शेल गैस
शेल गैस (Shale gas) , अवसादी चट्टानों के मध्य पायी जाती है। भारत में उत्तर पूर्व तथा गोंडवाना चट्टानों में शेल गैस की प्रचुर संभावना विद्यमान है। शैल गैस के उत्खनन के लिए भारत में भारतीय गैस प्राधिकार लिमिटेड को तकनीकी शीर्ष संस्था नियुक्त किया गया है।[1]
शैल गैस बालू एवं चूना पत्थर जैसी चट्टानों से पैदा होती है। इन पर दबाव पड़ने से शैल गैस बनती है। जोकि तरल प्राकृतिक गैस की तुलना मे अधिक सस्ती होती है। भारत मे दामोदर बेसिन, बंगाल बेसिन, विंध्य बेसिन मे इसकी उपलब्धता भरपूर मात्रा मे है तथा पूर्वोत्तर के राज्यों मे भी इसके भंडार होने की सम्भावना है। रिपोर्टों के अनुसार शैल गैस उत्पादन की इतनी क्षमता है कि यह विस्व की कुल तेल उत्पादन के 12% तक पहुँच सकती है। विगत समय मे यू एस ए में तेल की कीमतों मे गिरावट का कारण, शैल गैस के अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत मे 47 ट्रिलियन क्युबिक फीट (टीएफसी) शैल गैस का भंडार स्थित है। शैल गैस का वृहत्तम् विस्तार गोंडवाना शैलों मे पाया जाता है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 मई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जून 2012.
भारत मे शेल गैस के संसाधन कैम्बे बेसिन कृष्णा गोदावरी कावेरी बेसिन और विंध्यन बेसिन में पाए गए हैं। शेल गैस मे methen होती है. क्लस्टर बीन्स means ग्वार का उपयोग शेल गैस के निष्कासन मे किया जाता है
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |