वारा होती है।[1][3]

आम लक्षणों में खांसी, सीने का दर्द, बुखार और सांस लेने में कठिनाई शामिल है।[4] नैदानिक उपकरणों में, एक्स-रे और बलगम का कल्चर शामिल है। कुछ प्रकार के निमोनिया की रोकथाम के लिये टीके उपलब्ध हैं। उपचार, अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करते हैं। प्रकल्पित बैक्टीरिया जनित निमोनिया का उपचार एंटीबायोटिक द्वारा किया जाता है। यदि निमोनिया गंभीर हो तो प्रभावित व्यक्ति को आम तौर पर अस्पताल में भर्ती किया जाता है।

वार्षिक रूप से, निमोनिया लगभग 450 मिलियन लोगों को प्रभावित करता है जो कि विश्व की जनसंख्या का सात प्रतिशत है और इसके कारण लगभग 4 मिलियन मृत्यु होती हैं। 19वीं शताब्दी में विलियम ओस्लर द्वारा निमोनिया को "मौत बांटने वाले पुरुषों का मुखिया" कहा गया था,[5] लेकिन 20वीं शताब्दी में एंटीबायोटिक उपचार और टीकों के आने से बचने वाले लोगों की संख्या बेहतर हुई है।[6]बावजूद इसके, विकासशील देशों में, बहुत बुज़ुर्गों, बहुत युवा उम्र के लोगों और जटिल रोगियों में निमोनिया अभी मृत्यु का प्रमुख कारण बना हुआ है।[6][7]

चिह्न तथा लक्षण

Symptoms frequency[8]
लक्षण आवृत्ति
खांसी
79–91%
थकान
90%
बुखार
71–75%
सांस की तकलीफ
67–75%
बलगम
60–65%
सीने का दर्द
39–49%
A diagram of the human body outlining the key symptoms of pneumonia
संक्रामक निमोनिया के मुख्य लक्षण

संक्रामक निमोनिया से पीड़ित लोगों में अक्सर बलगम वाली खांसी, बुखार के साथ कंपकपी वाली ठंड,सांस में तकलीफ, गहरी सांस लेने पर तीखा व चुभन वाला छाती का दर्द और बढ़ी श्वसन दरके लक्षण होते हैं।[9] बुज़ुर्गों में, मतिभ्रम सबसे प्रमुख चिह्न हो सकता है।[9] पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बुखार, खांसी, तेज या सांस लेने में कठिनाई आम चिह्न हैं।[10]

बुखार बहुत विशिष्ट लक्षण नहीं है क्योंकि यह सामान्य बीमारियों में भी होता है क्योंकि कई गंभीर रोगों से या कुपोषण से पीड़ित लोगों में नहीं भी हो सकता है। इशके अतिरिक्त 2 माह से कम उम्र के बच्चों में खांसी अक्सर नहीं होती है।[10] अधिक गंभीर चिह्नों और लक्षणों में त्वचा की नीली रंगत, प्यास में कमीं, बेहोशी और ऐंठन, बार-बार उल्टी या चेतना का घटा स्तरशामिल हो सकता है।[10][11]

निमोनिया के बैक्टीरिया तथा वायरस जनित मामलों में आम तौर पर समान लक्षण होते हैं।[12] कुछ मामले परंपरागत लेकिन, गैर-विशिष्ट, चिकित्सीय विशिष्टताओं से जुड़े होते हैं।लेगियोनेला द्वारा हुए निमोनिया में पेड़ू दर्द, डायरियाया मतिभ्रम हो सकता है,[13] जबकि स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया द्वारा हुए निमोनिया में जंग जैसे रंग वाला बलगम, [14] और क्लेबसिएला द्वारा हुए निमोनिया में “करेंट जेली” के नाम से जाने वाला खूनी बलगम हो सकता है।[8] खूनी बलगम (हेमोप्टाइसिस नामक) तपेदिक ग्राम नकारात्मक निमोनिया और फेफड़े के फोड़े के साथ-साथ तीव्र ब्रोंकाइटिस के साथ भी हो सकता है। [11] माइकोप्लाज़्मा निमोनिया में गर्दन में लिम्फ नोड्स की सूजन, जोड़ों में दर्द या कान के मध्य में संक्रमणहो सकता है।[11] वायरस जनित निमोनिया में बैक्टीरिया जनित निमोनिया की तुलना में आम तौर पर घरघराहट अधिक होती है।[12]

कारण

Three one round objects in a black background
इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की छवि में निमोनिया का आम कारण बैक्टीरियम स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया

निमोनिया मुख्य रूप से बैक्टीरिया या वायरस द्वारा और कम आम तौर पर फफूंद और परजीवियों द्वारा होता है। हलांकि संक्रामक एजेंटों के 100 से अधिक उपभेदों की पहचान की गयी है लेकिन अधिकांश मामलों के लिये इनमें केवल कुछ ही जिम्मेदार हैं। वायरस व बैक्टीरिया के मिश्रित कारण वाले संक्रमण बच्चों के संक्रमणों के मामलों में 45% तक और वयस्कों में 15% तक जिम्मेदार होते हैं।[6] सावधानी के साथ किये गये परीक्षणों के बावजूद लगभग आधे मामलों में कारक एजेंट पृथक नहीं किये जा सकते हैं।[15]

शब्द निमोनिया व्यापक रूप से कई बार फेफड़ों की सूजन की किसी भी स्थिति (उदाहरण के लिये स्वतः प्रतिरोधी रोग, रसायन से जलने पर या दवाओं की प्रतिक्रिया) पर लागू किये जा सकते हैं; हलांकि, इस सूजन को अधिक सटीक रूप से न्यूमोनाइटिस कहा जाता है।[16][17] संक्रामक एजेंट अनुमानित प्रस्तुतियों के आधार पर ऐतिहासिक रूप से “सामान्य” और “असामान्य” एजेंटों में विभाजित किये किये गये थे लेकिन साक्ष्य इस विभेद का समर्थन नहीं करते हैं, इस कारण अब इस पर जोर नहीं दिया जाता है।[18]

निमोनिया होने की संभावना को बढ़ाने वाली परिस्थितियों और जोखिम कारकों में धूम्रपान, प्रतिरक्षा की कमी तथा मद्यपान की लत, गंभीर प्रतिरोधी फेफड़ा रोग, गंभीर गुर्दा रोग और यकृत रोग शामिल हैं।[11] अम्लता-दबाने वाली दवाओं जैसे प्रोटॉन-पंप इन्हिबटर्स या H2 ब्लॉकर्स का उपयोग निमोनिया के बढ़े [19] जोखिम से संबंधित है। उम्र का अधिक होना निमोनिया के होने को बढ़ावा देता है।[11]

बैक्टीरिया

समुदाय उपार्जित निमोनिया (सीएपी) के मुख्य कारक बैक्टीरिया है, जिसमें से स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया लगभग 50% मामलों से जुड़ा होता है।[20][21] आम तौर पर शामिल अलग तरह के अन्य बैक्टीरिया में 20% में हीमोफीलस इन्फ्युएंज़ा, 13% में क्लैमाइडोफिला निमोनिया और 3% में मिकोप्लाज़्मा निमोनिया;[20] स्टैफिलोकॉकस ऑरियस; मोराक्सेला कैटराहैलिस; लैगियोनेला न्यूमोफेला और ग्राम-निगेटिव बासिलि शामिल है।[15] उपरोक्त संक्रमणों के कई दवा प्रतिरोधी संस्करण अब और आम होते जा रहे हैं जिनमें दवा प्रतिरोधी स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया (डीआरएसपी) और मेथिसिलीन- प्रतिरोधी स्ट्रेप्टोकॉकस ऑरियस(एमआरएसए)शामिल है।[11]


जब जोखिम कारक उपस्थित हों तो जीवाणुओं के विस्तार को सुविधा मिलती है।[15] मद्यपान की लत स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया, एनाएरोबिक ऑर्गेनिज़्म और माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस से जुड़ी हुई है; धूम्रपान स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया, हेमोफिलस इन्फ्युएन्ज़ा, मॉरेक्सेला केटराहेलिस, और लेगोइयोनेला न्यूमोफिला के प्रभावों को पैदा करता है। चिड़ियों से एक्सपोज़रकैमिडिया सिटासी के साथ; पालतू जानवर कॉक्सिएला बुर्नेती के साथ; पेच की सामग्री में बाहरी पदार्थ का प्रवेश एनाएरोबिक ऑर्गेनिज़्म के साथ और सिस्टिक फ्राइब्रोसिस,स्यूडोमोनस एरयूजिनोसातथा स्ट्रेप्टोकॉकस ऑयरियस से संबंधित है। [15]स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया जाड़े में अधिक आम है,[15] और ऐसे लोगों में इसका संदेह अधिक किया जाना चाहिये जो एनाएरोबिक ऑर्गेनिज़्म का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं।[11]


