"मूत्र मार्ग संक्रमण": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
छो Bot: Migrating 26 interwiki links, now provided by Wikidata on d:q221668 (translate me)
expand, credit to Translators Without Borders
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{pp-semi-indef}}
'''मूत्र मार्ग संक्रमण''' (urinary tract infection / UTI) [[जीवाणु|जीवाणुजन्य]] [[संक्रमण]] है जिससे मूत्र मार्ग का कोई भी भाग प्रभावित हो सकता है। यद्यपि [[मूत्र]] में तरह-तरह के द्रव, [[लवण]] एवं वर्ज्य पदार्थ होते हैं किन्तु इसमें जीवाणु (बैक्टिरिया) नहीं होते। किन्तु यूटीआई से ग्रसित होने पर मूत्र में जीवाणु भी मिलते हैं। जब [[मूत्राशय]] (Urinary bladder) या वृक्क (किडनी) में जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं और बहुगुणित होने लगते हैं तो यह स्थिति आती है।
{{Good article}}
{{Infobox disease
| Name = Urinary tract infection
| ICD10 = {{ICD10|N|39|0|n|30}}
| ICD9 = {{ICD9|599.0}}
| ICDO =
| Image = Pyuria.JPG
| Caption = Multiple [[white blood cell|white cells]] seen in the urine of a person with a urinary tract infection via [[Urine microscopy#Microscopic examination|microscopy]]
| OMIM =
| OMIM_mult =
| MedlinePlus = 000521
| eMedicineSubj = emerg
| eMedicineTopic = 625
| eMedicine_mult = {{eMedicine2|emerg|626}}
| DiseasesDB = 13657
| MeshID = D014552
}}
'''मूत्र पथ का संक्रमण''' ('''यूटीआई''') एक बैक्टीरिया जनित [[संक्रमण]] है जो [[Urinary system|मूत्रपथ]] के एक हिस्से को संक्रमित करता है। जब यह मूत्र पथ निचले हिस्से को प्रभावित करता है तो इसे सामान्य [[मूत्राशयशोध]] (मूत्राशय का संक्रमण) कहा जाता है और जब यह ऊपरी मूत्र पथ को प्रभावित करता है तो इसे [[वृक्कगोणिकाशोध]] (गुर्दे का संक्रमण) कहा जाता है।<!-- <ref name=EM2011/> --> निचले मूत्र के लक्षणों में दर्द सहित [[मूत्र त्याग]] और बार-बार मूत्र त्याग या मूत्र त्याग की इच्छा (या दोनो) शामिल हैं जबकि वृक्कगोणिकाशोध में निचले यूटीआई के लक्षणों के साथ [[बुखार]] और [[Abdominal pain|कमर में तेज दर्द]] भी शामिल होते हैं। बुजुर्ग व बहुत युवा लोगों में लक्षण अस्पष्ट या गैर विशिष्ट हो सकते हैं। दोनो प्रकार के संक्रमणों के मुख्य कारक एजेंट ''[[एस्केरीशिया कॉली]]'' हैं, हलांकि अन्य दूसरे बैक्टीरिया, [[वायरस]] या [[फफूंद]] भी कभी कभार इसके कारण हो सकते हैं।


मूत्र पथ के संक्रमण, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम हैं, आधी महिलाओं को उनके जीवन में कम से कम एक बार संक्रमण होता है। संक्रमण का बार-बार होना आम बात है। जोखिम कारकों में महिला शरीर रचना विज्ञान, शारीरिक संबंध और परिवार का इतिहास शामिल है। यदि वृक्कगोणिकाशोध होता है तो इसके बाद मूत्राशय संक्रमण होता है जो कि [[bacteremia|रक्त जनित संक्रमण]] के परिणामस्वरूप हो सकता है। स्वस्थ युवा महिलाओं में निदान का आधार मात्र लक्षण भी हो सकते हैं। वे जिनमें अस्पष्ट लक्षण होते हैं, निदान कठिन हो सकता है क्योंकि बैक्टीरिया बिना संक्रमण हुये भी उपस्थित हो सकते हैं। जटिल मामलों में या उपचार के विफल होने पर, एक [[मूत्र कल्चर]] उपयोगी हो सकता है। नियमित संक्रमण वाले लोगों में, [[एंटीबायोटिक]] की हल्की खुराक को निवारक उपाय के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
== परिचय ==
मूत्र मार्ग, छह प्रमुख अंगों-दो वृक्क (गुर्दे), दो मूत्रवाहिनी (यूरेटर), मूत्राशय और यूरिथ्रा से मिलकर बना होता है। गुर्दे हमारे शरीर के रक्त को साफ करके उसमें मौजूद अवांछित तत्वों को हटाकर मूत्र के जरिये शरीर से बाहर निकालने का काम करता है। सबसे पहले गुर्दा रक्त की सफाई करता है और सफाई के बाद जो गंदा तरल पदार्थ निकलता है, वह मूत्रवाहिनी के रास्ते मूत्राशय में जमा हो जाता है। जब मूत्राशय पूरी तरह भर जाता है तब यूरिथ्रा पर दबाव पडता है। इसी वजह से मूत्र-त्याग की जरूरत महसूस होती है। कभी-कभी बच्चों को इसी यूरिनरी ट्रैक में इनफेक्शन हो जाता है, जिसकी वजह से उन्हें काफी तकलीफ होती है।


गैर जटिल मामलों में, एंटीबायोटिक की हल्की खुराक से, मूत्र पथ संक्रमणों का उपचार आसानी से हो जाता है, हलांकि इस स्थिति में उपचार के लिये उपयोग किये जाने वाले कई एंटीबायोटिक के प्रति [[Antibiotic resistance|प्रतिरोध]] बढ़ रहा है। जटिल मामलों में, लंबी अवधि तक या अंतः शिरा एंटीबायोटिक के उपयोग की जरूरत पड़ सकती है और यदि लक्षण दो या तीन दिन में बेहतर नहीं होते हैं तो अतिरिक्त निदान परीक्षणों की जरूरत हो सकती है। महिलाओं में बैक्टीरिया जनित संक्रमणों के सबसे आम उदाहरण मूत्र पथ संक्रमण हैं ,क्योंकि 10% महिलाओं में वार्षिक रूप से मूत्र पथ संक्रमण विकसित होते हैं।
== प्रमुख लक्षण ==
यूटीआई के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं :
==चिह्न और लक्षण ==
[[File:Pyuria2011.JPG|thumb|मूत्र में मवाद शामिल हो सकता है (एक ऐसी स्थिति जिसे [[प्यूरिया]] के नाम से जाना जाता है) जिसे कि मूत्र पथ संक्रमण के कारण [[घाव की सड़न]] से पीड़ित व्यक्ति में देखा जा सकता है।]]
निचले मूत्र पथ संक्रमण को मूत्राशय संक्रमण भी कहा जाता है। सबसे आम लक्षण [[dysuria|मूत्र त्याग करते समय जलन]] और [[योनि स्राव]] की अनुपस्थिति में बार-बार मूत्र त्याग (या मूत्र त्याग की इच्छा) तथा गंभीर दर्द।<ref name=Review08/> ये लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं<ref name=EM2011>{{cite journal|last=Lane|first=DR|coauthors=Takhar, SS|title=Diagnosis and management of urinary tract infection and pyelonephritis.|journal=Emergency medicine clinics of North America|date=2011 Aug|volume=29|issue=3|pages=539–52|pmid=21782073|doi=10.1016/j.emc.2011.04.001}}</ref> और एक स्वस्थ महिला में औसत रूप से छः&nbsp;दिन तक बने रह सकते हैं।<ref name=AFP2011/> [[जघन हड्डी]] के ऊपर या [[lower back pain|निचली पीठ]] में दर्द हो सकता है।<!-- <ref name=EM2011/> --> ऊपरी मूत्र पथ संक्रमण या [[वृक्कगोणिकाशोध]] से पीड़ित लोगों में [[abdominal pain|कमर में तेज दर्द]], [[बुखार]] या मिचली और [[उल्टी]] के साथ निचले मूत्र पथ संक्रमण के परंपरागत लक्षण भी हो सकते हैं।<ref name=EM2011/> कभी-कभार मूत्र में रक्त की कुछ मात्रा की उपस्थिति भी हो सकती है<ref name=Sal2011/> या [[प्यूरिया]] (मूत्र में मवाद) की कुछ मात्रा भी दिख सकती है।<ref>{{cite book|last=Arellano|first=Ronald S.|title=Non-vascular interventional radiology of the abdomen|publisher=Springer|location=New York|isbn=978-1-4419-7731-1|page=67|url=http://books.google.ca/books?id=au-OpXwnibMC&pg=PA67}}</ref>


1.मूत्र में जलन
===बच्चों में===
छोटे बच्चों में, मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई) का एकमात्र लक्षण बुखार हो सकता है।<!-- <ref name=PeadsNA2011/> --> स्पष्ट लक्षणों की अनुपस्थिति में दो बरस से कम उम्र की लड़कियों और एक बरस से कम उम्र के लड़कों में बुखार के लक्षणों की उपस्थिति में कई चिकित्सा संगठन मूत्र कल्चर कराने की अनुशंसा करते हैं।<!-- <ref name=PeadsNA2011/> --> शिशु भोजन लेना कम कर सकते हैं, उल्टी कर सकते हैं, अधिक सो सकते हैं और [[पीलिया]] के लक्षण भी दिखा सकते हैं।<!-- <ref name=PeadsNA2011/> --> कुछ बड़े बच्चों में, [[मूत्र असंयम]] (मूत्राशय नियंत्रण का हानि) की नयी शुरुआत हो सकती है।<ref name=PeadsNA2011/>


===बुज़ुर्गों में===
2.गुप्तांगों (प्राइवेट पा‌र्ट्स) में खुजली
[[Old age|बुज़ुर्गों]] में मूत्र पथ लक्षण निरंतर क्षीण हो जाते हैं।<ref name=Elder2011/> केवल असंयम, [[Altered level of consciousness|मानसिक स्थिति में परिवर्तन]] या थकान जैसे लक्षणों के साथ इसकी उपस्थिति के संकेत अस्पष्ट हो सकते हैं।<ref name=EM2011/> जबकि कुछ लोग, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के पास [[घाव की सड़न]], रक्त के किसी संक्रमण के प्राथमिक लक्षणों के साथ जा सकते हैं।<ref name=Sal2011/> इसका निदान काफी जटिल हो सकता है क्योंकि बुज़ुर्गों में असंयम या [[मनोभ्रंश]] पहले से उपस्थित हो सकता है।<ref name=Elder2011/>


==कारण==
3.बार-बार मूत्र त्यागना
मूत्र पथ संक्रमण के 80–85% मामलों का कारण ''[[Escherichia coli|ई. कॉली]]'' होता है, जिसमें से ''[[स्टेफिलोकॉकस सैप्रोफाइटिकस]]'' 5–10% मामलों का कारण होता है।<ref name=Review08/> कभी-कभार ये [[Virus|वायरस जनित]] या [[फफूंद जनित]] संक्रमण भी हो सकते हैं।<ref>{{cite journal|last=Amdekar|first=S|coauthors=Singh, V, Singh, DD|title=Probiotic therapy: immunomodulating approach toward urinary tract infection.|journal=Current microbiology|date=2011 Nov|volume=63|issue=5|pages=484–90|pmid=21901556|doi=10.1007/s00284-011-0006-2}}</ref> बैक्टीरिया जनित अन्य कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:''[[क्लेब्सिएला]]'', ''[[Proteus bacteria|प्रोटियस]]'', ''[[स्यूडोमोनस]]'' और ''[[एंट्रोबैक्टर]]''। यह असामान्य है और आम तौर पर मूत्र प्रणाली या [[मूत्र कैथेटराइजेशन]] की असमान्यताओं से संबंधित है।<ref name=Sal2011/>''[[स्टैफिलोकॉकस ऑरियस]]'' के कारण हुआ मूत्र पथ संक्रमण आम तौर पर रक्त अस्थि संक्रमण के बाद होता है।<ref name=EM2011/>


