"विवरणात्मक अनुसंधान": अवतरणों में अंतर

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'''विवरणात्मक अनुसंधान''' - इस प्रकार के शोध के अंतर्गत अध्ययन के समय जो परिस्थितियाँ हैं उनका उसी रूप में शोधार्थी द्वारा प्रस्तुतीकरण किया जाता है। इसमें तथ्यों का संकलन महत्वपूर्ण होता है। इसे [[वर्णनात्मक अनुसंधान]] की संज्ञा भी दी जाती है। इस प्रकार के अनुसंधान का परिचय देते हुए 'शोध प्रविधि' नामक पुस्तक में डॉ. विनयमोहन शर्मा लिखते हैं कि- "व्याख्यात्मक या वर्णनात्मक शोध में मानव-जीवन की सभी वर्तमान समस्याओं पर, चाहे वे साहित्य, समाज-विज्ञान या शुद्ध विज्ञान से सम्बन्ध रखती हों, अनुसन्धान किया जाता है।"<ref>{{cite book |last1=डॉ. विनयमोहन |first1=शर्मा |title=शोध-प्रविधि |date=2006 |publisher=नेशनल पेपरबैक्स |location=नयी दिल्ली |page=11}}</ref>
'''विवरणात्मक अनुसंधान''' - इस प्रकार के शोध के अंतर्गत अध्ययन के समय जो परिस्थितियाँ हैं उनका उसी रूप में शोधार्थी द्वारा प्रस्तुतीकरण किया जाता है। इसमें तथ्यों का संकलन महत्वपूर्ण होता है। इसे [[वर्णनात्मक अनुसंधान]] की संज्ञा भी दी जाती है। इस प्रकार के अनुसंधान का परिचय देते हुए 'शोध प्रविधि' नामक पुस्तक में डॉ. विनयमोहन शर्मा लिखते हैं कि- "व्याख्यात्मक या वर्णनात्मक शोध में मानव-जीवन की सभी वर्तमान समस्याओं पर, चाहे वे साहित्य, समाज-विज्ञान या शुद्ध विज्ञान से सम्बन्ध रखती हों, अनुसन्धान किया जाता है।"<ref>{{cite book |last1=डॉ. विनयमोहन |first1=शर्मा |title=शोध-प्रविधि |date=2006 |publisher=नेशनल पेपरबैक्स |location=नयी दिल्ली |page=11}}</ref>

'''संदर्भ'''

08:14, 14 नवम्बर 2018 का अवतरण

विवरणात्मक अनुसंधान - इस प्रकार के शोध के अंतर्गत अध्ययन के समय जो परिस्थितियाँ हैं उनका उसी रूप में शोधार्थी द्वारा प्रस्तुतीकरण किया जाता है। इसमें तथ्यों का संकलन महत्वपूर्ण होता है। इसे वर्णनात्मक अनुसंधान की संज्ञा भी दी जाती है। इस प्रकार के अनुसंधान का परिचय देते हुए 'शोध प्रविधि' नामक पुस्तक में डॉ. विनयमोहन शर्मा लिखते हैं कि- "व्याख्यात्मक या वर्णनात्मक शोध में मानव-जीवन की सभी वर्तमान समस्याओं पर, चाहे वे साहित्य, समाज-विज्ञान या शुद्ध विज्ञान से सम्बन्ध रखती हों, अनुसन्धान किया जाता है।"[1]

संदर्भ

  1. डॉ. विनयमोहन, शर्मा (2006). शोध-प्रविधि. नयी दिल्ली: नेशनल पेपरबैक्स. पृ॰ 11.