सदस्य:Vijay kumar nirmalkar/प्रयोगपृष्ठ

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मध्यप्रदेश के संदर्भ में....

कार्यपालन अभियन्ता(यंत्री) वास्तव मे सम्भाग(डिवीज़न) का सबसे बड़ा इंजीनियर होता है जिसे अग्रेजी मे E.E. (Executive Engineer)कहते है। UP में इन्हें अधिशासी अभियंता कहा जाता है और अंग्रेजी में X.En. कहते है।

यह व्यवस्था हमारे देश में प्रमुखत:उन विभागों में होती है जहा तकनीकी ज्ञान की ज्यादा आवश्यकता होती है जैसे सिचाई विभाग, विधुत विभाग, लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा आदि। 


                                                                        त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था

हमारे देश में त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था है जिसे हम जिला पंचायत, जनपद पंचायत(block), ग्राम पंचायत के रूप में जानते है। प्रत्येक जिले में एक जिला पंचायत होती है। जिला पंचायत के अधीन जनपद पंचायते होती जो उस जिले के प्रत्येक विकासखण्ड में होती है और जनपद के अधीन उस विकासखण्ड की ग्राम पंचायते होती है।जिला पंचायत का प्रशासक,मुख्य कार्यपालन अधिकारी होता है जिसे C.E.O. जिला पंचायत कहा जाता है जिसका अर्थ होता है Chief Executive Officer. यह अपर कलेक्टर यानि ADM रैंक का पद है। नव चयनित IAS अधिकारियो को परिवीक्षा अवधि में इस पद पर रखा जाता है,इसके अलावा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी यह दायित्व संभालते है।

CEO, जिला पंचायत के सचिव के रूप में कार्य करता है। राजनीतिक प्रमुख के पद को जिला पंचायत अध्यक्ष कहा जाता है जिसका चुनाव अप्रत्यक्ष रूप के सम्बंधित जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्य अपने में से करते है मुख्यतः एक जिला पंचायत में १० से २० सदस्य हो सकते है जो अपने अपने जिला निर्वाचन क्षेत्र से चुने जाते है वस्तुतः जिले की सम्पूर्ण ग्राम पंचायतो को जिला निर्वाचन क्षेत्र के रूप में बाटा जाता है एक निर्वाचन क्षेत्र में कितने ग्राम पंचायतो को शामिल किया जायेगा इसका निर्धारण जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा किया जाता है मूल रूप से इसका आधार जनसख्या होता है इस प्रकार प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य का चुनाव सम्बंधित क्षेत्र की जनता करती है।  जिला पंचायतो के सदस्यों की बैठक जिसे सामान्य सभा की बैठक कहा जाता है  मुख्यतः माह में काम से काम एक बार अवश्य होती है सदस्य अपने में से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष का चुनाव करती है। 
     ठीक उसी प्रकार जनपद पंचायत का प्रशासनिक प्रमुख मुख्य कार्यपालन अधिकारी होता है जिसे CEO अर्थात Chief executive officer कहा जाता है। लेकिन ये आई.ए एस. स्तर के  अधिकारी नहीं होते है वरन ग्रेड २ स्तर के राजपत्रित अधिकारी होते है। मतलब जिला पंचायत और जनपद पंचायत दोनों के प्रशासक का पद नाम CEO ही है,किंतु दोनों की रैंक में अंतर है।

पहले म.प्र. में जनपद पंचायत के CEO की बजाय BDO अर्थात Block developement officer जनपद का प्रशासनिक अधिकारी होता था जिसके स्थान पर CEO का पद बाद में बनाया गया। और BDO जैसे महत्वपूर्ण अधिकारी को जनपद CEO के अधीन कर दिया गया।

जनपद पंचायत के राजनैतिक प्रमुख के तौर पर एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष और जनपद सदस्य होते है जिनका चयन उस जनपद अर्थात विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायतो को जनपद क्षेत्र में बाटा जाता है जिसका आधार जनसख्या ही होता है जिसका निर्धारण जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा किया जाता है प्रत्येक जनपद क्षेत्र से एक सदस्य चुना जाता है अध्यक्ष एवं अपाध्यक्ष का चुनाव सदस्य अपने में से करते है।

अब आते है ग्राम पंचायत में, एक ग्राम पंचायत में एक या एक से अधिक गॉव हो सकते है कितने गॉव होगे ये जनसख्या पर निर्भर करता है ग्राम पंचायत का प्रशासनिक प्रमुख पंचायत सचिव होता है जिसे सेक्रेटरी ऑफ़ पंचायत कहा जाता है।

ग्राम पंचायत राजनितिक प्रमुख सरपंच होता है, जो कि ग्राम पंचायत का अध्यक्ष होता है जिसका निर्वाचन सम्बंधित ग्राम पंचायत की जनता के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है सरपंच के आलावा पंचायत के सभी वार्डो से प्रत्यक्ष निर्वाचित सदस्य होते है जिन्हें पंच कहा जाता है,ये पंच अपने अपने वार्डो के प्रतिनिधि होते है।पंचों में से ही एक व्यक्ति को उपसरपंच चुना जाता है।ग्राम पंचायतों में अधिकतम 20 और न्यूनतम 10 वार्ड होते है। वार्डो को जनसख्या के अनुपात में बाटा जाता है प्रत्येक वार्डो से एक पंच का निर्वाचन सम्बंधित वार्डो की जनता के द्वारा गुप्त मतदान से होता है।


जानकारी के लिए बताना आवश्यक है कि देश के अन्य सभी राज्यो में यही त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था है किंतु इनके नाम भिन्न भिन्न हो सकते है, जैसे जिला पंचायत को जिला परिषद(बिहार एवं महाराष्ट्र में),जनपद पंचायत को प्रखंड पंचायत(बिहार में) क्षेत्र पंचायत(UPमें) पंचायत समिति(राजस्थान में) इत्यादि के नाम से जाना जाता है। जबकि ग्राम पंचायत को पूरे देश मे इसी नाम से जानते है। उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत के CEO को CDO यानी मुख्य विकास अधिकारी कहा जाता है। गाँव के सरपंच को UP में ग्राम प्रधान और बिहार में मुखिया कहा जाता है। ग्राम पंचायत के सचिव को अन्य राज्यो में ग्राम सहायक, ग्राम पंचायत अधिकारी या ग्राम विकास अधिकारी के नाम से जाना जाता है।

ये सभी पदाधिकारी,नाम मे भिन्नता होते हुए भी समान कार्य का संचालन करते है और पूरे देश मे व्यवस्था मूल रूप से समान ही है।