जैवप्रतिरोधी

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जैवप्रतिरोधी (Antibiotic/एण्टीबायोटिक) सूक्ष्मजीवों के द्वितीयक उपापचयी पदार्थ हैं, जो कि अन्य सूक्ष्म जीवों को नष्ट करने अथवा उनकी वृद्धि को अवरोधित करने की क्षमता रखते हैं। दूसरे शब्दों में, प्रतिजैविक (Antibiotic) एक प्रकार के रसायनिक पदार्थ हैं, जिनका निर्माण कुछ सूक्ष्मजीवियों द्वारा होता है। जैवप्रतिरोधी रसायन अन्य (रोग उत्पन्न करने वाले) सूक्ष्मजीवियों, प्रमुखतः बैक्टीरिया की वृद्धि को सन्दमित कर सकते अथवा उन्हें मार सकते हैं। पैनीसीलिन सामान्य रूप से प्रयोग में लाया जाने वाला ऐंटीबायोटिक है। इसे एक फंगस से प्राप्त किया गया था। बाद में बैक्टीरिया विशेष रूप से स्ट्रेप्टोमायसिस से अनेक महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक्स प्राप्त की गईं।

सूक्ष्मजीवों की सहायता से जैवरोधी रसायन के उत्पादन की खोज 20वीं शताब्दी की अत्यंत महत्त्वपूर्ण खोज और मानव समाज के कल्याण के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। कैसे कार्य करते हैं एंटीबायोटिक? एंटीबायोटिक बैक्टीरिया के जैव रासायनिक पथ में अवरोध उत्पन्न कर उनका गुणन रोक देते हैं। अधिकांश एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति का संश्लेषण रोक देते हैं। कुछ इनके प्रोटीन संश्लेषण को बाधित करते हैं, जबकि कुछ बैक्टीरिया के नाभिकीय अम्ल का गुणन रोकते हैं। पेनिसिलिन व सिफैलोस्पोरिन एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति का बनना बाधित कर देते हैं। कुछ एंटीबायोटिक्स केवल कुछ रोगाणुओं अर्थात pathogens के विरुद्ध कारगर होते हैं। इन्हें सीमित परास एंटीबायोटिक्स या नैरो स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स कहा जाता है। व्यापक परास एंटीबायोटिक्स या ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स विभिन्न प्रकार के रोगाणुओं को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। अमोक्सिसिलीन सी वी, व नई पीढ़ी की सिफैलोस्पोरिन ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स हैं।

परिचय[संपादित करें]

'ऐंटी' एक ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ 'खिलाफ' तथा 'बॉयो' का अर्थ जीवन है। दोनाें को मिला देने से इसका अर्थ ‘जीवन के खिलाफ’ हुआ (रोग जिन जीवों से उत्पन्न होते हैं, उनके संदर्भ में) जबकि मनुष्यों के संदर्भ में यह जीवन के खिलाफ न होकर 'जीवन में सहायक' माने जाते हैं।

पेनिसिलिन की खोज एक प्रकार का संयोग (अप्रत्याशित घटना) था। सन 1928 में जबएलैग्जैंडर फ़्लेमिंग स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया पर कार्य कर रहे थे तब उन्होंने देखा कि जिन प्लेटों पर वह कार्य कर रहे थे, उनमें एक बिना धुली पेट्री प्लेट पर मोल्ड उत्पन्न हो गए हैं जिस कारण स्टैफिलोकोकस वृद्धि न कर सका। उन्होंने पाया कि यह प्रभाव मोल्ड द्वारा उत्पन्न एक रसायन ‘पैनीसिलीन’ द्वारा होता है। चूँकि पैनीसिलीन, 'पैनीसीलियम नोटेटम' नामक मोल्ड से उत्पन्न होता है, इस कारण इसका नाम उन्होंने ‘पैनीसिलीन’ रखा। एंटीबायोटिक शब्द का प्रथम बार प्रयोग करने का श्रेय एस वैक्समैन को दिया जाता है। उन्होंने स्ट्रेप्टोमाइसिन एंटीबायोटिक की भी खोज की।

बाद में अरनैस्ट चैन तथा हावर्ड फ्लोरे ने इसको परिशुद्ध क्रिस्टिलीकृत रूप में प्राप्त कर इसकी एक शक्तिशाली एवं प्रभावशाली ऐंटीबॉयोटिक के रूप में पुष्टि की। इस ऐंटीबॉयोटिक का प्रयोग दूसरे विश्व युद्ध में घायल अमरीकन सैनिकों के उपचार में व्यापक रूप से किया गया। फ़्लेमिंग, चैन तथा फ्लोरे को इस महत्वपूर्ण खोज के लिए 1945 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

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