वायरस

वयस्कों में, वायरस लगभग एक तिहाई मामलों के लिये[6] और बच्चों में लगभग 15% निमोनिया के मामलों के लिये जिम्मेदार है। [22] आम तौर पर शामिल एजेंटों में राइनोवायरस, कोरोनावायरस, इन्फ्यूएंज़ा वायरस,रेस्पिरेटरी सिन्साइटियल वायरस (आरएसवी), एडीनोवायरस और पैराइन्फ्युएन्ज़ाशामिल है।[6][23] हरपीस सिम्प्लेक्स वायरस नवजात शिशुओं, कैंसर पीड़ित लोगों, अंग प्रत्यारोपण स्वीकार करने वालों और काफी जल गये लोगों के समूहों को छोड़ कर, बेहद कम निमोनिया पैदा करता है।[24] अंग प्रत्यारोपण करा चुके या प्रतिरोधकता हास वाले लोगों में साइटोमोगालोवायरस निमोनिया की उच्च दर होती है।[22][24] वायरस संक्रमणों से पीड़ित, स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया, स्ट्रेप्टोकॉकस ऑयरियस, हेमोफिलस इन्फ्युएन्ज़ा बैक्टीरिया से द्वितीयक रूप से पीड़ित हो सकते हैं, विशेष रूप से तब जबकि अन्य स्वास्थ्य समस्यायें उपस्थित हों।[11][22] भिन्न-भिन्न वायरस वर्ष की भिन्न-भिन्न अवधियों में प्रबलता दिखाते हैं।[22] अन्य वायरसों का प्रभाव भी कभी–कभी होता है जैसे कि हान्टावायरस और कोरोनावायरस[22]


फफूंद

फफूंद से होने वाला निमोनिया असामान्य है लेकिन उन लोगों मे अधिक आम तौर पर होता है जो एड्स, प्रतिरोधकता विरोधी दवा या अन्य चिकित्सीय कारणों से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्या से पीड़ित होते हैं।[15][25]यह अक्सर हिस्टोप्लाज़्मा कैप्स्यूलेटम, ब्लास्टोमाइसेस, क्रिप्टोकॉकस नियोफॉर्मन्स, न्यूमोनाइटिस जिरोवेसि और कॉकिडायोइडेस इमिटिसद्वारा होता है। हिस्टोप्लास्मोसिस मिसिसिपी नदी घाटी में और कॉकिडियोआइडोमाइकोसिस, दक्षिणपश्चिम संयुक्त राज्य अमरीका में सबसे अधिक आम है।[15] जनसंख्या में यात्रा की दरों और रोग-प्रतिरोधकता में कमीं के कारण, 20 वीं शताब्दी के बाद के वर्षों में मामलों की दर बढ़ रही है।[25]

परजीवी

कई प्रकार के परजीवी फेफड़ों को प्रभावित कर सकते हैं जिनमें टोक्सोप्लाज़्मा गोन्डी, स्ट्रॉन्गीलॉएडस स्टेकोरालिस,ऐस्केरिस ल्युम्ब्रीकॉएड्स और प्लास्मोडियम मलेरियाशामिल है।[26] ये जीव आम तौर पर शरीर में त्वचा के साथ सीधे संपर्क, अंतर्ग्रहण, कीट के काटने से दाखिल होते हैं।[26] पैरागोनिमस वेस्टरमानि छोड़ कर अधिकतर परजीवी विशिष्ट रूप से फेफड़ों को प्रभावित नहीं करते हैं लेकिन फेफड़ों को दूसरे स्थानों से द्वतीयक रूप में शामिल करते हैं।[26] कुछ परजीवी, विशेष रूप से वे जो एस्केरिस औरस्ट्रॉन्गीलॉएड्स प्रजाति से होते हैं, गंभीर स्नोफीलिक प्रतिक्रिया उकसाते हैं, जिसके कारण स्नोफीलिक निमोनियाहो सकता है।[26] दूसरे संक्रमणों में जैसे कि मलेरिया आदि में फेफड़ों का शामिल होना प्राथमिक रूप से साइटोकाइन- प्रेरित प्रणालीगत सूजन, के कारण होता है।[26] विकसित दुनिया में ये संक्रमण, यात्रा से वापस आये लोगों या प्रवासियों के माध्यम से अधिक आम रूप से फैलता है।[26] वैश्विक रूप से ये संक्रमण उन जगहों पर अधिक आम है जहां पर रोग-प्रतिरोधकता कम है।[27]

इडियोपैथिक(ऐसे रोग से संबंधित जिसका कोई कारण न हो)

इडियोपैथिक इंटरस्टिशियल निमोनिया या गैर संक्रामक निमोनिया [28] विसरित फेफड़ा रोग का वर्ग है। इनमें विसरित वायुकोशीय क्षति, संयोजक निमोनिया, गैर विशिष्ट इंटरस्टिशियल निमोनिया, लिम्फोसाइटिक इंटरस्टिशियल निमोनिया, विश्लकीय निमोनिया, श्वसन संबंधी श्वासनलिकाशोथ इंटरस्टिशियल फेफड़ों के रोग और सामान्य इंटरस्टिशियल निमोनियाशामिल हैं।[29]

पैथोफिज़ियोलॉजी (रोग के कारण पैदा हुए क्रियात्मक परिवर्तन)

A schematic diagram of the human lungs with an empty circle on the right representing a normal alveola and one on the right showing an alveola full of fluid as in pneumonia
निमोनिया, फेफड़े की कूपिका को तरल से भर देती है जिसके कारण ऑक्सीकरण प्रक्रिया बाधित होती है। बायीं ओर की कूपिका सामान्य तथा दाहिनी ओर की निमोनिया के कारण तरल से भरी हुई है।

अक्सर निमोनिया ऊपरी श्वसन पथ संक्रमण के रूप में आरंभ होता है और फिर निचले श्वसन पथ में जाता है।[30]

वायरस जनित

वायरस फेफड़ों तक भिन्न-भिन्न मार्ग से पहुंच सकते हैं। श्वसन सिंशियल वायरस आम तौर पर तब संक्रमित होते हैं जब लोग संदूषित वस्तुओं को छूते हैं और फिर अपनी आँखों या नाकों को छूते हैं।[22]अन्य वायरस जनित संक्रमण तब होते हैं जब वायु में फैली संदूषित महीन बूंदें मुंह या आंखों के रास्ते श्वसन कर ली जाती हैं।[11]एक बार जब ऊपरी वायुमार्ग में पहुंच जाता है तो वायरस अपना मार्ग फेफड़ों में बना लेते हैं, जहां से वायुमार्ग, एल्वियोलि या फेफड़ा पेन्काइमा से जुड़ी कोशिकाओं में प्रवेश कर जाते हैं।[22] कुछ वायरस जैसे कि चेचक या हरपीस सिम्प्लेक्स रक्त के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंचते हैं।[31] फेफड़ों पर आक्रमण के कारण भिन्न-भिन्न डिग्री की कोशिकाओं की मृत्यु हो सकती है।[22] जब प्रतिरक्षा तंत्र इस संक्रमण पर प्रतिक्रिया देता है तो फेफड़ों को और अधिक क्षति हो सकती है।[22] श्वेत रक्त कणिकाएं, मुख्य रूप से एकल नाभिकीय कोशिकाएं प्राथमिक रूप से सूजन पैदा करती हैं।[31] साथ ही फेफड़ों को क्षति भी पहुंचाती हैं, बहुत से वायरस इसी समय अन्य अंगों को प्रभावित कर सकते हैं और इस प्रकार अन्य शारीरिक क्रियाओं को भी बाधित करते हैं। वायरस शरीर को बैक्टीरिया जनित संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं; इस प्रकार से बैक्टीरिया जनित निमोनिया सह-रुग्ण स्थिति तक पहुंचा सकते हैं।[23]


बैक्टीरिया जनित

अधिकतर बैक्टीरिया गले या नाक में रहने वाले जीवों के प्रवेश से फेफड़ों में शामिल हो जाते हैं।[11] सामान्य लोगों में से आधे लोगों में ये छोटे जीव नींद के दौरान प्रवेश करते हैं।[18] जबकि गले में हमेशा बैक्टीरिया होते हैं, संक्रामक संभावनाओं वाले वहां पर केवल कुछ ही समय तक कुछ विशेष परिस्थितियों में रह पाते हैं।[18] इस प्रकार के बैक्टीरिया जैसे माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकलोसिस और लिगियोनेला न्यूमोफिला की एक अल्प मात्रा, वायु में फैली संदूषित महीन बूंदों के माध्यम से फेफड़ों में पहुंच जाती हैं।[11] बैक्टीरिया रक्त द्वारा फैल सकते हैं।[12] एक बार फेफड़ों में पहुंचने के बाद बैक्टीरिया कोशिकों के बीच के स्थान में और एल्वियोलि, जहां पर मैक्रोफेग और न्यूट्रोफिल (रक्षक श्वेत रक्त कणिकायें) बैक्टीरिया को निष्क्रिय करने का प्रयास करते हैं, में प्रवेश कर सकते हैं।[32] न्यूट्रोफिल साइटोकाइन मुक्त करते हैं जो प्रतिरक्षा तंत्र को सामान्य रूप से सक्रिय करता है।[33] इसके कारण आम बैक्टीरिया जनित निमोनिया के कारण होने वाले बुखार, ठिठुरन और थकान जैसे लक्षण होते हैं।[33] न्यूट्रोफिल, बैक्टीरिया और आसपास की रक्त वाहिकाओं से तरल एल्वियोली में भर जाता है जिसके कारण सीने के एक्स-रे में समेकन दिखता है।[34]


निदान

निमोनिया का निदान आम तौर पर शारीरिक चिह्नों और सीने के एक्स-रे के संयोजन द्वारा किया जाता है।[35]हलांकि अंतर्निहित कारण की पुष्टि करना कठिन हो सकता है क्योंकि बैक्टीरिया जनित अथवा गैर-बैक्टीरिया जनित मूल के बीच अंतर करने वाला कोई भी पुष्टीकरण परीक्षण नहीं उपलब्ध है।[6][35] विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों में निमोनिया के निर्धारण का आधार चिकित्सीय आधार पर खांसी या श्वसन में जटिलता और तीव्र श्वसन दर, सीने में भीतरी खिचाव में या चेतना में कमी को बताया है।[36] तीव्र श्वसन दर को दो माह तक के बच्चों में 60 से अधिक श्वसन प्रति मिनट, दो माह से एक साल के बच्चों में 50 से अधिक श्वसन प्रति मिनट और 1 साल से 5 साल तक के बच्चों में 40 से अधिक श्वसन प्रति मिनट के रूप में निर्धारित किया गया है।[36] बच्चों में बढ़ी हुई श्वसन दर और सीने में घटा भीतरी खिचाव, स्टेथेस्कोप से सीने की चिटकन के सुनाई देने से अधिक संवेदनशील है।[10]

वयस्कों में, हल्के मामलों में जांच की जरूरत नहीं पड़ती है [37]: यदि सभी महत्वपूर्ण चिह्न और परिश्रवण सामान्य है तो निमोनिया को जोखिम बहुत कम है।[38] अस्पताल में भर्ती किये जाने की जरूरत वाले लोगों में, पूर्ण रक्त गणना, सीरम इलेक्ट्रोलाइट, सी-रिएक्टिव प्रोटीन स्तर के साथ-साथ पल्स ऑक्सीमेट्री, सीने की रेडियोग्राफी और रक्त परीक्षणों और संभवतः यकृत प्रकार्य परीक्षणों—को अनुशंसित किया जाता है।[37] इन्फ्लुएंज़ा जैसे रोग का निदान चिह्नों और लक्षणों के आधार पर किया जाता है; हलांकि, इन्फ्लुएंज़ा संक्रमण की पुष्टीकरण के लिये परीक्षण की जरूरत पड़ती है।[39] इस प्रकार उपचार अक्सर समुदाय में इन्फ्लुएंज़ा की उपस्थिति या तीव्र इन्फ्लुएंज़ा परीक्षण पर आधारित होता है।[39]

शारीरिक परीक्षण

शारीरिक परीक्षण कभी-कभार निम्न रक्तचाप, उच्च हृदय दर या निम्नऑक्सीजन संतृप्तिका खुलासा कर सकता है।[11] श्वसन दर सामान्य से अधिक हो सकती है और यह अन्य चिह्नों की उपस्थिति से एक या दो दिन पहले हो सकता है।[11][18] सीने का परीक्षण सामान्य हो सकता है लेकिन प्रभावित भाग की ओर सीने का फुलाव कम दिख सकता है। सूजे सीनों के कारण बढ़े वायुमार्ग से श्वसन की तीखी ध्वनि को ब्रॉन्कियल श्वसन कहा जाता है और इनको स्टेथेस्कोप से ऑस्किलेशन पर सुना जाता है।[11] सांस को अंदर लेने के दौरान प्रभावित क्षेत्र पर चिटकन (रेल्स) को सुना जा सकता है।[11] प्रभावित फेफड़े के ऊपर टक्कर को फीका सा सुना जा सकता है और बढ़ने के विपरीत घटी हुई मुखर प्रतिध्वनि निमोनिया को फुफ्फुसीय बहावसे अलग किया जा सकता है।[9]


इमेजिंग

A black and white image show the internal organs in cross section as generated by CT. Where one would expect black on the left one seen a whiter area with black sticks through it.
सीने का सी.टी. जो दाहिनी ओर का निमोनिया प्रदर्शित कर रहा है (वायें और की छवि )।

