"संधि शोथ": अवतरणों में अंतर
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संधिशोथ में रोगी को आक्रांत संधि में असह्य पीड़ा होती है, नाड़ी की गति तीव्र हो जाती है, ज्वर होता है, वेगानुसार संधिशूल में भी परिवर्तन होता रहता है। इसकी उग्रावस्था में रोगी एक ही आसन पर स्थित रहता है, स्थानपरिवर्तन तथा आक्रांत भाग को छूने में भी बहुत कष्ट का अनुभव होता है। यदि सामयिक उपचार न हुआ, तो रोगी खंज-लुंज होकर रह जाता है। संधिशोथ प्राय: उन व्यक्तियों में अधिक होता है जिनमें रोगरोधी क्षमता बहुत कम होती है। स्त्री और पुरुष दोनों को ही समान रूप से यह रोग आक्रांत करता है। |
संधिशोथ में रोगी को आक्रांत संधि में असह्य पीड़ा होती है, नाड़ी की गति तीव्र हो जाती है, ज्वर होता है, वेगानुसार संधिशूल में भी परिवर्तन होता रहता है। इसकी उग्रावस्था में रोगी एक ही आसन पर स्थित रहता है, स्थानपरिवर्तन तथा आक्रांत भाग को छूने में भी बहुत कष्ट का अनुभव होता है। यदि सामयिक उपचार न हुआ, तो रोगी खंज-लुंज होकर रह जाता है। संधिशोथ प्राय: उन व्यक्तियों में अधिक होता है जिनमें रोगरोधी क्षमता बहुत कम होती है। स्त्री और पुरुष दोनों को ही समान रूप से यह रोग आक्रांत करता है। |
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== रूमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया वात) के कारण |
== रूमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया वात) के कारण== |
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हालांकि बीमारी का कारण अभी तक अज्ञात है, विज्ञान में हाल के रिसर्च के आंकड़े कुछ कारकों को केंद्रित करती हैं जो सूजन के सक्रियण और मेंटेनेंस के लिए ज़रूरी है। सूजन का मुख्य अंग लक्ष्य साईनोवियल मेम्ब्रेन है जिसमें जोड़ों की लाइनिंग पर सेल्स शामिल हैं, यह मेम्ब्रेन साईनोवियल फ्लूइड पैदा करता है जो आर्टिकुलर कार्टिलेज के लुब्रिकेशन और पोषण के लिए ज़रूरी है। इम्यून सेल्स से छोड़े गए पदार्थ जो प्रो-इंफ्लामेट्री कार्य करते हैं, कार्टिलेज और जॉइंट के अंदर हड्डी में सूजन और फिर नुकसान पैदा करते हैं। |
हालांकि बीमारी का कारण अभी तक अज्ञात है, विज्ञान में हाल के रिसर्च के आंकड़े कुछ कारकों को केंद्रित करती हैं जो सूजन के सक्रियण और मेंटेनेंस के लिए ज़रूरी है। सूजन का मुख्य अंग लक्ष्य साईनोवियल मेम्ब्रेन है जिसमें जोड़ों की लाइनिंग पर सेल्स शामिल हैं, यह मेम्ब्रेन साईनोवियल फ्लूइड पैदा करता है जो आर्टिकुलर कार्टिलेज के लुब्रिकेशन और पोषण के लिए ज़रूरी है। इम्यून सेल्स से छोड़े गए पदार्थ जो प्रो-इंफ्लामेट्री कार्य करते हैं, कार्टिलेज और जॉइंट के अंदर हड्डी में सूजन और फिर नुकसान पैदा करते हैं।<ref>{{Cite web|url=https://ashadidi.com/hi/conditions/causes/Q0RFU0NJRDY2Nw==/Rheumatoid%2520arthritis|title=रूमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया वात) के कारण|last=|first=|date=|website=ashadidi.com|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref> |
