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स्प्लेनोमेगाली

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Splenomegaly
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
आईसीडी-१० Q89.0, R16.1
आईसीडी- 759.0, 789.2
रोग डाटाबेस 12375
मेडलाइन+ 003276
ई-मेडिसिन ped/2139  med/2156
एमईएसएच D013163

प्लीहा (स्प्लीन) की वृद्धि को स्प्लेनोमेगाली (प्लीहावृद्धि या तिल्ली का बढ़ना) कहते हैं। प्लीहा या तिल्ली आम तौर पर मानव पेट के बाएँ ऊपरी चतुर्भाग (एलयूक्यू) में स्थित होती है। यह हाइपरस्प्लेनिज्म के चार प्रमुख संकेतों में से एक है, अन्य तीन संकेत हैं - साइटोपेनिया, सामान्य या हाइपरप्लास्टिक अस्थि मज्जा और स्प्लेनेक्टोमी की प्रतिक्रिया. स्प्लेनोमेगाली का संबंध आम तौर पर बढ़े हुए काम के बोझ से होता है (जैसा कि हेमोलाइटिक एनीमिया में होता है) जिससे पता चलता है कि यह हाइपरफंक्शन (अत्यधिक गतिविधियों) की एक प्रतिक्रिया है। इसलिए इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि स्प्लेनोमेगाली किसी भी रोग प्रक्रिया से संबंधित है जिसके तहत प्लीहा में असामान्य लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। अन्य सामान्य कारणों में पोर्टल हाइपरटेंशन की वजह से होने वाला संकुलन और ल्यूकेमिया और लिम्फोमा की वजह से होने वाला अन्तःस्पंदन शामिल है। इस प्रकार कैपट मेडुसा के साथ-साथ बढ़ी हुई प्लीहा का मिलना पोर्टल हाइपरटेंशन का एक महत्वपूर्ण संकेत है।

सामान्य प्लीहा (स्प्लीन)

परिभाषा

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स्प्लेनोमेगाली (प्लीहावृद्धि या तिल्ली का बढ़ना) को अल्ट्रासाउंड द्वारा इसके लंबे आयाम के पास का माप लिए जाने पर 12 सेमी से बड़ी प्लीहा के रूप में परिभाषित किया जाता है।[तथ्य वांछित]
पौलेन और अन्य स्प्लेनोमेगाली को निम्न भागों में वर्गीकृत करते हैं:

  • सामान्य स्प्लेनोमेगाली, अगर सबसे बड़ा आयाम 11 से 20 सेमी के बीच हो
  • गंभीर स्प्लेनोमेगाली, अगर सबसे बड़ा आयाम 20 सेमी से अधिक

स्प्लेनोमेगाली को लेकर हाइपरस्प्लेनिज्म के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए. क्योंकि पहला वाला प्लीहा के आकार के बारे में बताता है और बाद वाला प्लीहा के कार्य से संबंधित है; दोनों एक साथ मौजूद रह सकते हैं या नहीं भी.

लक्षण एवं संकेत

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इसके लक्षणों में पेट में दर्द होना, छाती में दर्द होना, पेट, मूत्राशय या आँतों के भरे होने पर फुफ्फुसावरण के दर्द की तरह छाती में दर्द होना, पीठ में दर्द होना, प्लीहा पर दबाव पड़ने की वजह से जल्दी तृप्त हो जाना या साइटोपेनिया के साथ की वजह से एनीमिया के लक्षण भी शामिल हो सकते हैं।

स्प्लेनोमेगाली के संकेतों में एक स्पर्शनीय बायां ऊपरी चतुर्भाग उदर पिंड या स्प्लेनिक रब शामिल हो सकता है। कैस्टल संकेत या ट्रॉब स्पेस के इस्तेमाल से भौतिक परीक्षा करने पर इसका पता लग सकता है लेकिन रोगी की पहचान की पुष्टि करने के लिए अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जा सकता है।[1]

विकसित देशों में स्प्लेनोमेगाली के सबसे आम कारणों में संक्रामक मोनोन्यूक्लियोसिस, हेमाटोलॉजिकल मैलिग्नैन्सी से कैंसर कोशिकाओं के साथ प्लीहा अन्तःस्पंदन और पोर्टल हाइपरटेंशन (सबसे ज्यादा आम तौर पर यकृत रोग का द्वितीयक) शामिल हैं।[2]