===यौन संबंध===
4.थोडा-थोडा यूरिन डिस्चार्ज होना और इस दौरान दर्द महसूस होना
युवा और यौन सक्रिय महिलाओं में, मूत्राशय संक्रमणों का 75–90%, यौन गतिविधियों के कारण होता है, इसमें संक्रमण का जोखिम यौन सक्रियता से संबंधित होता है।<ref name=Review08>{{cite journal|author=Nicolle LE|title=Uncomplicated urinary tract infection in adults including uncomplicated pyelonephritis|journal=Urol Clin North Am|volume=35|issue=1|pages=1–12, v|year=2008|pmid=18061019|doi=10.1016/j.ucl.2007.09.004}}</ref> शब्द "हनीमून मूत्राशयशोध" आरंभिक विवाह अवधि के दौरान होने वाले इस तथ्य से संबंधित है। [[Menopause|रजोनिवृत्ति के बाद]] वाली महिलाओं में यौन संबंध गतिविधियां यूटीआई के विकास का जोखिम को प्रभावित नहीं करती हैं।<!-- <ref name=Review08/> --> यौन सक्रियता से अलग, [[स्पर्मिसाइड]] का उपयोग भी यूटीआई का जोखिम बढ़ा देता है।<ref name=Review08/>


पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यूटीआई अधिक होता है क्योंकि महिलाओं में [[मूत्रमार्ग]] अधिक छोटा तथा [[गुदा]] के अधिक पास होता है।<ref name=NA2011>{{cite journal|last=Dielubanza|first=EJ|coauthors=Schaeffer, AJ|title=Urinary tract infections in women.|journal=The Medical clinics of North America|date=2011 Jan|volume=95|issue=1|pages=27–41|pmid=21095409|doi=10.1016/j.mcna.2010.08.023}}</ref> [[रजोनिवृत्ति]] के साथ महिलाओं में एस्ट्रोजन स्तर कम होते जाते हैं और पूर्व सक्रिय रूप से [[योनि में रहने वाले जीवाणुओं]] की हानि के कारण मूत्र पथ संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है।<ref name=NA2011/>
5.मूत्र का रंग पीला होना और ज्यादा दुर्गध आना


===मूत्र कैथेटर===
6.ज्यादा इनफेक्शन की स्थिति में मूत्र के साथ ब्लड आना
[[Catheter|मूत्र कैथेटराइज़ेशन]] मूत्र पथ संक्रमणों का जोखिम बढ़ा देता है।<!-- <ref name=NA2011/> --> [[बैक्टेरियूरिया]] (मूत्र में बैक्टीरिया) का जोखिम 3 से 6 प्रतिशत, प्रतिदिन के बीच है और रोगनिरोधी ऐंटीबायोटिक लक्षणात्मक संक्रमणों को कम करने में प्रभावी नहीं हैं। <ref name=NA2011/> केवल जरूरी होने पर तथा प्रविष्ट कराने के लिये [[असेप्टिक तकनीक]] द्वारा कैथेटराइज़ेशन कराने से और कैथेटर के बंद पड़ने वाले निकास को बाधा रहित रखकर संबंधित संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सकता है।<ref>{{cite journal|author=Nicolle LE|title=The chronic indwelling catheter and urinary infection in long-term-care facility residents|journal=Infect Control Hosp Epidemiol|volume=22|issue=5|pages=316–21|year=2001|pmid=11428445|doi=10.1086/501908}}</ref><ref>{{cite journal|author=Phipps S, Lim YN, McClinton S, Barry C, Rane A, N'Dow J|title=Cochrane Database of Systematic Reviews|journal=Cochrane Database Syst Rev|volume=|issue=2|pages=CD004374|year=2006|pmid=16625600|doi=10.1002/14651858.CD004374.pub2|editor1-last=Phipps|editor1-first=Simon|chapter=Short term urinary catheter policies following urogenital surgery in adults}}</ref><ref>{{cite journal|author=Gould CV, Umscheid CA, Agarwal RK, Kuntz G, Pegues DA|title=Guideline for prevention of catheter-associated urinary tract infections 2009|journal=Infect Control Hosp Epidemiol|volume=31|issue=4|pages=319–26|year=2010|pmid=20156062|doi=10.1086/651091}}</ref>


===अन्य===
7.कंपकपाहट के साथ बुखार
परिवारों में मूत्राशय संक्रमण की एक पूर्ववृत्ति उपस्थित हो सकती है।<!-- <ref name=Review08/> --> अन्य जोखिमों कारकों में[[diabetes mellitus|मधुमेह]],<ref name=Review08/> being [[circumcise|खतना न होना]] और [[benign prostatic hypertrophy|बड़ी प्रोस्टेट ग्रंथि]] होना शामिल हैं।<ref name=EM2011/> जटिल कारक अस्पष्ट हैं और इनमें शारीरिक, कार्यात्मक, या चयापचयी असमान्यताओं की पूर्ववृत्ति शामिल है।<!-- <ref name=bryan/> --> जटिल यूटीआई का उपचार अधिक कठिन हैं और आम तौर पर इसमें अधिक अधिक आक्रामक मूल्यांकन, उपचार और फॉलोअप की जरूरत पड़ती है।<ref name=bryan>[http://pathmicro.med.sc.edu/infectious%20disease/Urinary%20Tract%20Infections.htm Infectious Disease, Chapter Seven, Urinary Tract Infections] from ''Infectious Disease Section of Microbiology and Immunology On-line''. By Charles Bryan MD. University of South Carolina. This page last changed on Wednesday, April 27, 2011</ref> बच्चों में यूटीआई [[वेसिकोयूरेटल रिफ्लक्स]] ([[urinary bladder|मूत्राशय]] में [[मूत्रनली]] या [[गुर्दे]]से [[मूत्र]]का असामान्य प्रवाह) तथा [[कब्ज़]] से जुड़ा है।<ref name=PeadsNA2011/>


[[रीढ़ की हड्डी में चोट]] से पीड़ित लोगों में मूत्र पथ संक्रमण का जोखिम बढ़ ताजा है क्योंकि वे कैथेटर का काफी उपयोग करते हैं और इसके लिये [[urination|मूत्रत्याग]] शिथिलता भी आंशिक रूप से जिम्मेदार होती है।<ref name=Spine2010>{{cite journal|last=Eves|first=FJ|coauthors=Rivera, N|title=Prevention of urinary tract infections in persons with spinal cord injury in home health care.|journal=Home healthcare nurse|date=2010 Apr|volume=28|issue=4|pages=230–41|pmid=20520263|doi=10.1097/NHH.0b013e3181dc1bcb}}</ref> इस जनसंख्या में संक्रमण का सबसे आम कारण यही है तथा साथ ही अस्पताल में भर्ती होने का भी सबसे आम कारण यही है।<ref name=Spine2010/>साथ ही, इस जनसंख्या में रोकथाम व उपचार के लिये [[क्रेनबेरी रस]] या क्रेनबेरी पूरक अप्रभावी साबित होते हैं।<ref>{{cite journal|last=Opperman|first=EA|title=Cranberry is not effective for the prevention or treatment of urinary tract infections in individuals with spinal cord injury.|journal=Spinal cord|date=2010 Jun|volume=48|issue=6|pages=451–6|pmid=19935757|doi=10.1038/sc.2009.159}}</ref>
8.भूख न लगना


==रोगजनक==
9.कमजोरी और थकान महसूस होना
वह [[बैक्टीरिया]], जो मूत्र पथ संक्रमण के लिये आम तौर पर जिम्मेदार है, मूत्रनलिका के माध्यम से मूत्राशय में प्रवेश करता है। हलांकि, संक्रमण रक्त या [[लसीका]] द्वारा भी हो सकता है।<!-- <ref name=Sal2011/> --> ऐसा विश्वास किया जाता है कि बैक्टीरिया आम तौर पर आंत्र द्वारा मूत्रमार्ग में प्रवेश करता है और अपनी शारीरिक बनावट के कारण महिलाओं में इसके होने का अधिक जोखिम होता है।<!-- <ref name=Sal2011/> --> मूत्राशय में प्रवेश हासिल करने का बाद, ''ई. कॉली'' खुद को मूत्राशय की दीवार से चिपका देते हैं और एक [[बायोफिल्म]] का निर्माण करते हैं जो लड़के की रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया में प्रतिरोध पैदा करती है।<ref name=Sal2011/>


==रोकथाम==
10.बच्चे का कद और वजन न बढना


यूटीआई की आवृत्ति को न रोक सकने में अक्षम रहे कई उपाय किये गये हैं जिनमें [[गर्भनिरोधक गोलियां]] या [[कंडोम]], शारीरिक संबंधों के तुरंत बाद मूत्र त्याग करना, विशेष प्रकार का अंडरवियर, मूत्र त्याग या [[मलत्याग]] के बाद निजी स्वच्छता के लिये उपयोग किये जाने वाले उपाय या किसी व्यक्ति द्वारा नहाना या शॉवर लेना शामिल हैं।<ref name=Review08/> इसी तरह से मूत्र को रोकना, [[अवरोध]] का उपयोग और नलधावन(डाउचिंग) के प्रभावों पर साक्ष्य की कमी है।<ref name=NA2011/>
11.एक वर्ष से कम उम्र का बच्चा अगर यूरिन डिस्चार्ज के समय रोए तो उसे यूटीआई इनफेक्शन की आशंका हो सकती है।


वे लोग जिनको नियमित मूत्र पथ संक्रमण होता है और जो गर्भनिरोध के उपाय के रूप में स्पेर्मिसाइड या डायाफ्राम का उपयोग करते हैं उनको वैकल्पिक विधि के उपयोग की सलाह दी जाती है।<ref name=Sal2011/> [[क्रेनबेरी]] (रस या कैप्स्यूल) नियमित संक्रमण से पीड़ित उन लोगों में इसके होने को कम कर सकता है,<ref name=Jepson/><ref name=Wang2012>{{cite journal | author=Wang CH, Fang CC, Chen NC ''et al'' | title=Cranberry-containing products for prevention of urinary tract infections in susceptible populations | journal=Arch Intern Med | year=2012 | volume=172 | issue=13 | pages=988–96 |doi=10.1001/archinternmed.2012.3004}}</ref> but long-term tolerance is an issue<ref name=Jepson>{{cite journal|author=Jepson RG, Craig JC|title=Cochrane Database of Systematic Reviews|journal=Cochrane Database Syst Rev|issue=1|pages=CD001321|year=2008|pmid=18253990|doi=10.1002/14651858.CD001321.pub4|editor1-last=Jepson|editor1-first=Ruth G|chapter=Cranberries for preventing urinary tract infections }}</ref> जिनमें जठरांत्र समस्या 30% से अधिक होती है।<ref>{{cite journal|last=Rossi|first=R|coauthors=Porta, S, Canovi, B|title=Overview on cranberry and urinary tract infections in females.|journal=Journal of Clinical Gastroenterology|date=2010 Sep|volume=44 Suppl 1|pages=S61-2|pmid=20495471|doi=10.1097/MCG.0b013e3181d2dc8e}}</ref> दिन में दो बार का उपयोग एक बार के उपयोग से बेहतर हो सकता है।<ref>{{cite journal|last=Wang|first=CH|coauthors=Fang, CC; Chen, NC; Liu, SS; Yu, PH; Wu, TY; Chen, WT; Lee, CC; Chen, SC|title=Cranberry-containing products for prevention of urinary tract infections in susceptible populations: a systematic review and meta-analysis of randomized controlled trials.|journal=Archives of Internal Medicine|date=2012 July 9|volume=172|issue=13|pages=988–96|pmid=22777630}}</ref> 2011 में, अंतः योनि [[प्रोबायोटिक्स]] के अतिरिक्त अध्ययन की आवश्यकता है जिससे इसकी प्रभावशीलता का निर्धारण हो सके।<ref name=Sal2011/> [[स्पर्मिसाइड]] रहित कंडोम या जन्म गर्भ निरोधक गोलियों का उपयोग गैर जटिल मूत्र पथ संक्रमण के जोखिम को नहीं बढ़ाता है।<ref>{{cite book |last1= Engleberg|first1= N C|authorlink1= |last2= DiRita|first2=V | last3=Dermody | first3=T S | authorlink2= |coauthors= |editor1-first=|editor1-last= |editor1-link= |others= |title= Schaechter's Mechanism of Microbial Disease|trans_title= |url=|archiveurl= |archivedate= |accessdate= |type= |edition=4 |series= |volume= |date= |year= 2007 |month= |origyear=|publisher= Lippincott Williams & Wilkins |location= Baltimore|isbn=978-0-7817-5342-5 |oclc= |doi= |id= |page= |pages=|at=618 |trans_chapter= |chapter= 63|chapterurl= |quote= |ref= |bibcode= |laysummary= |laydate= |separator=|postscript= |lastauthoramp=}}</ref>
== कारण ==