निदान के लिये अक्सर सीने का रेडियोग्राफ उपयोग किया जाता है।[10] हल्के रोग की दशा वाले लोगों में इमेजिंग केवल उन लोगों में जरूरी होती है जिनमें संभावित जटिलतायें होती है, जो उपचार से बेहतर नहीं होते हैं या जिनमें कारण अनिश्चित होते हैं।[10][37] यदि कोई व्यक्ति अस्पताल में भर्ती किये जाने के लिये पर्याप्त रूप से बीमार है तो उसके लिये रेडियोग्राफ की अनुशंसा की जाती है।[37] परिणाम हमेशा रोग की गंभीरता के साथ संबंधित नहीं होते हैं और विश्वसनीय रूप से बैक्टीरिया जनित संक्रमण और वायरस संक्रमण के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं।[10]

निमेनिया के एक्स-रे प्रस्तुतिकरण को लोबार निमोमिया, ब्रॉकोनिमोनिया (लोब्यूलर निमोनिया भी कहा जाता है) और इन्ट्रस्टिशल निमोनियामें वर्गीकृत किया जाता है।[40] बैक्टीरिया जनित, समुदाय से अर्जित निमोनिया, पारम्परिक रूप से एक फेफड़े के खंडीय लोब के फेफड़े में जमाव दिखाता है जिसे लोबार निमोनिया भी कहा जाता है।[20]हलांकि, परिणाम कितने भी अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन अन्य प्रकार के निमोनिया में अन्य प्रतिमान समान होते हैं।[20] एस्पिरेशन निमोनिया, बैक्टीरिया जनित अपारदर्शिता(ओपेसिटीस) के साथ प्राथमिक रूप से फेफड़ों के आधार में और दाहिनी ओर उपस्थित हो सकता है।ref name=Rad07/> वायरस जनित निमोनिया का रेडियोग्राफ सामान्य, अधिक-सूजा, बैक्टीरिया वाले धब्बेदार क्षेत्रों या लोबार एकत्रीकरण वाले बैक्टीरिया जनित निमोनिया जैसा दिख सकता है।[20] विशेष रूप से निर्जलीकरण की अवस्था में, रोग की प्राथमिक अवस्था में रेडियोलॉजिक परिणाम उपस्थित नहीं भी हो सकते हैं या मोटापे से ग्रसित तथा फेफड़े की बीमारी के इतिहास वाले लोगों में इसकी व्याख्या कर पाना भी कठिन है।[11] अनिश्चित मामलों में, सीटी स्कैन अतिरिक्त जानकारी प्रदान कर सकता है।[20]

माइक्रोबायोलोजी

समुदाय में रहने वाले लोगों में कारण एजेंट का निर्धारण लागत प्रभावी नहीं है और आमतौर पर प्रबंधन को बदलता नहीं है।[10] वे लोग जो उपचार के प्रति प्रतिक्रिया नहीं देते हैं उनमें people who do not respond to treatment, बलगम कल्चर पर विचार किया जाना चाहिये और गंभीर उत्पादक कफ़ से पीड़ित लोगों में माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबक्यूलोसिस के लिये कल्चर किया जाना चाहिये।[37] अन्य विशिष्ट जीवों के लिये, सार्वजनिक स्वास्थ्य कारणों के लिये इसे प्रकोप के दौरान अनुशंसित किया जा सकता है।[37] वे जिनको गंभीर रोग के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया है, बलग़म और रक्त कल्चर दोनो [37] और साथ ही लेग्यिनेला और स्ट्रेप्टोकॉकस के एंटीजन के लिये मूत्र का परीक्षण अनुशंसित किया जाता है। [41] वायरस जनित संक्रमण को अन्य तकनीकों के अतिरिक्त कल्चर या पॉलीमरेस चेन प्रतिक्रिया(पीसीआर) के साथ वायरस या इसके एंटीजन की पहचान की पुष्टि की जा सकती है।[6] नियमित माइक्रोबायोलॉजिकल परीक्षणों के साथ कारक एजेंटों का निर्धारण केवल 15% मामलों में हो पाता है।[9]