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== प्रकार == |
== प्रकार == |
05:09, 30 मई 2019 का अवतरण
संधिशोथ वर्गीकरण व बाहरी संसाधन | |
संधिवात रोगी हाथ | |
अन्य नाम | आर्थ्राइटिस, गठिया, संधिवात |
आईसीडी-१० | M00.-M25. |
आईसीडी-९ | 710-719 |
रोग डाटाबेस | 15237 |
मेडलाइन+ | 001243 |
ई-मेडिसिन | topic list |
एमईएसएच | D001168 |
संधि शोथ यानि "जोड़ों में दर्द" (लैटिन, जर्मन, अंग्रेज़ी: Arthritis / आर्थ्राइटिस) के रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया भी कहते हैं।
संधिशोथ सौ से भी अधिक प्रकार के होते हैं। अस्थिसंधिशोथ (osteoarthritis) इनमें सबसे व्यापक है। अन्य प्रकार के संधिशोथ हैं - आमवातिक संधिशोथ या 'रुमेटी संधिशोथ' (rheumatoid arthritis), सोरियासिस संधिशोथ (psoriatic arthritis)।
संधिशोथ में रोगी को आक्रांत संधि में असह्य पीड़ा होती है, नाड़ी की गति तीव्र हो जाती है, ज्वर होता है, वेगानुसार संधिशूल में भी परिवर्तन होता रहता है। इसकी उग्रावस्था में रोगी एक ही आसन पर स्थित रहता है, स्थानपरिवर्तन तथा आक्रांत भाग को छूने में भी बहुत कष्ट का अनुभव होता है। यदि सामयिक उपचार न हुआ, तो रोगी खंज-लुंज होकर रह जाता है। संधिशोथ प्राय: उन व्यक्तियों में अधिक होता है जिनमें रोगरोधी क्षमता बहुत कम होती है। स्त्री और पुरुष दोनों को ही समान रूप से यह रोग आक्रांत करता है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया वात) के कारण
हालांकि बीमारी का कारण अभी तक अज्ञात है, विज्ञान में हाल के रिसर्च के आंकड़े कुछ कारकों को केंद्रित करती हैं जो सूजन के सक्रियण और मेंटेनेंस के लिए ज़रूरी है। सूजन का मुख्य अंग लक्ष्य साईनोवियल मेम्ब्रेन है जिसमें जोड़ों की लाइनिंग पर सेल्स शामिल हैं, यह मेम्ब्रेन साईनोवियल फ्लूइड पैदा करता है जो आर्टिकुलर कार्टिलेज के लुब्रिकेशन और पोषण के लिए ज़रूरी है। इम्यून सेल्स से छोड़े गए पदार्थ जो प्रो-इंफ्लामेट्री कार्य करते हैं, कार्टिलेज और जॉइंट के अंदर हड्डी में सूजन और फिर नुकसान पैदा करते हैं।[1]
प्रकार
संधिशोथ दो प्रकार के होते हैं :
- (1) तीव्र संक्रामक (acute infective) संधिशोथ,
- (2) जीर्ण संक्रामक (chronic infective) संधिशोथ
तीव्र संक्रामक संधिशोथ
किसी भी तीव्र संक्रमण के समय यह शोथ हो सकता है। निम्नलिखित प्रकार के संक्रामक संधिशोथ अधिक व्यापक हैं :
- (क) तीव्र आमवातिक (rheumatic) संधिशोथ,
- (ख) तीव्र स्ट्रेप्टोकॉकेल (streptococcal) संधिशोथ,
- (ग) तीव्र स्टैफिलोकॉकेल (staphylococcal) संधिशोथ,
- (घ) गॉनोकॉकेल (gonococcal) संधिशोथ,
- (ङ) लोहित ज्वर (scarlet fever), प्रवाहिका (dysentry) अथवा टाइफाइड युक्त संधिशोथ तथा