===उपचार (दवायें)===
1.किसी भी बच्चे को यूटीआई हो सकता है लेकिन लडकों की तुलना में लडकियों में यह समस्या ज्यादा होती है।
वे लोग जिनको नियमित संक्रमण होता है, उनके लिये दैनिक एंटीबायोटिक का एक लंबा कोर्स प्रभावी होता है।<ref name=Review08/>नियमित रूप से उपयोग की जाने वाली दवाओं में [[नाइट्रोफ्यूरेटॉएन]] और [[ट्राइमेथोप्रिम/सल्फामेथॉक्सेज़ोल]] शामिल हैं।<ref name=Sal2011/> [[मेथेनामाइन]] एक और एजेंट है जो इसके लिये नियमित तौर पर उपयोग किया जाता है क्योंकि मूत्राशय, जहां अम्लता कम होती है यह [[फॉर्मएल्डीहाइड]] उत्पन्न करता है जिसके प्रति प्रतिरोध विकसित नहीं होता है।<ref>{{cite book|last=Cubeddu|first=Richard Finkel, Michelle A. Clark, Luigi X.|title=Pharmacology|year=2009|publisher=Lippincott Williams & Wilkins|location=Philadelphia|isbn=9780781771559|pages=397|url=http://books.google.ca/books?id=Q4hG2gRhy7oC&pg=PA397&lpg=PA397|edition=4th ed.}}</ref> वे मामले जो संभोग से संबंधित संक्रमणों वाले हैं, उनमें बाद में एंटीबायोटिक लेना उपयोगी हो सकता है।<ref name=Sal2011/> रजोनिवृत्त महिलाओं में, [[स्थानीय]] योनि संबंधी [[एस्ट्रोजन]] पुनरावृत्ति को कम करता देखा गया है।<!-- <ref name=Cochrane2008/> --> स्थानीय क्रीमों के विपरीत, [[Pessary|पेसरीज़]] से योनि के एस्ट्रोजन का उपयोग, एंटीबायोटिक की हल्की खुराक की तुलना उपयोगी नहीं पाया गया है।<ref name=Cochrane2008>{{cite journal|last=Perrotta|first=C|coauthors=Aznar, M, Mejia, R, Albert, X, Ng, CW|title=Oestrogens for preventing recurrent urinary tract infection in postmenopausal women.|journal=Cochrane database of systematic reviews (Online)|date=2008-04-16|issue=2|pages=CD005131|pmid=18425910|doi=10.1002/14651858.CD005131.pub2}}</ref> 2011 तक, कई सारे [[टीके]] विकसित किये गये हैं।<ref name=Sal2011/>


===बच्चों में===
2.खानपान में गडबडी की वजह से अगर बच्चे के खून में इनफेक्शन हो तो उसकी वजह से भी उसे यूटीआई हो जाता है।
[[prophylactic|निवारक]] एंटीबायोटिक द्वारा बच्चों में मूत्र पथ संक्रमण की कमी के साक्ष्य बेहद खराब हैं।<ref name=Child2010>{{cite journal|last1=Dai|first1=B|last2=Liu|first2=Y|last3=Jia|first3=J|last4=Mei|first4=C|title=Long-term antibiotics for the prevention of recurrent urinary tract infection in children: a systematic review and meta-analysis|journal=Archives of Disease in Childhood|volume=95|issue=7|pages=499–508|year=2010|pmid=20457696|doi=10.1136/adc.2009.173112}}</ref> यदि किडनी संबंधी कोई अन्य अंतर्निहित असमान्यता न हो तो बार-बार होने वाले यूटीआई आगे होने वाली गुर्दे की समस्याओं का बेहद कम संभावित कारण होता है, यह वयस्कों में होने वाले [[गंभीर गुर्दा रोग]] का मात्र एक तिहाई (0.33%) प्रतिशत से भी कम होता है।<ref>{{cite journal|last=Salo|first=J|coauthors=Ikäheimo, R, Tapiainen, T, Uhari, M|title=Childhood urinary tract infections as a cause of chronic kidney disease.|journal=Pediatrics|date=2011 Nov|volume=128|issue=5|pages=840–7|pmid=21987701|doi=10.1542/peds.2010-3520}}</ref>


==निदान==
3.यूरिनरी ट्रैक में स्टोन की वजह से भी यह समस्या हो सकती है
[[Image:Bacteriuria pyuria 4.jpg|thumb| यूरिनरी माइक्रोस्कोपी में श्वेत रक्त कणिकाओं के बीच दिखाये गये बहुत सारे [[बासिली]] (रॉड के आकार के बैक्टीरिया, जिनको यहां पर काले बीन के आकार में दिखाया गया है)। ये परिवर्तन, मूत्र पथ संक्रमण के संकेत हैं।]]
प्रत्यक्ष मामलों में, मात्र लक्षणों के आधार पर बिना प्रयोगशाला परीक्षणों की पुष्टि के निदान व उपचार किया जा सकता है।<!-- <ref name=Review08/> --> जटिल व संदिग्ध मामलों में [[मूत्र विश्लेषण]] द्वारा [[यूरीनरी नाइट्रेट]], [[श्वेत रक्त कणिकाओं]] (ल्यूकोसाइट्स) या [[ल्यूकोसाइट ईस्टरेस]] की उपस्थिति को देख कर पुष्टि करना उपयोगी हो सकता है। एक अन्य परीक्षण [[यूरिन माइक्रोस्कोपी]] होता है, जो कि [[लाल रक्त कणिकाओं]], श्वेत रक्त कणिकाओं या बैक्टीरिया की उपस्थिति की जांच करता है।<!-- <ref name=Review08/> --> मूत्र [[microbiological culture|कल्चर]] तब सकारात्मक माना जाता है जब यह बैक्टीरिया कॉलोनी गणना को आम मूत्र पथ जीवों के प्रति मिली 10<sup>3</sup> [[कॉलोनी फॉर्मिंग यूनिट]] के बराबर या अधिक बताता है।<!-- <ref name=Review08/> --> इन कल्चर के माध्यम से एंटीबायोटिक संवेदनशीलता की भी जांच की जा सकती है, जो इनको एंटीबायोटिक उपचार के चयन में भी उपयोगी बनाता है।<!-- <ref name=Review08/> --> हलांकि, नकारात्मक कल्चर वाली महिलायें एंटीबायोटिक उपचार से भी बेहतर हो सकती हैं।<ref name=Review08/> मूत्र पथ संक्रमणों के लक्षणों के अस्पष्ट होने तथा विश्वसनीय परीक्षणों की अनुपस्थिति के कारण बुजुर्गों में निदान करना कठिन हो सकता है।<ref name=Elder2011/>


===वर्गीकरण===
4.यूरिनरी ट्रैक की संरचना में जन्मजात गडबडी की वजह से भी बच्चों को यूटीआई हो सकता है।
मूत्र पथ संक्रमण में केवल निचला मूत्र पथ शामिल हो सकता है जिस स्थिति में इसे मूत्राशय संक्रमण कहा जाता है। दूसरी तरह से इसमें ऊपरी मूत्र पथ शामिल हो सकता है जिस स्थिति में इसे वृक्कगोणिकाशोध कहते हैं।<!-- <ref name=EM2011/> --> यदि मूत्र में बैक्टीरिया की महत्वपूर्ण मात्रा शामिल हो लेकिन कोई लक्षण न हों तो इस स्थिति को स्पर्शोन्मुख जीवाणुमेह (एसिम्पटोमेटिक बैक्टेरियूरिया) कहते हैं।<ref name=EM2011/> यदि मूत्र पथ संक्रमण में ऊपरी पथ शामिल हो और व्यक्ति को [[बहुमूत्र रोग]] हो, वह गर्भवती हो, पुरुष हो या वह [[कमजोर प्रतिरक्षातंत्र]] वाला हो तो इसे जटिल स्थिति कहते हैं।<ref name=AFP2011/><ref name=Sal2011/> यदि महिला स्वस्थ और [[रजोनिवृति से पूर्व]] वाली स्थिति में हो तो इसे जटिल कहा जाता है।<ref name=AFP2011/> वे बच्चे जिनमें मूत्र पथ संक्रमण बुखार से जुड़ा हो तो उनमें इसे ऊपरी मूत्र पथ संक्रमण माना जाता है।<ref name=PeadsNA2011>{{cite journal|last=Bhat|first=RG|coauthors=Katy, TA, Place, FC|title=Pediatric urinary tract infections.|journal=Emergency medicine clinics of North America|date=2011 Aug|volume=29|issue=3|pages=637–53|pmid=21782079|doi=10.1016/j.emc.2011.04.004}}</ref>


===बच्चों में===
5.गर्मियों के मौसम में शरीर में पानी की कमी की वजह से यह समस्या ज्यादा होती है।
बच्चों में मूत्र पथ संक्रमण के निदान के लिये एक सकारात्मक मूत्र कल्चर की आवश्यकता होती है।<!-- <ref name=PeadsNA2011/> --> संग्रहण के लिये उपयोग की गयी विधि के लिये संदूषण एक गंभीर चुनौती पैदा करता है, इस प्रकार, बीच की धारा के “स्पष्ट मिलान” नमूने के लिये 10<sup>5</sup>&nbsp;CFU/mL कट-ऑफ का उपयोग किया जाता है, कैथेटर से प्राप्त किये गये नमूने के लिये 10<sup>4</sup>&nbsp;CFU/mL कटऑफ का उपयोग किया जाता है और [[सुप्राप्यूबिक एस्पिरेशन]] (सुई द्वारा मूत्राशय से सीधे निकाले गये नमूने) के लिये 10<sup>2</sup>&nbsp;CFU/mL कटऑफ का उपयोग किया जाता है।<!-- <ref name=PeadsNA2011/> --> कल्चर के दौरान संदूषण की उच्च दर के चलते नमूनों का "यूरिन बैग" द्वारा संग्रह [[विश्व स्वास्थ्य संगठन]] द्वारा हतोत्साहित किया जाता है और टॉयलट प्रशिक्षितों की अनुपस्थिति में कैथेटराइज़ेशन को तजरीह दी जाती है।<!-- <ref name=PeadsNA2011/> --> [[अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स]] जैसे कुछ, ऐसे सभी दो वर्ष से छोटे व मूत्र पथ संक्रमण से पीड़ित सभी बच्चों के लिये [[रेनल अल्ट्रासाउंड]] और [[वॉयडिंग क्रिस्टोयूरेथ्रोग्राम]] (मूत्र त्याग करते समय किसी व्यक्ति के मूत्रमार्ग और मूत्राशय को वास्तविक समय एक्स-रे द्वारा देखना) की अनुशंसा करते हैं।<!-- <ref name=PeadsNA2011/> --> हलांकि, यदि समस्यायें मिलती हैं तो, प्रभावी उपचार की कमीं के कारण तो दूसरे जैसे कि [[नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर क्लीनिकल एक्सीलेंस]], छः माह से छोटे या असमान्य परिणामों वाले बच्चों में केवल नियमित इमेजिंग की अनुशंसा करते हैं।<ref name=PeadsNA2011/>