वर्गीकरण

न्यूमोनाइटिस फेफड़े की सूजन से संबंधित है; निमोनिया आम तौर पर संक्रमण और कभी-कभार गैर-संक्रामक न्यूमोनाइटिस से संबंधित है, जिसमें फुफ्फुसीय जमाव का अतिरिक्त गुण भी होता है।[42]निमोनिया को सबसे आम तौर पर इसके होने के स्थान और तरीके के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है: समुदाय से अर्जित,श्वास, स्वास्थ्य सेवा से संबंधित, अस्पताल से अर्जित और वेंटीलेटर से संबंधित निमोनिया[20] इसे फेफड़े के प्रभावित क्षेत्र द्वारा भी वर्गीकृत किया जा सकता है: लोबार निमोनिया, ब्रॉन्कियल निमोनिया और गंभीर इन्ट्रस्टिशल निमोनिया;[20] या कारक जीवों के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है।[43] बच्चों में निमोनिया को चिह्नों व लक्षणों के आधार पर गैर-गंभीर, गंभीर या बेहद गंभीर के रूप में अतिरिक्त रूप से वर्गीकृत किया जा सकता है।[44]

विभेदक निदान

कई सारे रोग निमोनिया के समान चिह्नों और लक्षणों वाले हो सकते हैं, जैसे कि: गंभीर प्रतिरोधी फेफड़ा रोग(सीओपीडी), अस्थमा, फुफ्फुसीय एडेमा, ब्रांकिएकटैसिस, फेफड़े का कैंसर और फुफ्फुसीय एम्बोली[9] निमोनिया से इतर अस्थमा और सीओपीडी आम तौर पर घरघराहट के साथ होते हैं, फुफ्फुसीय एडेमा में इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम असमान्य होता है, कैंसर व श्वासनलिकाविस्फार में लंबे समय की खांसी होती है और एम्बोली में तीखे सीने के दर्द की शुरुआत के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है।[9]

रोकथाम

रोकथाम में टीकाकरण, पर्यावरणीय उपाय और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का उपयुक्त उपचार शामिल है।[10] यह माना जाता है कि उपयुक्त रोकथाम वाले उपाय वैश्विक रूप से स्थापित किये जाते तो बच्चों में मृत्युदर को 4,00,000 से कम किया जा सकता था और यदि वैश्विक रूप से उपयुक्त उपचार उपलब्ध होते तो बचपन में होने वाली मौतों में से 6,00,000 को कम किया जा सकता था।[12]

टीकाकरण

टीकाकरण कुछ बैक्टीरिया और वायरस जनित निमोनिया के विरुद्ध बच्चों तथा वयस्कों दोनों में रोकथाम करता है। इन्फ्लुएंज़ा टीकाकरण इन्फ्लुएंज़ा ए व बी के विरुद्ध सबसे अधिक प्रभावी है।[6][45] सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन (सीडीसी) 6 और अधिक उम्र के प्रत्येक व्यक्ति के लिये वार्षिक टीकाकरण की अनुशंसा करता है।[46] स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं का टीकाकरण उनके रोगियों के बीच वायरस जनित निमोनिया के जोखिम को कम करता है।[41] जब इंफ्लुएंज़ा का प्रकोप होता है तो एमान्टाडाइन या रिमैन्टाडाइन जैसी दवायें स्थितियों की रोकथाम करने में सहायता कर सकती हैं।[47] यह अज्ञात है कि ज़ानामिविर या ओसेल्टामिविर प्रभावी हैं या नहीं और ऐसा इसलिये क्योंकि ओसेल्टामिविर बनाने वाली कंपनी ने परीक्षण आंकड़ों को स्वतंत्र विश्लेषण के लिये जारी करने से इन्कार कर दिया है।[48]


हेमोफिलस इन्फ्लुएंज़ा और स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया के विरुद्ध टीकाकरण के अच्छे साक्ष्य उपलब्ध है।[30] स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया के विरुद्ध बच्चों को टीकाकरण प्रदान करने से वयस्कों में इसके संक्रमण में कमी आयी है, क्योंकि कई सारे वयस्क इस संक्रमण को बच्चों से ग्रहण करते हैं। एक स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया टीका वयस्कों के लिये उपलब्ध है और इसको हमलावर निमोनिया रोग के जोखिम को कम करता पाया गया है।[49] अन्य वे टीके जिनमें निमोनिया के विरुद्ध रक्षा प्रदान करने की क्षमता है, उनमें परट्यूसिस, वेरिसेला और चेचकके टीके शामिल हैं।[50]


अन्य

धूम्रपान अवसान[37] और घर के भीतर लकड़ी या गोबर के साथ खाना पकाने से होने वाला भीतरी वायु प्रदूषण कम करना दोनो ही अनुशंसित है।[10][12] धूम्रपान, अन्य रूप से स्वस्थ वयस्कों में न्यूमोकॉकल निमोनिया के लिए सबसे बड़ा अकेला जोखिम होता है।[41] हाथों की स्वच्छता और अपनी बांह पर खांसना प्रभावी रोकथाम उपाय हो सकता है।[50] बीमार लोगों द्वारा शल्यक्रिया मास्क पहनना बीमारी को रोक सकता है।[41]