रोगजनक प्रक्रिया के आधार पर समूहीकृत स्प्लेनोमेगाली
कार्य में वृद्धि असामान्य रक्त प्रवाह अन्तःस्पंदन
दोषपूर्ण आरबीसी का निष्कासन , इम्यून हाइपरप्लेसिया , संक्रमण (विषाणुजनित, जीवाणुजनित, कवकजनित, परजीवीजनित) पर प्रतिक्रिया, विकृत इम्यूनोरेग्यूलेशन, एक्स्ट्रामेडुलरी हेमाटोपोइसिस
  • स्फेरोसाइटोसिस
  • थैलेसीमिया
  • हेमोग्लोबिनोपैथी
  • पोषण संबंधी एनीमिया
  • आरंभिक सिकल सेल एनीमिया
अंग विफलता , संवहनी संक्रमण
  • सिरॉसिस (अधितंतुरुजा)
चयापचय रोग , सौम्य और घातक अन्तःस्पंदन
  • गोचर रोग
  • नाइमैन-पिक रोग
  • अल्फा-मैनोसिडोसिस
  • हर्लर सिंड्रोम और अन्य म्यूकोपोलीसैक्चारिडोसिस
  • एमिलोइडोसिस (श्वेतसारिकता)
  • टंगेर रोग

अत्यधिक स्प्लेनोमेगाली (> 1000 ग्राम) के कारक काफी कम हैं, जैसे कि:

  • थैलेसीमिया
  • विसरल (आंत का) लीशमनियासिस (काला-अजार)
  • शिस्टोसोमिआसिस
  • पुराना मज्जा जनित रक्त कैंसर
  • पुराना लिम्फ़ोसाइटिक ल्यूकेमिया
  • लिम्फोमास
  • रोयेंदार कोशिका वाला ल्यूकेमिया
  • माइलोफाइब्रोसिस (मज्जाजंतुमयता)
  • पॉलीसाइथीमिया वेरा
  • गोचर रोग
  • नाइमैन-पिक रोग
  • सारकॉइडोसिस
  • स्वरोगक्षम रक्तलायी अरक्तता
  • मलेरिया

अगर स्पेनोमेगाली में हाइपरस्प्लेनिज्म अन्तर्निहित हो तो एक स्प्लेनेक्टोमी का संकेत मिलता है और इससे हाइपरस्प्लेनिज्म ठीक हो जाएगा. हालांकि, हाइपरस्प्लेनिज्म के अन्तर्निहित कारण के बने रहने की बहुत ज्यादा सम्भावना है इसलिए एक सम्पूर्ण नैदानिक प्रक्रिया की जरूरत पड़ती है क्योंकि ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और अन्य गंभीर विकारों की वजह से हाइपरस्प्लेनिज्म और स्प्लेनोमेगाली की समस्या खड़ी हो सकती है। हालांकि स्प्लेनेक्टोमी के बाद रोगियों पर संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

स्प्लेनेक्टोमी के बाद रोगियों को हेमोफिलस इन्फ्लुएन्ज़ा, स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया और मेनिंगोकोकस का टीका लगाया जाना चाहिए. उन्हें हर वर्ष इन्फ्लूएंजा के टीके भी लेने चाहिए. कुछ खास तरह के मामलों में दीर्घकालिक रोगनिरोधी एंटीबायोटिक भी दिए जा सकते हैं।

इन्हें भी देखें

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  • लक्षण (दवा)
  • हेपाटोस्प्लेनोमेगाली (यकृत-प्लीहा अतिवृद्धि)
  • स्प्लेनिक इन्फ्रेक्शन
  • अस्प्लेनिया

सन्दर्भ

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  1. Grover SA, Barkun AN, Sackett DL (1993). "The rational clinical examination. Does this patient have splenomegaly?". JAMA. 270 (18): 2218–21. PMID 8411607. डीओआइ:10.1001/jama.270.18.2218.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link) ओविड फुल टेक्स्ट
  2. Kaiser, Larry R.; Pavan Atluri; Giorgos C Karakousis; Paige M Porrett (2006). The surgical review: an integrated basic and clinical science study guide. Hagerstwon, MD: Lippincott Williams & Wilkins. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-7817-5641-3.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)

बाहरी कड़ियाँ

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साँचा:Splenic disease