===विभेदक निदान===
== बचाव के उपाय ==
[[सर्विसाइटिस]] ([[गर्भाशय ग्रीवा]] की सूजन) या [[वैजिनाइटिस]] ( [[योनि]] की सूजन) से पीड़ित महिलाओं और यूटीआई के लक्षणों वाले युवाओं में ''[[क्लमीडिया ट्रैकोमेटिस]]'' या ''[[नाइसेरिया गोनोरिया]]'' संक्रमण भी एक कारण हो सकता है।<ref name=EM2011/><ref>{{cite journal|last=Raynor|first=MC|coauthors=Carson CC, 3rd|title=Urinary infections in men.|journal=The Medical clinics of North America|date=2011 Jan|volume=95|issue=1|pages=43–54|pmid=21095410|doi=10.1016/j.mcna.2010.08.015}}</ref> वैजिनाइटिस का एक कारण [[candidal vulvovaginitis|यीस्ट संक्रमण]] भी हो सकता है।<ref name=Book2011>{{cite book|last=Leung|first=David Hui ; edited by Alexander|title=Approach to internal medicine : a resource book for clinical practice|publisher=Springer|location=New York|isbn=978-1-4419-6504-2|page=244|url=http://books.google.ca/books?id=lnXNpj5ZzKMC&pg=PA244|edition=3rd ed.|coauthors=Padwal, Raj}}</ref> यूटीआई लक्षणों के एकाधिक एपीसोड वाले लोगों में [[इंटरस्टिशल सिस्टिसिस]] (मूत्राशय का गंभीर दर्द) हो सकता है लेकिन मूत्र कल्चर नकारात्मक बना रहता है और एंटीबायोटिक से कोई सुधार भी नहीं होता है।<ref>{{cite book|last=Kursh|first=edited by Elroy D.|title=Office urology|year=2000|publisher=Humana Press|location=Totowa, N.J.|isbn=978-0-89603-789-2|page=131|url=http://books.google.ca/books?id=AdYs-QwU8KQC&pg=PA131|coauthors=Ulchaker, James C.}}</ref> [[प्रॉस्टेटाइटिस]] ([[पौरुष ग्रंथि]] की सूजन) को भी विभेदक निदान में शामिल किया जा सकता है।<ref>{{cite book|last=Walls|first=authors, Nathan W. Mick, Jessica Radin Peters, Daniel Egan ; editor, Eric S. Nadel ; advisor, Ron|title=Blueprints emergency medicine|year=2006|publisher=Lippincott Williams & Wilkins|location=Baltimore, Md.|isbn=978-1-4051-0461-6|page=152|url=http://books.google.ca/books?id=NvqaWHi1OTsC&pg=RA1-PA152|edition=2nd ed.}}</ref>


==उपचार==
1.बच्चों की, खास तौर से लडकियों की सफाई का पूरा ध्यान रखें।
[[एंटीबायोटिक]] ही मुख्य उपचार है। पहले कुछ दिनों में [[फोनाज़ोपिराइडिन]] को एंटीबायोटिक के साथ दिया जाता है, जिससे कि मूत्राशय संक्रमण के दौरान महसूस की जाने वाली जलन और व्यग्रता से आराम मिल सके।<ref>{{cite journal|last=Gaines|first=KK|title=Phenazopyridine hydrochloride: the use and abuse of an old standby for UTI.|journal=Urologic nursing|date=2004 Jun|volume=24|issue=3|pages=207–9|pmid=15311491}}</ref> हलांकि इसके उपयोग से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं के कारण इसे नियमित तौर पर अनुशंसित नहीं किया जाता है, विशेष रूप से [[मेथेमोग्लोबिनेमिया]](रक्त में [[मेथेमोग्लोबिन]] में सामान्य से अधिक स्तर) के बढ़े जोखिम के कारण।<ref>{{cite book|last=Aronson|first=edited by Jeffrey K.|title=Meyler's side effects of analgesics and anti-inflammatory drugs|year=2008|publisher=Elsevier Science|location=Amsterdam|isbn=978-0-444-53273-2|page=219|url=http://books.google.ca/books?id=2WxotnWiiWkC&pg=PA219}}</ref> [[एसेटामिनोफिन]] (पैरासेटेमॉल) को बुखार के लिये उपयोग किया जा सकता है।<ref>{{cite book|last=Glass|first=[edited by] Jill C. Cash, Cheryl A.|title=Family practice guidelines|year=2010|publisher=Springer|location=New York|isbn=978-0-8261-1812-7|page=271|url=http://books.google.ca/books?id=4uKsZZ4BoRUC&pg=PA271|edition=2nd ed.}}</ref>


बार-बार यूटीआई होने की समस्या से पीड़ित महिलाओं में, केवल आरंभिक उपचार के विफल होने की स्थिति में चिकित्सा फॉलो-अप के साथ लक्षणों के प्रकट होने पर स्व-उपचार लाभदायक हो सकता है।<!-- <ref name=Review08/> --> एंटीबायोटिक के लिये दवा का पर्चा, फोन द्वारा फार्मासिस्ट को दिया जा सकता है।<ref name=Review08/>
2.टॉयलेट हमेशा साफ-सुथरा रखें।


===गैर जटिल===
3.बच्चों के खानपान की स्वच्छता का भी खयाल रखें क्योंकि खुले में बिकने वाली चीजें खाने से अगर बच्चे के खून में इनफेक्शन हो तो इससे उसके यूरिन में भी इनफेक्शन आ जाता है।
गैर जटिल संक्रमणों का केवल लक्षणों के आधार पर निदान व उपचार किया जा सकता है।<ref name=Review08/> मौखिक एंटीबायोटिक जैसे [[ट्राइमैथोप्रिम/सल्फामेथाक्साज़ोल]] (TMP/SMX), [[सेफालोस्प्रिन]], [[नाइट्रोफ्यूरैन्टॉएन]] या [[quinolone|फ्लूरोक्विनोलोन]] पर्याप्त रूप से बेहतर होने की अवधि को कम करते हैं और ये सभी समान रूप से प्रभावी होते हैं।<ref name=Cochrane10>{{cite journal|author=Zalmanovici Trestioreanu A, Green H, Paul M, Yaphe J, Leibovici L|title=Cochrane Database of Systematic Reviews|journal=Cochrane Database Syst Rev|volume=10|issue= 10|pages=CD007182|year=2010|pmid=20927755|doi=10.1002/14651858.CD007182.pub2|editor1-last=Zalmanovici Trestioreanu|editor1-first=Anca|chapter=Antimicrobial agents for treating uncomplicated urinary tract infection in women}}</ref> ट्राइमेथोप्रिम, TMP/SMX या फ्लोरोक्विनोलोन के साथ तीन दिनों का उपचार आम तौर पर पर्याप्त होता है जबकि नाइट्रोफ्यूरैन्टॉएन को 5–7&nbsp;दिन लगते हैं।<ref name=Review08/><ref name=IDSA2010/> उपचार के साथ, 36&nbsp;घंटों के भीतर लक्षण बेहतर होने चाहिये।<ref name=AFP2011/> कुछ दिनों या सप्ताहों के भीतर लगभग 50% लोग बिना उपचार के बेहतर हो जाते हैं।<ref name=Review08/> [[इन्फेक्शस डिसीज़ सोसाइटी ऑफ अमेरिका]], फ्लोरोक्विनोलोन को इस वर्ग की दवाओं के प्रति [[antibiotic resistance|प्रतिरोध]] उत्पन्न होने के कारण प्रथम उपचार के रूप में अनुशंसित नहीं करती है।<ref name=IDSA2010>{{cite journal|last=Gupta|first=K|coauthors=Hooton, TM, Naber, KG, Wullt, B, Colgan, R, Miller, LG, Moran, GJ, Nicolle, LE, Raz, R, Schaeffer, AJ, Soper, DE, Infectious Diseases Society of, America, European Society for Microbiology and Infectious, Diseases|title=International clinical practice guidelines for the treatment of acute uncomplicated cystitis and pyelonephritis in women: A 2010 update by the Infectious Diseases Society of America and the European Society for Microbiology and Infectious Diseases.|journal=Clinical infectious diseases : an official publication of the Infectious Diseases Society of America|date=2011-03-01|volume=52|issue=5|pages=e103-20|pmid=21292654|doi=10.1093/cid/ciq257}}</ref> इस एहतियात के बावजूद, इन दवाओं के व्यापक उपयोग के कारण इस तरह की दवाओं के प्रति कुछ प्रतिरोध विकसित हो गया है।<ref name=Review08/> कुछ देशों में अकेले [[ट्राइमैथोप्रिम]] को ही TMP/SMX के बराबर माना जाता है।<ref name=IDSA2010/> सरल यूटीआई के लिये, अक्सर बच्चे तीन दिन के एंटीबायोटिक उपचार पर प्रतिक्रिया दे देते हैं।<ref>{{cite web|url=http://www.bestbets.org/bets/bet.php?id=939|title=BestBets: Is a short course of antibiotics better than a long course in the treatment of UTI in children}}</ref>


===वृक्कगोणिकाशोध===
4.जब कभी बच्चे को ऐसी समस्या हो तो आप उसे पानी और तरल पदार्थो का सेवन ज्यादा से ज्यादा मात्रा में करने को कहें।
मौखिक एंटीबायोटिक्स या [[अंतःशिरा]] एंटीबायोटिक के अधिक लंबे उपचार द्वारा, वृक्कगोणिकाशोध का सामान्य मूत्राशय संक्रमण की तुलना में अधिक आक्रामक ढ़ंग से उपचार किया जाता है।<ref name=Pylo2011>{{cite journal|last=Colgan|first=R|coauthors=Williams, M, Johnson, JR|title=Diagnosis and treatment of acute pyelonephritis in women.|journal=American family physician|date=2011-09-01|volume=84|issue=5|pages=519–26|pmid=21888302}}</ref> मौखिक फ्लोरोक्विनोलोन [[सिप्रोफ्लॉक्सासिन]] को आम तौर पर उन क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है जहां पर प्रतिरोध दर 10% से कम है।<!-- <ref name=Pylo2011/> -->यदि स्थानीय प्रतिरोध दर 10% से अधिक है तो, अक्सर अंतःशिरा [[सैफ्ट्रियाक्सोन]] की अनुशंसा की जाती है।<!-- <ref name=Pylo2011/> -->वे लोग जिनमें अधिक जटिल लक्षण दिखाते हैं, दिये जा रहे एंटीबायोटिक्स के लिये अस्पताल में भर्ती किये सकते है।<ref name=Pylo2011/> दो या तीन दिनों के उपचार से यदि लक्षणों में सुधार न हो तो [[गर्दे की पथरी]] के कारण [[मूत्र बाधा]] के बारे में विचार किया जा सकता है।<ref name=EM2011/><ref name=Pylo2011/>


==महामारी-विज्ञान==
5.बच्चों को हमेशा कॉटन फैब्रिक से बने इनरवेयर पहनने को दें।
महिलाओं में मूत्र पथ संक्रमण सबसे अधिक निरंतर होने वाले बैक्टीरिया जनित संक्रमण हैं।<ref name=AFP2011>{{cite journal|last=Colgan|first=R|coauthors=Williams, M|title=Diagnosis and treatment of acute uncomplicated cystitis.|journal=American family physician|date=2011-10-01|volume=84|issue=7|pages=771–6|pmid=22010614}}</ref> ये संक्रमण 16 से 35&nbsp;वर्ष की उम्र में सबसे अधिक होते हैं, जिनमें से 10% महिलाओं को हर साल संक्रमण होता है और 60% को जीवन के किसी न किसी समय पर होता रहता है।<ref name=Review08/><ref name=Sal2011>{{cite journal|last=Salvatore|first=S|coauthors=Salvatore, S, Cattoni, E, Siesto, G, Serati, M, Sorice, P, Torella, M|title=Urinary tract infections in women.|journal=European journal of obstetrics, gynecology, and reproductive biology|date=2011 Jun|volume=156|issue=2|pages=131–6|pmid=21349630|doi=10.1016/j.ejogrb.2011.01.028}}</ref> पुनः होना सामान्य बात है और लगभग आधे लोगों को एक ही वर्ष के भीतर दूसरी बार संक्रमण होता है।<!-- <ref name=Sal2011/> --> पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मूत्र पथ संक्रमण चार गुना तक अधिक होता है।<ref name=Sal2011/> वृक्कगोणिकाशोध 20-30 गुना कम बार होता है।<ref name=Review08/> लगभग 40% तक मामलों की संख्या के साथ ये [[Nosocomial infection|अस्पताल से अर्जित संक्रमणों]] के सबसे आम कारण है।<ref name=Nurse2010>{{cite book|title=Brunner & Suddarth's textbook of medical-surgical nursing.|year=2010|publisher=Wolters Kluwer Health/Lippincott Williams & Wilkins|location=Philadelphia|isbn=978-0-7817-8589-1|page=1359|url=http://books.google.ca/books?id=SmtjSD1x688C&pg=PA1359|edition=12th ed.}}</ref> महिलाओं में मूत्र में स्पर्शोन्मुख बैक्टीरिया की दर उम्र के साथ बढ़ती है, बच्चे जनने की उम्र के दौरान यह 2 से 7 प्रतिशत से ले कर देखभाल घरों में बुजुर्ग महिलाओं के साथ यह 50% तक होती है।<ref name=NA2011/> 75 वर्षों से अधिक की उम्र वाले पुरुषों में मूत्र में स्पर्शोन्मुख बैक्टीरिया की दर 7-10% तक होती है।<ref name=Elder2011>{{cite journal|last=Woodford|first=HJ|coauthors=George, J|title=Diagnosis and management of urinary infections in older people.|journal=Clinical medicine (London, England)|date=2011 Feb|volume=11|issue=1|pages=80–3|pmid=21404794}}</ref>