- (च) सीरमरोग (serum sickness)।
जीर्ण संक्रामक संधिशोथ
यह शोथ प्राय: शरीर के अनेक अंगों पर होता है। पाइरिया (pyorrhoca), जीर्ण उंडुक शोथ (appendicitis), जीर्ण पित्ताशय शोथ (cholecystitis), जीर्ण वायुकोटर शोथ (sinusitis), जीर्ण टांसिल शोथ (tonsillitis), जीर्ण ग्रसनी शोथ (pharyngitis) इत्यादि।
आर्थराइटिस के लक्षण
- जोड़ों में दर्द या नरमी (दर्द या दबाव) जिसमें चलते समय, कुर्सी से उठते समय, लिखते समय, टाइप करते समय, किसी वस्तु को पकड़ते समय, सब्जियां काटते समय आदि जैसे हिलने डुलने की क्रियाओं में स्थिति काफी बिगड़ जाती है।
- शोथ जो जोड़ों के सूजन, अकड़न, लाल हो जाने और/या गर्मी से दिखाई पड़ता है।
- विशेषकर सुबह-सुबह अकड़न
- जोड़ों के लचीलेपन में कमी
- जोड़ों को ज्यादा हिला डुला नहीं सकना
- जोड़ों की विकृति
- वजन घटना और थकान
- अविशिष्ट बुखार
- खड़-खड़ाना (चलने पर संधि शोथ वाले जोड़ों की आवाज)
संधि शोथ का उपचार तथा प्रबंधन
संधिशोथ के कारणों को दूर करने तथा संधि की स्थानीय अवस्था ठीक करने के लिए चिकित्सा की जाती है। इनके अतिरिक्त रोगी के लिए पूर्ण शारीरिक और मानसिक विश्राम, पौष्टिक आहार का सेवन, धूप सेवन, हलकी मालिश तथा भौतिक चिकित्सा करना अत्यंत आवश्यक है।
- संधि शोथ (आर्थराइटिस) की बीमारी की विवेकपूर्ण प्रबंधन और प्रभावी उपचार से अच्छी तरह जीवन-यापन किया जा सकता है।
Ml* रक्त परीक्षण और एक्स-रे की सहायता से संधि शोथ (आर्थराइटिस) की देखरेख की जा सकती है।
- डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवाइयां नियमित रूप से लें।
- शारीरिक वजन पर नियंत्रण रखें।
- स्वास्थ्यप्रद भोजन करें।
- डॉक्टर द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार नियमित व्यायाम करें।
- नियमित व्यायाम करें तथा तनाव मुक्त रहने की तकनीक अपनाएं, समुचित विश्राम करें, अपने कार्यों को योजनाबद्ध तरीके से पूरा करके तनाव से मुक्त रहें।
- औषधियों के प्रयोग में अनुपूरक रूप में योग तथा अन्य वैकल्पिक रोग के उपचारों को वैज्ञानिक तरीके से लिपिबद्ध किया गया है।
व्यायाम्
पैरों की हड्डीओं को सही संरेखण (एलाइनमेंट) में रखने के लिए और उन पर पड़ने वाले वजन को कम करने के लिए मजबूत मांसपेशियों की आवश्य्कता होती है। मजबूत मांसपेशियां व्यायाम के द्वारा बनाई जा सकती है। सप्ताह में कम से कम ३ बार व्यायाम जरूरी है।
इन्हें भी देखें
- वातरक्त या गाउट (Gout)
- घुटनों का दर्द
- सर्वाइकल स्पांडिलाइटिस
सन्दर्भ
- ↑ "रूमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया वात) के कारण". ashadidi.com.
बाहरी कड़ियाँ
- ऑस्टियोआर्थराइटिस - कारण, लक्षण, निदान और उपचार
- ऑर्थराइटिस का आयुर्वेदिक समाधान।(हिन्दी)। वेब दुनिया। मधु सिंह।
- हर तीसरा व्यक्ति गठिये से परेशान (दैनिक ट्रिब्यून)
- गठिया रोग का उपचार
- रूमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया वात) के कारण