अंतर्निहित बीमारियों (जैसे HIV/AIDS, डायबिटीज़ मेलाटिस और कुपोषण) का उपयुक्त उपचार निमोनिया के जोखिम को कम कर सकता है।[12][50][51] 6 माह से कम उम्र के बच्चों को मात्र माँ के दूध का आहार देना रोग की गंभीरता और जोखिम दोनो को कम करता है।[12] HIV/AIDS से पीड़ित लोगों और CD4 की गिनती 200 cells/uL से कम वाले लोगों में trimethoprim/सल्फामेथोक्साजोल एंटीबायोटिक, न्यूमोसिस्टिस निमोनिया के जोखिम को कम करता है[52] और उन लोगों के लिये उपयोगी हो सकता है, जिनमें प्रतिरक्षा की कमी है लेकिन HIV नहीं हैं।[53]


समूह बी स्ट्रेप्टोकॉकस और क्लामीडिया ट्रैकोमेटिस के लिये गर्भवती महिलाओं का परीक्षण और आवश्यकता पड़ने पर एंटीबायोटिकउपचार का प्रबंध करना शिशुओं में निमोनिया की दर को कम करता है;[54][55] माँ से बच्चे को HIV संक्रमण से बचाना भी कुशल हो सकता है।[56]नवजात के मुंह और गले का मेकोनियम-चिह्नित एम्नियोटिक तरल से चूषण करने से एस्पाइरेशन निमोनिया की दर मे कमी नहीं पायी गयी है और ऐसा करना संभावित क्षति उत्पन्न कर सकता है,[57] इस प्रकार यह अभ्यास अधिकतर परिस्थितियों में अनुशंसित नहीं है।[57] कमजोर बुजुर्गों में अच्छी मौखिक (मुंह की) स्वास्थ्य देखभाल एस्पिरेशन निमोनिया के जोखिम को कम कर सकता है।[58]

प्रबंधन

CURB-65
लक्षण अंक
भ्र
1
यूरिया>7 mmol/l
1
श्वसन दर>30
1
एसबीपी<90mmHg, डीबीपी<60mmHg
1
उम्र>=65
1


संपूर्ण विघटन के लिये आमतौर पर मौखिक एंटीबायोटिक्स, आराम और सरल एन्लजेसिक्स और तरल की अधिक मात्रा।[37] हलांकि, अन्य चिकित्सीय स्थितियों वाले, बुजुर्ग या श्वसन में महत्वपूर्ण कठिनाई वालों को अधिक गहन देखभाल की आवश्यकता पड़ती है। यदि लक्षण और खराब होते हैं, निमोनिया घर पर दिये जाने वाले उपचार से सुधरता नहीं है या जटिलतायें होती हैं तो अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता पड़ सकती है।[37] वैश्विक रूप से बच्चों में लगभग 7–13% मामलों में अस्पताल में भर्ती करवाने की आवश्यकता पड़ती है [10]जबकि विकसित दुनिया में वयस्कों में 22 से 42% वे लोग, जिनमें सामुदायिक रूप से अर्जित निमोनिया होता है, अस्पताल में भर्ती होते हैं।[37] वयस्कों में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत के निर्धारण के लिये सीयूआरबी-65 स्कोर उपयोगी होता है।[37] यदि स्कोर 0 या 1 है तो लोग आमतौर पर घर पर रह कर उपचार करा सकते हैं, यदि स्कोर 2 है तो अस्पताल में थोड़ी सी अवधि के लिये भर्ती होना या नज़दीकी फॉलोअप की आवश्यकता होती है यदि यह 3-5 है तो अस्पताल में भर्ती होने की अनुशंसा की जाती है।[37] श्वसन परेशानी या ऑक्सीजन संतृप्तता के 90% से कम होने पर बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिये।[59] निमोनिया में सीने की फिज़ियोथेरेपी की उपयोगिता अभी तक निर्धारित नहीं है।[60] नॉन-इन्वेसिव वेन्टिलेशन गहन देखभाल इकाई में भर्ती लोगों के लिये लाभकारी हो सकता है।[61]काउंटर पर बेची जाने वाली खांसी की दवा को प्रभावी नहीं पाया गया है [62] और बच्चों में ज़िंक का उपयोग भी प्रभावी नहीं है।[63] म्यूकोलिक्टसके लिये भी अपर्याप्त साक्ष्य ही उपलब्ध हैं।[62]

इन्हें भी देखें

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