10% लोगों को, मूत्र पथ संक्रमण उनके बचपन में प्रभावित कर सकता है।<ref name=Sal2011/> बच्चों में, तीन माह से कम की उम्र के खतनारहित बालकों में मूत्र पथ संक्रमण सबसे आम है, जिसके बाद एक वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं का नंबर आता है।<ref name=PeadsNA2011/> बच्चों के बीच इसके होने की आवृत्ति के आंकलन काफी विविध हैं। जन्म से लेकर दो वर्ष की उम्र तक वाले बच्चों के समूह में बुखार होने पर 2 से 20% बच्चों में यूटीआई का निदान होता है।<ref name=PeadsNA2011/>
6. अगर ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण बच्चे में दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें क्योंकि इनफेक्शन ज्यादा बढ जाने पर यह किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकता है।


==समाज व संस्कृति==
== बाहरी कड़ियाँ ==
संयुक्त राज्य अमरीका में मूत्र पथ संक्रमण के कारण लगभग हर वर्ष, 7 मिलियन कार्यालय दौरे, एक मिलियन आकस्मिक विभाग दौरे और एक लाख अस्पताल भर्ती मामले होते हैं।<ref name=Sal2011/> काम पर समय की हानि और स्वास्थ्य देखभाल के आधार पर इन संक्रमणों की लागत काफी महत्वपूर्ण है।<!-- <ref name=Nurse10/> --> संयुक्त राज्य अमरीका में उपचार की प्रत्यक्ष वार्षिक लागत का आंकलन लगभग 1.6&nbsp;बिलियन&nbsp;अमरीकी डॉलर है।<ref name=Nurse2010/>
* [[NIH]] articles on Urinary Tract Infections in [http://kidney.niddk.nih.gov/kudiseases/pubs/utiadult/ Adults] and in [http://kidney.niddk.nih.gov/kudiseases/pubs/utichildren/ Children].


==इतिहास==
[[श्रेणी:संक्रमण]]
मूत्र पथ संक्रमणों का वर्णन प्राचीन काल से किया जा रहा है और इसका पहला दस्तावेज़ित वर्णन ई.पू.1550 के [[एबरस पेपाइरस]] में मिलता है।<ref name=His2008>{{cite book|last=Al-Achi|first=Antoine|title=An introduction to botanical medicines : history, science, uses, and dangers|year=2008|publisher=Praeger Publishers|location=Westport, Conn.|isbn=978-0-313-35009-2|page=126|url=http://books.google.ca/books?id=HMzxKua4_rcC&pg=PA126}}</ref> मिस्रियों द्वारा इसको "मूत्राशय से ताप का निकलना" की तरह बताया गया है।<ref>{{cite book|last=Wilson...]|first=[general ed.: Graham|title=Topley and Wilson's Principles of bacteriology, virology and immunity : in 4 volumes|year=1990|publisher=Arnold|location=London|isbn=0-7131-4591-9|page=198|edition=8. ed.}}</ref> 1930 में एंटीबायोटिक की उपलब्धता होने तक प्रभावी उपचार नहीं हो पाता था जिसके पूर्व जड़ीबूटियां,[[रक्त निष्कासन]] तथा अन्य चीजें उपयोग की जाती थीं।<ref name=His2008/>

==गर्भावस्था में==
गुर्दा संक्रमण के जोखिम के कारण, मूत्र पथ संक्रमण, [[गर्भावस्था]] के दौरान अधिक चिंताजनक होता है।<!-- <ref name=NA2011/> --> गर्भावस्था के दौरान, उच्च [[प्रोजेस्टेरोन]] स्तर, मूत्रवाहनी और मूत्राशय के मांसपेशीय क्षमता को घटाने के जोखिम को बढ़ा देता है, जिसके कारण उतार (रीफ्लक्स) की संभावना बढ़ जाती है जहां पर मूत्रवाहनी में मूत्र वापस जा कर गुर्दे तक पहुंच जाता है।<!-- <ref name=NA2011/> --> जबकि गर्भवती महिला में स्पर्शोन्मुख जीवाणुमेह का जोखिम नहीं होता है, लेकिन यदि जीवाणुमेह उपस्थित है तो गुर्दा संक्रमण का जोखिम 25-40% तक बढ़ जाता है।<ref name=NA2011/> इस प्रकार यदि मूत्र परीक्षण, लक्षणों की अनुपस्थिति में भी, संक्रमण के चिह्नों को दर्शाये तो उपचार की संस्तुति की जाती है।<!-- <ref name=Preg10/> -->[[सेफालेक्सिन]] या [[नाइट्रोफ्यूरैन्टॉएन]] का आम तौर पर उपयोग किया जाता है क्योंकि इनको गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित समझा जाता है।<ref name=Preg10>{{cite journal|author=Guinto VT, De Guia B, Festin MR, Dowswell T|title=Cochrane Database of Systematic Reviews|journal=Cochrane Database Syst Rev|volume=|issue=9|pages=CD007855|year=2010|pmid=20824868|doi=10.1002/14651858.CD007855.pub2|editor1-last=Guinto|editor1-first=Valerie T|chapter=Different antibiotic regimens for treating asymptomatic bacteriuria in pregnancy}}</ref> गर्भावस्था के दौरान गुर्दा संक्रमण के परिणामस्वरूप [[समय-पूर्व जन्म]] या [[प्री-एक्लेम्पशिया]] (गर्भावस्था के दौरान [[hypertension|उच्च रक्तचाप]] और गुर्दे की खराबी की एक अवस्था जिसके कारण [[सीज़र्स]] की जरूरत पड़ सकती है) हो सकता है।<ref name=NA2011/>

==संदर्भ==
{{Reflist|2}}

==वाह्य कड़ियां==
* {{DMOZ|Health/Conditions_and_Diseases/Genitourinary_Disorders/Urinary_Tract_Infections/}}

{{Nephrology}}
{{Gram-positive bacterial diseases}}
{{Gram-negative proteobacterial diseases}}

{{DEFAULTSORT:Urinary Tract Infection}}
[[Category:Infectious diseases]]
[[Category:Urological conditions]]

{{Link GA|de}}
[[ca:Infecció urinària]]
[[de:Harnwegsinfekt]]
[[dv:ކުޑަކަމުދާ ނިޒާމްގައި ޖަރާސީމް އަށަގަތުން]]
[[es:Infección urinaria]]
[[fa:عفونت ادراری]]
[[fr:Infection urinaire]]
[[hi:मूत्र पथ संक्रमण]]
[[id:Infeksi saluran kemih]]
[[he:דלקת בדרכי השתן]]
[[mr:मूत्रमार्ग संसर्ग]]
[[nl:Urineweginfectie]]
[[ja:尿路感染症]]
[[no:Urinveisinfeksjon]]
[[pl:Zakażenie układu moczowego]]
[[pt:Infecção do trato urinário]]
[[simple:Urinary tract infection]]
[[fi:Virtsatieinfektio]]
[[sv:Urinvägsinfektion]]
[[tr:İdrar yolu enfeksiyonu]]
[[vi:Nhiễm trùng đường tiểu]]
[[zh:泌尿道感染]]

08:29, 20 मार्च 2013 का अवतरण

साँचा:Good article

Urinary tract infection
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
Multiple white cells seen in the urine of a person with a urinary tract infection via microscopy
आईसीडी-१० N39.0
आईसीडी- 599.0
डिज़ीज़-डीबी 13657
मेडलाइन प्लस 000521
ईमेडिसिन emerg/625  emerg/626
एम.ईएसएच D014552

मूत्र पथ का संक्रमण (यूटीआई) एक बैक्टीरिया जनित संक्रमण है जो मूत्रपथ के एक हिस्से को संक्रमित करता है। जब यह मूत्र पथ निचले हिस्से को प्रभावित करता है तो इसे सामान्य मूत्राशयशोध (मूत्राशय का संक्रमण) कहा जाता है और जब यह ऊपरी मूत्र पथ को प्रभावित करता है तो इसे वृक्कगोणिकाशोध (गुर्दे का संक्रमण) कहा जाता है। निचले मूत्र के लक्षणों में दर्द सहित मूत्र त्याग और बार-बार मूत्र त्याग या मूत्र त्याग की इच्छा (या दोनो) शामिल हैं जबकि वृक्कगोणिकाशोध में निचले यूटीआई के लक्षणों के साथ बुखार और कमर में तेज दर्द भी शामिल होते हैं। बुजुर्ग व बहुत युवा लोगों में लक्षण अस्पष्ट या गैर विशिष्ट हो सकते हैं। दोनो प्रकार के संक्रमणों के मुख्य कारक एजेंट एस्केरीशिया कॉली हैं, हलांकि अन्य दूसरे बैक्टीरिया, वायरस या फफूंद भी कभी कभार इसके कारण हो सकते हैं।

मूत्र पथ के संक्रमण, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम हैं, आधी महिलाओं को उनके जीवन में कम से कम एक बार संक्रमण होता है। संक्रमण का बार-बार होना आम बात है। जोखिम कारकों में महिला शरीर रचना विज्ञान, शारीरिक संबंध और परिवार का इतिहास शामिल है। यदि वृक्कगोणिकाशोध होता है तो इसके बाद मूत्राशय संक्रमण होता है जो कि रक्त जनित संक्रमण के परिणामस्वरूप हो सकता है। स्वस्थ युवा महिलाओं में निदान का आधार मात्र लक्षण भी हो सकते हैं। वे जिनमें अस्पष्ट लक्षण होते हैं, निदान कठिन हो सकता है क्योंकि बैक्टीरिया बिना संक्रमण हुये भी उपस्थित हो सकते हैं। जटिल मामलों में या उपचार के विफल होने पर, एक मूत्र कल्चर उपयोगी हो सकता है। नियमित संक्रमण वाले लोगों में, एंटीबायोटिक की हल्की खुराक को निवारक उपाय के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

गैर जटिल मामलों में, एंटीबायोटिक की हल्की खुराक से, मूत्र पथ संक्रमणों का उपचार आसानी से हो जाता है, हलांकि इस स्थिति में उपचार के लिये उपयोग किये जाने वाले कई एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोध बढ़ रहा है। जटिल मामलों में, लंबी अवधि तक या अंतः शिरा एंटीबायोटिक के उपयोग की जरूरत पड़ सकती है और यदि लक्षण दो या तीन दिन में बेहतर नहीं होते हैं तो अतिरिक्त निदान परीक्षणों की जरूरत हो सकती है। महिलाओं में बैक्टीरिया जनित संक्रमणों के सबसे आम उदाहरण मूत्र पथ संक्रमण हैं ,क्योंकि 10% महिलाओं में वार्षिक रूप से मूत्र पथ संक्रमण विकसित होते हैं।

चिह्न और लक्षण

मूत्र में मवाद शामिल हो सकता है (एक ऐसी स्थिति जिसे प्यूरिया के नाम से जाना जाता है) जिसे कि मूत्र पथ संक्रमण के कारण घाव की सड़न से पीड़ित व्यक्ति में देखा जा सकता है।

निचले मूत्र पथ संक्रमण को मूत्राशय संक्रमण भी कहा जाता है। सबसे आम लक्षण मूत्र त्याग करते समय जलन और योनि स्राव की अनुपस्थिति में बार-बार मूत्र त्याग (या मूत्र त्याग की इच्छा) तथा गंभीर दर्द।[1] ये लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं[2] और एक स्वस्थ महिला में औसत रूप से छः दिन तक बने रह सकते हैं।[3] जघन हड्डी के ऊपर या निचली पीठ में दर्द हो सकता है। ऊपरी मूत्र पथ संक्रमण या वृक्कगोणिकाशोध से पीड़ित लोगों में कमर में तेज दर्द, बुखार या मिचली और उल्टी के साथ निचले मूत्र पथ संक्रमण के परंपरागत लक्षण भी हो सकते हैं।[2] कभी-कभार मूत्र में रक्त की कुछ मात्रा की उपस्थिति भी हो सकती है[4] या प्यूरिया (मूत्र में मवाद) की कुछ मात्रा भी दिख सकती है।[5]

बच्चों में

छोटे बच्चों में, मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई) का एकमात्र लक्षण बुखार हो सकता है। स्पष्ट लक्षणों की अनुपस्थिति में दो बरस से कम उम्र की लड़कियों और एक बरस से कम उम्र के लड़कों में बुखार के लक्षणों की उपस्थिति में कई चिकित्सा संगठन मूत्र कल्चर कराने की अनुशंसा करते हैं। शिशु भोजन लेना कम कर सकते हैं, उल्टी कर सकते हैं, अधिक सो सकते हैं और पीलिया के लक्षण भी दिखा सकते हैं। कुछ बड़े बच्चों में, मूत्र असंयम (मूत्राशय नियंत्रण का हानि) की नयी शुरुआत हो सकती है।[6]

बुज़ुर्गों में

बुज़ुर्गों में मूत्र पथ लक्षण निरंतर क्षीण हो जाते हैं।[7] केवल असंयम, मानसिक स्थिति में परिवर्तन या थकान जैसे लक्षणों के साथ इसकी उपस्थिति के संकेत अस्पष्ट हो सकते हैं।[2] जबकि कुछ लोग, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के पास घाव की सड़न, रक्त के किसी संक्रमण के प्राथमिक लक्षणों के साथ जा सकते हैं।[4] इसका निदान काफी जटिल हो सकता है क्योंकि बुज़ुर्गों में असंयम या मनोभ्रंश पहले से उपस्थित हो सकता है।[7]

कारण

मूत्र पथ संक्रमण के 80–85% मामलों का कारण ई. कॉली होता है, जिसमें से स्टेफिलोकॉकस सैप्रोफाइटिकस 5–10% मामलों का कारण होता है।[1] कभी-कभार ये वायरस जनित या फफूंद जनित संक्रमण भी हो सकते हैं।[8] बैक्टीरिया जनित अन्य कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:क्लेब्सिएला, प्रोटियस, स्यूडोमोनस और एंट्रोबैक्टर। यह असामान्य है और आम तौर पर मूत्र प्रणाली या मूत्र कैथेटराइजेशन की असमान्यताओं से संबंधित है।[4]स्टैफिलोकॉकस ऑरियस के कारण हुआ मूत्र पथ संक्रमण आम तौर पर रक्त अस्थि संक्रमण के बाद होता है।[2]

यौन संबंध

युवा और यौन सक्रिय महिलाओं में, मूत्राशय संक्रमणों का 75–90%, यौन गतिविधियों के कारण होता है, इसमें संक्रमण का जोखिम यौन सक्रियता से संबंधित होता है।[1] शब्द "हनीमून मूत्राशयशोध" आरंभिक विवाह अवधि के दौरान होने वाले इस तथ्य से संबंधित है। रजोनिवृत्ति के बाद वाली महिलाओं में यौन संबंध गतिविधियां यूटीआई के विकास का जोखिम को प्रभावित नहीं करती हैं। यौन सक्रियता से अलग, स्पर्मिसाइड का उपयोग भी यूटीआई का जोखिम बढ़ा देता है।[1]

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यूटीआई अधिक होता है क्योंकि महिलाओं में मूत्रमार्ग अधिक छोटा तथा गुदा के अधिक पास होता है।[9] रजोनिवृत्ति के साथ महिलाओं में एस्ट्रोजन स्तर कम होते जाते हैं और पूर्व सक्रिय रूप से योनि में रहने वाले जीवाणुओं की हानि के कारण मूत्र पथ संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है।[9]

मूत्र कैथेटर

मूत्र कैथेटराइज़ेशन मूत्र पथ संक्रमणों का जोखिम बढ़ा देता है। बैक्टेरियूरिया (मूत्र में बैक्टीरिया) का जोखिम 3 से 6 प्रतिशत, प्रतिदिन के बीच है और रोगनिरोधी ऐंटीबायोटिक लक्षणात्मक संक्रमणों को कम करने में प्रभावी नहीं हैं। [9] केवल जरूरी होने पर तथा प्रविष्ट कराने के लिये असेप्टिक तकनीक द्वारा कैथेटराइज़ेशन कराने से और कैथेटर के बंद पड़ने वाले निकास को बाधा रहित रखकर संबंधित संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सकता है।[10][11][12]

अन्य

परिवारों में मूत्राशय संक्रमण की एक पूर्ववृत्ति उपस्थित हो सकती है। अन्य जोखिमों कारकों मेंमधुमेह,[1] being खतना न होना और बड़ी प्रोस्टेट ग्रंथि होना शामिल हैं।[2] जटिल कारक अस्पष्ट हैं और इनमें शारीरिक, कार्यात्मक, या चयापचयी असमान्यताओं की पूर्ववृत्ति शामिल है। जटिल यूटीआई का उपचार अधिक कठिन हैं और आम तौर पर इसमें अधिक अधिक आक्रामक मूल्यांकन, उपचार और फॉलोअप की जरूरत पड़ती है।[13] बच्चों में यूटीआई वेसिकोयूरेटल रिफ्लक्स (मूत्राशय में मूत्रनली या गुर्देसे मूत्रका असामान्य प्रवाह) तथा कब्ज़ से जुड़ा है।[6]

रीढ़ की हड्डी में चोट से पीड़ित लोगों में मूत्र पथ संक्रमण का जोखिम बढ़ ताजा है क्योंकि वे कैथेटर का काफी उपयोग करते हैं और इसके लिये मूत्रत्याग शिथिलता भी आंशिक रूप से जिम्मेदार होती है।[14] इस जनसंख्या में संक्रमण का सबसे आम कारण यही है तथा साथ ही अस्पताल में भर्ती होने का भी सबसे आम कारण यही है।[14]साथ ही, इस जनसंख्या में रोकथाम व उपचार के लिये क्रेनबेरी रस या क्रेनबेरी पूरक अप्रभावी साबित होते हैं।[15]

रोगजनक

वह बैक्टीरिया, जो मूत्र पथ संक्रमण के लिये आम तौर पर जिम्मेदार है, मूत्रनलिका के माध्यम से मूत्राशय में प्रवेश करता है। हलांकि, संक्रमण रक्त या लसीका द्वारा भी हो सकता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि बैक्टीरिया आम तौर पर आंत्र द्वारा मूत्रमार्ग में प्रवेश करता है और अपनी शारीरिक बनावट के कारण महिलाओं में इसके होने का अधिक जोखिम होता है। मूत्राशय में प्रवेश हासिल करने का बाद, ई. कॉली खुद को मूत्राशय की दीवार से चिपका देते हैं और एक बायोफिल्म का निर्माण करते हैं जो लड़के की रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया में प्रतिरोध पैदा करती है।[4]

रोकथाम

यूटीआई की आवृत्ति को न रोक सकने में अक्षम रहे कई उपाय किये गये हैं जिनमें गर्भनिरोधक गोलियां या कंडोम, शारीरिक संबंधों के तुरंत बाद मूत्र त्याग करना, विशेष प्रकार का अंडरवियर, मूत्र त्याग या मलत्याग के बाद निजी स्वच्छता के लिये उपयोग किये जाने वाले उपाय या किसी व्यक्ति द्वारा नहाना या शॉवर लेना शामिल हैं।[1] इसी तरह से मूत्र को रोकना, अवरोध का उपयोग और नलधावन(डाउचिंग) के प्रभावों पर साक्ष्य की कमी है।[9]

वे लोग जिनको नियमित मूत्र पथ संक्रमण होता है और जो गर्भनिरोध के उपाय के रूप में स्पेर्मिसाइड या डायाफ्राम का उपयोग करते हैं उनको वैकल्पिक विधि के उपयोग की सलाह दी जाती है।[4] क्रेनबेरी (रस या कैप्स्यूल) नियमित संक्रमण से पीड़ित उन लोगों में इसके होने को कम कर सकता है,[16][17] but long-term tolerance is an issue[16] जिनमें जठरांत्र समस्या 30% से अधिक होती है।[18] दिन में दो बार का उपयोग एक बार के उपयोग से बेहतर हो सकता है।[19] 2011 में, अंतः योनि प्रोबायोटिक्स के अतिरिक्त अध्ययन की आवश्यकता है जिससे इसकी प्रभावशीलता का निर्धारण हो सके।[4] स्पर्मिसाइड रहित कंडोम या जन्म गर्भ निरोधक गोलियों का उपयोग गैर जटिल मूत्र पथ संक्रमण के जोखिम को नहीं बढ़ाता है।[20]

उपचार (दवायें)

वे लोग जिनको नियमित संक्रमण होता है, उनके लिये दैनिक एंटीबायोटिक का एक लंबा कोर्स प्रभावी होता है।[1]नियमित रूप से उपयोग की जाने वाली दवाओं में नाइट्रोफ्यूरेटॉएन और ट्राइमेथोप्रिम/सल्फामेथॉक्सेज़ोल शामिल हैं।[4] मेथेनामाइन एक और एजेंट है जो इसके लिये नियमित तौर पर उपयोग किया जाता है क्योंकि मूत्राशय, जहां अम्लता कम होती है यह फॉर्मएल्डीहाइड उत्पन्न करता है जिसके प्रति प्रतिरोध विकसित नहीं होता है।[21] वे मामले जो संभोग से संबंधित संक्रमणों वाले हैं, उनमें बाद में एंटीबायोटिक लेना उपयोगी हो सकता है।[4] रजोनिवृत्त महिलाओं में, स्थानीय योनि संबंधी एस्ट्रोजन पुनरावृत्ति को कम करता देखा गया है। स्थानीय क्रीमों के विपरीत, पेसरीज़ से योनि के एस्ट्रोजन का उपयोग, एंटीबायोटिक की हल्की खुराक की तुलना उपयोगी नहीं पाया गया है।[22] 2011 तक, कई सारे टीके विकसित किये गये हैं।[4]

बच्चों में

निवारक एंटीबायोटिक द्वारा बच्चों में मूत्र पथ संक्रमण की कमी के साक्ष्य बेहद खराब हैं।[23] यदि किडनी संबंधी कोई अन्य अंतर्निहित असमान्यता न हो तो बार-बार होने वाले यूटीआई आगे होने वाली गुर्दे की समस्याओं का बेहद कम संभावित कारण होता है, यह वयस्कों में होने वाले गंभीर गुर्दा रोग का मात्र एक तिहाई (0.33%) प्रतिशत से भी कम होता है।[24]

निदान

यूरिनरी माइक्रोस्कोपी में श्वेत रक्त कणिकाओं के बीच दिखाये गये बहुत सारे बासिली (रॉड के आकार के बैक्टीरिया, जिनको यहां पर काले बीन के आकार में दिखाया गया है)। ये परिवर्तन, मूत्र पथ संक्रमण के संकेत हैं।

प्रत्यक्ष मामलों में, मात्र लक्षणों के आधार पर बिना प्रयोगशाला परीक्षणों की पुष्टि के निदान व उपचार किया जा सकता है। जटिल व संदिग्ध मामलों में मूत्र विश्लेषण द्वारा यूरीनरी नाइट्रेट, श्वेत रक्त कणिकाओं (ल्यूकोसाइट्स) या ल्यूकोसाइट ईस्टरेस की उपस्थिति को देख कर पुष्टि करना उपयोगी हो सकता है। एक अन्य परीक्षण यूरिन माइक्रोस्कोपी होता है, जो कि लाल रक्त कणिकाओं, श्वेत रक्त कणिकाओं या बैक्टीरिया की उपस्थिति की जांच करता है। मूत्र कल्चर तब सकारात्मक माना जाता है जब यह बैक्टीरिया कॉलोनी गणना को आम मूत्र पथ जीवों के प्रति मिली 103 कॉलोनी फॉर्मिंग यूनिट के बराबर या अधिक बताता है। इन कल्चर के माध्यम से एंटीबायोटिक संवेदनशीलता की भी जांच की जा सकती है, जो इनको एंटीबायोटिक उपचार के चयन में भी उपयोगी बनाता है। हलांकि, नकारात्मक कल्चर वाली महिलायें एंटीबायोटिक उपचार से भी बेहतर हो सकती हैं।[1] मूत्र पथ संक्रमणों के लक्षणों के अस्पष्ट होने तथा विश्वसनीय परीक्षणों की अनुपस्थिति के कारण बुजुर्गों में निदान करना कठिन हो सकता है।[7]

वर्गीकरण

मूत्र पथ संक्रमण में केवल निचला मूत्र पथ शामिल हो सकता है जिस स्थिति में इसे मूत्राशय संक्रमण कहा जाता है। दूसरी तरह से इसमें ऊपरी मूत्र पथ शामिल हो सकता है जिस स्थिति में इसे वृक्कगोणिकाशोध कहते हैं। यदि मूत्र में बैक्टीरिया की महत्वपूर्ण मात्रा शामिल हो लेकिन कोई लक्षण न हों तो इस स्थिति को स्पर्शोन्मुख जीवाणुमेह (एसिम्पटोमेटिक बैक्टेरियूरिया) कहते हैं।[2] यदि मूत्र पथ संक्रमण में ऊपरी पथ शामिल हो और व्यक्ति को बहुमूत्र रोग हो, वह गर्भवती हो, पुरुष हो या वह कमजोर प्रतिरक्षातंत्र वाला हो तो इसे जटिल स्थिति कहते हैं।[3][4] यदि महिला स्वस्थ और रजोनिवृति से पूर्व वाली स्थिति में हो तो इसे जटिल कहा जाता है।[3] वे बच्चे जिनमें मूत्र पथ संक्रमण बुखार से जुड़ा हो तो उनमें इसे ऊपरी मूत्र पथ संक्रमण माना जाता है।[6]

बच्चों में

बच्चों में मूत्र पथ संक्रमण के निदान के लिये एक सकारात्मक मूत्र कल्चर की आवश्यकता होती है। संग्रहण के लिये उपयोग की गयी विधि के लिये संदूषण एक गंभीर चुनौती पैदा करता है, इस प्रकार, बीच की धारा के “स्पष्ट मिलान” नमूने के लिये 105 CFU/mL कट-ऑफ का उपयोग किया जाता है, कैथेटर से प्राप्त किये गये नमूने के लिये 104 CFU/mL कटऑफ का उपयोग किया जाता है और सुप्राप्यूबिक एस्पिरेशन (सुई द्वारा मूत्राशय से सीधे निकाले गये नमूने) के लिये 102 CFU/mL कटऑफ का उपयोग किया जाता है। कल्चर के दौरान संदूषण की उच्च दर के चलते नमूनों का "यूरिन बैग" द्वारा संग्रह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हतोत्साहित किया जाता है और टॉयलट प्रशिक्षितों की अनुपस्थिति में कैथेटराइज़ेशन को तजरीह दी जाती है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स जैसे कुछ, ऐसे सभी दो वर्ष से छोटे व मूत्र पथ संक्रमण से पीड़ित सभी बच्चों के लिये रेनल अल्ट्रासाउंड और वॉयडिंग क्रिस्टोयूरेथ्रोग्राम (मूत्र त्याग करते समय किसी व्यक्ति के मूत्रमार्ग और मूत्राशय को वास्तविक समय एक्स-रे द्वारा देखना) की अनुशंसा करते हैं। हलांकि, यदि समस्यायें मिलती हैं तो, प्रभावी उपचार की कमीं के कारण तो दूसरे जैसे कि नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर क्लीनिकल एक्सीलेंस, छः माह से छोटे या असमान्य परिणामों वाले बच्चों में केवल नियमित इमेजिंग की अनुशंसा करते हैं।[6]

विभेदक निदान

सर्विसाइटिस (गर्भाशय ग्रीवा की सूजन) या वैजिनाइटिस ( योनि की सूजन) से पीड़ित महिलाओं और यूटीआई के लक्षणों वाले युवाओं में क्लमीडिया ट्रैकोमेटिस या नाइसेरिया गोनोरिया संक्रमण भी एक कारण हो सकता है।[2][25] वैजिनाइटिस का एक कारण यीस्ट संक्रमण भी हो सकता है।[26] यूटीआई लक्षणों के एकाधिक एपीसोड वाले लोगों में इंटरस्टिशल सिस्टिसिस (मूत्राशय का गंभीर दर्द) हो सकता है लेकिन मूत्र कल्चर नकारात्मक बना रहता है और एंटीबायोटिक से कोई सुधार भी नहीं होता है।[27] प्रॉस्टेटाइटिस (पौरुष ग्रंथि की सूजन) को भी विभेदक निदान में शामिल किया जा सकता है।[28]

उपचार

एंटीबायोटिक ही मुख्य उपचार है। पहले कुछ दिनों में फोनाज़ोपिराइडिन को एंटीबायोटिक के साथ दिया जाता है, जिससे कि मूत्राशय संक्रमण के दौरान महसूस की जाने वाली जलन और व्यग्रता से आराम मिल सके।[29] हलांकि इसके उपयोग से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं के कारण इसे नियमित तौर पर अनुशंसित नहीं किया जाता है, विशेष रूप से मेथेमोग्लोबिनेमिया(रक्त में मेथेमोग्लोबिन में सामान्य से अधिक स्तर) के बढ़े जोखिम के कारण।[30] एसेटामिनोफिन (पैरासेटेमॉल) को बुखार के लिये उपयोग किया जा सकता है।[31]

बार-बार यूटीआई होने की समस्या से पीड़ित महिलाओं में, केवल आरंभिक उपचार के विफल होने की स्थिति में चिकित्सा फॉलो-अप के साथ लक्षणों के प्रकट होने पर स्व-उपचार लाभदायक हो सकता है। एंटीबायोटिक के लिये दवा का पर्चा, फोन द्वारा फार्मासिस्ट को दिया जा सकता है।[1]

गैर जटिल

गैर जटिल संक्रमणों का केवल लक्षणों के आधार पर निदान व उपचार किया जा सकता है।[1] मौखिक एंटीबायोटिक जैसे ट्राइमैथोप्रिम/सल्फामेथाक्साज़ोल (TMP/SMX), सेफालोस्प्रिन, नाइट्रोफ्यूरैन्टॉएन या फ्लूरोक्विनोलोन पर्याप्त रूप से बेहतर होने की अवधि को कम करते हैं और ये सभी समान रूप से प्रभावी होते हैं।[32] ट्राइमेथोप्रिम, TMP/SMX या फ्लोरोक्विनोलोन के साथ तीन दिनों का उपचार आम तौर पर पर्याप्त होता है जबकि नाइट्रोफ्यूरैन्टॉएन को 5–7 दिन लगते हैं।[1][33] उपचार के साथ, 36 घंटों के भीतर लक्षण बेहतर होने चाहिये।[3] कुछ दिनों या सप्ताहों के भीतर लगभग 50% लोग बिना उपचार के बेहतर हो जाते हैं।[1] इन्फेक्शस डिसीज़ सोसाइटी ऑफ अमेरिका, फ्लोरोक्विनोलोन को इस वर्ग की दवाओं के प्रति प्रतिरोध उत्पन्न होने के कारण प्रथम उपचार के रूप में अनुशंसित नहीं करती है।[33] इस एहतियात के बावजूद, इन दवाओं के व्यापक उपयोग के कारण इस तरह की दवाओं के प्रति कुछ प्रतिरोध विकसित हो गया है।[1] कुछ देशों में अकेले ट्राइमैथोप्रिम को ही TMP/SMX के बराबर माना जाता है।[33] सरल यूटीआई के लिये, अक्सर बच्चे तीन दिन के एंटीबायोटिक उपचार पर प्रतिक्रिया दे देते हैं।[34]

वृक्कगोणिकाशोध

मौखिक एंटीबायोटिक्स या अंतःशिरा एंटीबायोटिक के अधिक लंबे उपचार द्वारा, वृक्कगोणिकाशोध का सामान्य मूत्राशय संक्रमण की तुलना में अधिक आक्रामक ढ़ंग से उपचार किया जाता है।[35] मौखिक फ्लोरोक्विनोलोन सिप्रोफ्लॉक्सासिन को आम तौर पर उन क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है जहां पर प्रतिरोध दर 10% से कम है।यदि स्थानीय प्रतिरोध दर 10% से अधिक है तो, अक्सर अंतःशिरा सैफ्ट्रियाक्सोन की अनुशंसा की जाती है।वे लोग जिनमें अधिक जटिल लक्षण दिखाते हैं, दिये जा रहे एंटीबायोटिक्स के लिये अस्पताल में भर्ती किये सकते है।[35] दो या तीन दिनों के उपचार से यदि लक्षणों में सुधार न हो तो गर्दे की पथरी के कारण मूत्र बाधा के बारे में विचार किया जा सकता है।[2][35]

महामारी-विज्ञान

महिलाओं में मूत्र पथ संक्रमण सबसे अधिक निरंतर होने वाले बैक्टीरिया जनित संक्रमण हैं।[3] ये संक्रमण 16 से 35 वर्ष की उम्र में सबसे अधिक होते हैं, जिनमें से 10% महिलाओं को हर साल संक्रमण होता है और 60% को जीवन के किसी न किसी समय पर होता रहता है।[1][4] पुनः होना सामान्य बात है और लगभग आधे लोगों को एक ही वर्ष के भीतर दूसरी बार संक्रमण होता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मूत्र पथ संक्रमण चार गुना तक अधिक होता है।[4] वृक्कगोणिकाशोध 20-30 गुना कम बार होता है।[1] लगभग 40% तक मामलों की संख्या के साथ ये अस्पताल से अर्जित संक्रमणों के सबसे आम कारण है।[36] महिलाओं में मूत्र में स्पर्शोन्मुख बैक्टीरिया की दर उम्र के साथ बढ़ती है, बच्चे जनने की उम्र के दौरान यह 2 से 7 प्रतिशत से ले कर देखभाल घरों में बुजुर्ग महिलाओं के साथ यह 50% तक होती है।[9] 75 वर्षों से अधिक की उम्र वाले पुरुषों में मूत्र में स्पर्शोन्मुख बैक्टीरिया की दर 7-10% तक होती है।[7]

10% लोगों को, मूत्र पथ संक्रमण उनके बचपन में प्रभावित कर सकता है।[4] बच्चों में, तीन माह से कम की उम्र के खतनारहित बालकों में मूत्र पथ संक्रमण सबसे आम है, जिसके बाद एक वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं का नंबर आता है।[6] बच्चों के बीच इसके होने की आवृत्ति के आंकलन काफी विविध हैं। जन्म से लेकर दो वर्ष की उम्र तक वाले बच्चों के समूह में बुखार होने पर 2 से 20% बच्चों में यूटीआई का निदान होता है।[6]

समाज व संस्कृति

संयुक्त राज्य अमरीका में मूत्र पथ संक्रमण के कारण लगभग हर वर्ष, 7 मिलियन कार्यालय दौरे, एक मिलियन आकस्मिक विभाग दौरे और एक लाख अस्पताल भर्ती मामले होते हैं।[4] काम पर समय की हानि और स्वास्थ्य देखभाल के आधार पर इन संक्रमणों की लागत काफी महत्वपूर्ण है। संयुक्त राज्य अमरीका में उपचार की प्रत्यक्ष वार्षिक लागत का आंकलन लगभग 1.6 बिलियन अमरीकी डॉलर है।[36]

