"निस्संक्रामक": अवतरणों में अंतर
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* [http://www.bccdc.org/downloads/pdf/epid/reports/CDManual_DisinfectntSelectnGuidelines_sep2003_nov05-03.pdf Disinfectant Selection Guide] |
* [http://www.bccdc.org/downloads/pdf/epid/reports/CDManual_DisinfectntSelectnGuidelines_sep2003_nov05-03.pdf Disinfectant Selection Guide] |
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* [http://www.newton.dep.anl.gov/askasci/chem03/chem03856.htm Disinfectant and Non-Chlorine Bleach] -- Office of DOE Science Education |
* [http://www.newton.dep.anl.gov/askasci/chem03/chem03856.htm Disinfectant and Non-Chlorine Bleach] -- Office of DOE Science Education |
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[https://www.thepoliticalpost.in/2020/03/blog-post_30.html?m=1] -- Sentizer |
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[[श्रेणी:स्वच्छता]] |
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19:33, 5 अप्रैल 2020 का अवतरण
रोगाणुओ और सूक्ष्माणुओं को मार डालने के लिए निस्संक्रामकओं (Disinfectants) का प्रयोग होता है। इससे संक्रामक रोगों को रोकने में सहायता मिलती है। इन्हें ' विसंक्रामक', 'विसंक्रामी' या 'संक्रमणहारी' भी कहते हैं।
विसंक्रामकों का वर्गीकरण
सर्वोत्कृष्ट निस्संक्रामक तो सूर्य की किरणें है, जिनका व्यवहार प्राचीन काल से इसके लिए होता आ रहा है। अब कुछ अन्य कृत्रिम पदार्थ भी प्रयुक्त होते हैं। ऐसे पदाथो को तीन वर्गो मे विभक्त किया जा सकता है।
- पहले वर्ग मे वाष्पशील पदार्थ आते है, जो वाष्प बनकर वायु के सूक्ष्म जीवाणुओं का विनाश करते हैं।
- दूसरे वर्ग मे वे पदार्थ आते हैं जो रोगग्रस्त अंगों या उनसे बने संक्रामक पदाथों को नष्ट करते हैं और
- तीसरे वर्ग में भौतिक साधन आते हैं।
पहले वर्ग के पदार्थों में फॉर्मेल्डीहाइड, सलफ्यूरस अम्ल, कपूर और कुछ वाष्पशील तेल आते हैं। फॉमैल्डीहाइड सर्वोत्कृष्ट निस्संक्रामक हैं, यह मनुष्य के लिए विषैला नहीं होता, यद्यपि आँखों और गले के लिए क्षोभकारी होता है। यह रोगाणुओं को बड़ी जल्दी नष्ट कर देता है। यद्यपि पीड़क जंतुओ के विनाश के लिए यह उतना प्रभावकारी नहीं है जितना सलफ्यूरस अम्ल।
दूसरे वर्ग के पदार्थों मे अनेक आक्सीकारक, जैसे पोटाश परमैंगनेट, लवण, चूना, सोडा और पोटाश के क्लोराइड, सल्फेट या सल्फाइट तथा ऐल्यूमिनियम और जस्ते के क्लोराइड इत्यादि, अलकतरे के उत्पाद फीनोल, क्रीसोल क्रियोसोट सैलिसिलिक अम्ल आदि आते है।
तीसरे वर्ग के साधनो में उष्मा और शीत है। शीत साधारणतया प्राप्य नहीं हैं। उष्मा सरलता से प्राप्य है। ऊष्मा से पहनने के कपड़ो, शय्याओं तथा सूत के अन्य वस्त्रो का निस्संक्रमण होता है। उष्मा दबाव वाली भाप से प्राप्त होती है। इसके लिए भाप का ताप कुछ समय के लिए लगभग २५०° सें. रहना आवश्यक होता है।
बाहरी कड़ियाँ
- Ohio State University lecture on Sterilization and Disinfection
- What Germs Are We Killing? Testing and Classifying Disinfectants
- Disinfectant Selection Guide
- Disinfectant and Non-Chlorine Bleach -- Office of DOE Science Education
[1] -- Sentizer