इतिहास

मूत्र पथ संक्रमणों का वर्णन प्राचीन काल से किया जा रहा है और इसका पहला दस्तावेज़ित वर्णन ई.पू.1550 के एबरस पेपाइरस में मिलता है।[37] मिस्रियों द्वारा इसको "मूत्राशय से ताप का निकलना" की तरह बताया गया है।[38] 1930 में एंटीबायोटिक की उपलब्धता होने तक प्रभावी उपचार नहीं हो पाता था जिसके पूर्व जड़ीबूटियां,रक्त निष्कासन तथा अन्य चीजें उपयोग की जाती थीं।[37]

गर्भावस्था में

गुर्दा संक्रमण के जोखिम के कारण, मूत्र पथ संक्रमण, गर्भावस्था के दौरान अधिक चिंताजनक होता है। गर्भावस्था के दौरान, उच्च प्रोजेस्टेरोन स्तर, मूत्रवाहनी और मूत्राशय के मांसपेशीय क्षमता को घटाने के जोखिम को बढ़ा देता है, जिसके कारण उतार (रीफ्लक्स) की संभावना बढ़ जाती है जहां पर मूत्रवाहनी में मूत्र वापस जा कर गुर्दे तक पहुंच जाता है। जबकि गर्भवती महिला में स्पर्शोन्मुख जीवाणुमेह का जोखिम नहीं होता है, लेकिन यदि जीवाणुमेह उपस्थित है तो गुर्दा संक्रमण का जोखिम 25-40% तक बढ़ जाता है।[9] इस प्रकार यदि मूत्र परीक्षण, लक्षणों की अनुपस्थिति में भी, संक्रमण के चिह्नों को दर्शाये तो उपचार की संस्तुति की जाती है।सेफालेक्सिन या नाइट्रोफ्यूरैन्टॉएन का आम तौर पर उपयोग किया जाता है क्योंकि इनको गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित समझा जाता है।[39] गर्भावस्था के दौरान गुर्दा संक्रमण के परिणामस्वरूप समय-पूर्व जन्म या प्री-एक्लेम्पशिया (गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप और गुर्दे की खराबी की एक अवस्था जिसके कारण सीज़र्स की जरूरत पड़ सकती है) हो सकता है।[9]

संदर्भ

  1. Nicolle LE (2008). "Uncomplicated urinary tract infection in adults including uncomplicated pyelonephritis". Urol Clin North Am. 35 (1): 1–12, v. PMID 18061019. डीओआइ:10.1016/j.ucl.2007.09.004.
  2. Lane, DR (2011 Aug). "Diagnosis and management of urinary tract infection and pyelonephritis". Emergency medicine clinics of North America. 29 (3): 539–52. PMID 21782073. डीओआइ:10.1016/j.emc.2011.04.001. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  3. Colgan, R (2011-10-01). "Diagnosis and treatment of acute uncomplicated cystitis". American family physician. 84 (7): 771–6. PMID 22010614. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)
  4. Salvatore, S (2011 Jun). "Urinary tract infections in women". European journal of obstetrics, gynecology, and reproductive biology. 156 (2): 131–6. PMID 21349630. डीओआइ:10.1016/j.ejogrb.2011.01.028. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  5. Arellano, Ronald S. Non-vascular interventional radiology of the abdomen. New York: Springer. पृ॰ 67. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4419-7731-1.
  6. Bhat, RG (2011 Aug). "Pediatric urinary tract infections". Emergency medicine clinics of North America. 29 (3): 637–53. PMID 21782079. डीओआइ:10.1016/j.emc.2011.04.004. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  7. Woodford, HJ (2011 Feb). "Diagnosis and management of urinary infections in older people". Clinical medicine (London, England). 11 (1): 80–3. PMID 21404794. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  8. Amdekar, S (2011 Nov). "Probiotic therapy: immunomodulating approach toward urinary tract infection". Current microbiology. 63 (5): 484–90. PMID 21901556. डीओआइ:10.1007/s00284-011-0006-2. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  9. Dielubanza, EJ (2011 Jan). "Urinary tract infections in women". The Medical clinics of North America. 95 (1): 27–41. PMID 21095409. डीओआइ:10.1016/j.mcna.2010.08.023. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  10. Nicolle LE (2001). "The chronic indwelling catheter and urinary infection in long-term-care facility residents". Infect Control Hosp Epidemiol. 22 (5): 316–21. PMID 11428445. डीओआइ:10.1086/501908.
  11. Phipps S, Lim YN, McClinton S, Barry C, Rane A, N'Dow J (2006). Phipps, Simon (संपा॰). "Cochrane Database of Systematic Reviews". Cochrane Database Syst Rev (2): CD004374. PMID 16625600. डीओआइ:10.1002/14651858.CD004374.pub2. |chapter= ignored (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  12. Gould CV, Umscheid CA, Agarwal RK, Kuntz G, Pegues DA (2010). "Guideline for prevention of catheter-associated urinary tract infections 2009". Infect Control Hosp Epidemiol. 31 (4): 319–26. PMID 20156062. डीओआइ:10.1086/651091.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  13. Infectious Disease, Chapter Seven, Urinary Tract Infections from Infectious Disease Section of Microbiology and Immunology On-line. By Charles Bryan MD. University of South Carolina. This page last changed on Wednesday, April 27, 2011
  14. Eves, FJ (2010 Apr). "Prevention of urinary tract infections in persons with spinal cord injury in home health care". Home healthcare nurse. 28 (4): 230–41. PMID 20520263. डीओआइ:10.1097/NHH.0b013e3181dc1bcb. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  15. Opperman, EA (2010 Jun). "Cranberry is not effective for the prevention or treatment of urinary tract infections in individuals with spinal cord injury". Spinal cord. 48 (6): 451–6. PMID 19935757. डीओआइ:10.1038/sc.2009.159. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  16. Jepson RG, Craig JC (2008). Jepson, Ruth G (संपा॰). "Cochrane Database of Systematic Reviews". Cochrane Database Syst Rev (1): CD001321. PMID 18253990. डीओआइ:10.1002/14651858.CD001321.pub4. |chapter= ignored (मदद)
  17. Wang CH, Fang CC, Chen NC; एवं अन्य (2012). "Cranberry-containing products for prevention of urinary tract infections in susceptible populations". Arch Intern Med. 172 (13): 988–96. डीओआइ:10.1001/archinternmed.2012.3004. Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  18. Rossi, R (2010 Sep). "Overview on cranberry and urinary tract infections in females". Journal of Clinical Gastroenterology. 44 Suppl 1: S61-2. PMID 20495471. डीओआइ:10.1097/MCG.0b013e3181d2dc8e. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  19. Wang, CH (2012 July 9). "Cranberry-containing products for prevention of urinary tract infections in susceptible populations: a systematic review and meta-analysis of randomized controlled trials". Archives of Internal Medicine. 172 (13): 988–96. PMID 22777630. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  20. Engleberg, N C; DiRita, V; Dermody, T S (2007). "63". Schaechter's Mechanism of Microbial Disease (4 संस्करण). Baltimore: Lippincott Williams & Wilkins. 618. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7817-5342-5.
  21. Cubeddu, Richard Finkel, Michelle A. Clark, Luigi X. (2009). Pharmacology (4th ed. संस्करण). Philadelphia: Lippincott Williams & Wilkins. पृ॰ 397. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780781771559.सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ (link)
  22. Perrotta, C (2008-04-16). "Oestrogens for preventing recurrent urinary tract infection in postmenopausal women". Cochrane database of systematic reviews (Online) (2): CD005131. PMID 18425910. डीओआइ:10.1002/14651858.CD005131.pub2. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)
  23. Dai, B; Liu, Y; Jia, J; Mei, C (2010). "Long-term antibiotics for the prevention of recurrent urinary tract infection in children: a systematic review and meta-analysis". Archives of Disease in Childhood. 95 (7): 499–508. PMID 20457696. डीओआइ:10.1136/adc.2009.173112.
  24. Salo, J (2011 Nov). "Childhood urinary tract infections as a cause of chronic kidney disease". Pediatrics. 128 (5): 840–7. PMID 21987701. डीओआइ:10.1542/peds.2010-3520. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  25. Raynor, MC (2011 Jan). "Urinary infections in men". The Medical clinics of North America. 95 (1): 43–54. PMID 21095410. डीओआइ:10.1016/j.mcna.2010.08.015. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  26. Leung, David Hui ; edited by Alexander. Approach to internal medicine : a resource book for clinical practice (3rd ed. संस्करण). New York: Springer. पृ॰ 244. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4419-6504-2. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ (link)
  27. Kursh, edited by Elroy D. (2000). Office urology. Totowa, N.J.: Humana Press. पृ॰ 131. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-89603-789-2. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: authors list (link)
  28. Walls, authors, Nathan W. Mick, Jessica Radin Peters, Daniel Egan ; editor, Eric S. Nadel ; advisor, Ron (2006). Blueprints emergency medicine (2nd ed. संस्करण). Baltimore, Md.: Lippincott Williams & Wilkins. पृ॰ 152. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4051-0461-6.सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ (link)
  29. Gaines, KK (2004 Jun). "Phenazopyridine hydrochloride: the use and abuse of an old standby for UTI". Urologic nursing. 24 (3): 207–9. PMID 15311491. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  30. Aronson, edited by Jeffrey K. (2008). Meyler's side effects of analgesics and anti-inflammatory drugs. Amsterdam: Elsevier Science. पृ॰ 219. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-444-53273-2.सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: authors list (link)
  31. Glass, [edited by] Jill C. Cash, Cheryl A. (2010). Family practice guidelines (2nd ed. संस्करण). New York: Springer. पृ॰ 271. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-8261-1812-7.सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ: authors list (link) सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ (link)
  32. Zalmanovici Trestioreanu A, Green H, Paul M, Yaphe J, Leibovici L (2010). Zalmanovici Trestioreanu, Anca (संपा॰). "Cochrane Database of Systematic Reviews". Cochrane Database Syst Rev. 10 (10): CD007182. PMID 20927755. डीओआइ:10.1002/14651858.CD007182.pub2. |chapter= ignored (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  33. Gupta, K (2011-03-01). "International clinical practice guidelines for the treatment of acute uncomplicated cystitis and pyelonephritis in women: A 2010 update by the Infectious Diseases Society of America and the European Society for Microbiology and Infectious Diseases". Clinical infectious diseases : an official publication of the Infectious Diseases Society of America. 52 (5): e103-20. PMID 21292654. डीओआइ:10.1093/cid/ciq257. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)
  34. "BestBets: Is a short course of antibiotics better than a long course in the treatment of UTI in children".
  35. Colgan, R (2011-09-01). "Diagnosis and treatment of acute pyelonephritis in women". American family physician. 84 (5): 519–26. PMID 21888302. नामालूम प्राचल |coauthors= की उपेक्षा की गयी (|author= सुझावित है) (मदद)
  36. Brunner & Suddarth's textbook of medical-surgical nursing (12th ed. संस्करण). Philadelphia: Wolters Kluwer Health/Lippincott Williams & Wilkins. 2010. पृ॰ 1359. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7817-8589-1.सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ (link)
  37. Al-Achi, Antoine (2008). An introduction to botanical medicines : history, science, uses, and dangers. Westport, Conn.: Praeger Publishers. पृ॰ 126. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-313-35009-2.
  38. Wilson...], [general ed.: Graham (1990). Topley and Wilson's Principles of bacteriology, virology and immunity : in 4 volumes (8. ed. संस्करण). London: Arnold. पृ॰ 198. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-7131-4591-9.सीएस1 रखरखाव: फालतू पाठ (link)
  39. Guinto VT, De Guia B, Festin MR, Dowswell T (2010). Guinto, Valerie T (संपा॰). "Cochrane Database of Systematic Reviews". Cochrane Database Syst Rev (9): CD007855. PMID 20824868. डीओआइ:10.1002/14651858.CD007855.pub2. |chapter= ignored (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)

वाह्य कड़ियां

साँचा:Nephrology साँचा:Gram-positive bacterial diseases साँचा:Gram-negative proteobacterial diseases

साँचा:Link GA hi:मूत्र पथ संक्रमण