"नई गढ़िया": अवतरणों में अंतर
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Naigarhiya नईगढ़िया मध्यप्रदेश के रायसेन जिला के अन्तर्गत आता हैं इस ग्राम को प्राचीन नगर के रूप में जाना जाता हैं प्राचीन तथ्यो के अनुसार यह नगर यादव |
Naigarhiya नईगढ़िया मध्यप्रदेश के रायसेन जिला के अन्तर्गत आता हैं इस ग्राम को प्राचीन नगर के रूप में जाना जाता हैं प्राचीन तथ्यो के अनुसार यह नगर 1090 ई.वी. में वसाया गया था। इस नगर की स्थापना के विषय में कुछ दिलचस बात कहीं जाती हे कि इस नगर को वसाने के पिछे एक कहानी हैं। विध्यालय पर्वतो के बीच में जगंल में यादव राजा शिकार खेलने के लिए अये उस जगंल के खरगोश ने राजा के शिकारी कुत्ते पर हमला कर दिया। तो राजा ने सोचा की जिस भूमि का खरगोश इतना शक्तिशाली हे तो इन्सान कितना शक्तिशाली होगा। ओर राजा ने वहीं पर नगर वसाया ओर एक किले का निर्माण किया एवंम नगर को नाम दिया गढ़िया लेकिन २०० वर्षो बाद एक नया किला बनवाया गया। जिसको नाम दिया गया नई गढ़िया। यहाँ पर प्रतापी राजा हुए यहाँ पर प्राचीन किले के भवनावशेष हे किले कि प्राचीर से लगा हुआ एक तालाब भी हैं जो उसी समय का हे। सन १९४७ के पुर्व यहाँ गुलामी के विरुद्ध कुछ विद्रोह भी हुए जिनकों दबाने के लिये सेनिक कार्यवाही की गई। यह क्षेत्र भोपाल नवाब के अधिन था। ओर भोपाल नवाब के द्वारा जब अधिक कर वसूला जाने लगा तो गढ़िया राज्य के किसानों के द्वारा विद्रोह किया गया। जिसका नेतृत्व राजा उदयसिंह यादव ने किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यहाँ से लोगों का पलायन होने लगा। क्योंकि राज परिवार में संकीर्ण सोच होने के कारण लोगों को प्रताड़ित किया जाने लगा। जिससे लोगों का पलायन बड़ी तेजी से हुआ। ओर एक नगर गांव में तवदील हो गया। नगर में जो शिक्षा के केन्द्र थे वह नष्ट हो गये। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यहाँ पर भारत सरकार ने सन १९५० में एक माध्यमिक शाला खोली जिससे लोगों में अपने अधिकारियों को जानने लगे पर राज परिवार की संकीर्ण सोच ने शिक्षा का प्रसार रोक दिया। धीरे धीरे लोगों के अन्दर अपने अधिकारो का ज्ञान हुआ। ओर लोगों ने शिक्षा के लिये प्रयास किये। ओर सन २००६ में नगरिकों के प्रयास से हाईस्कूल हुआ। अब जनता अपने अधिकारो को जानने लगी। |
17:06, 14 दिसम्बर 2014 का अवतरण
Naigarhiya नईगढ़िया मध्यप्रदेश के रायसेन जिला के अन्तर्गत आता हैं इस ग्राम को प्राचीन नगर के रूप में जाना जाता हैं प्राचीन तथ्यो के अनुसार यह नगर 1090 ई.वी. में वसाया गया था। इस नगर की स्थापना के विषय में कुछ दिलचस बात कहीं जाती हे कि इस नगर को वसाने के पिछे एक कहानी हैं। विध्यालय पर्वतो के बीच में जगंल में यादव राजा शिकार खेलने के लिए अये उस जगंल के खरगोश ने राजा के शिकारी कुत्ते पर हमला कर दिया। तो राजा ने सोचा की जिस भूमि का खरगोश इतना शक्तिशाली हे तो इन्सान कितना शक्तिशाली होगा। ओर राजा ने वहीं पर नगर वसाया ओर एक किले का निर्माण किया एवंम नगर को नाम दिया गढ़िया लेकिन २०० वर्षो बाद एक नया किला बनवाया गया। जिसको नाम दिया गया नई गढ़िया। यहाँ पर प्रतापी राजा हुए यहाँ पर प्राचीन किले के भवनावशेष हे किले कि प्राचीर से लगा हुआ एक तालाब भी हैं जो उसी समय का हे। सन १९४७ के पुर्व यहाँ गुलामी के विरुद्ध कुछ विद्रोह भी हुए जिनकों दबाने के लिये सेनिक कार्यवाही की गई। यह क्षेत्र भोपाल नवाब के अधिन था। ओर भोपाल नवाब के द्वारा जब अधिक कर वसूला जाने लगा तो गढ़िया राज्य के किसानों के द्वारा विद्रोह किया गया। जिसका नेतृत्व राजा उदयसिंह यादव ने किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यहाँ से लोगों का पलायन होने लगा। क्योंकि राज परिवार में संकीर्ण सोच होने के कारण लोगों को प्रताड़ित किया जाने लगा। जिससे लोगों का पलायन बड़ी तेजी से हुआ। ओर एक नगर गांव में तवदील हो गया। नगर में जो शिक्षा के केन्द्र थे वह नष्ट हो गये। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यहाँ पर भारत सरकार ने सन १९५० में एक माध्यमिक शाला खोली जिससे लोगों में अपने अधिकारियों को जानने लगे पर राज परिवार की संकीर्ण सोच ने शिक्षा का प्रसार रोक दिया। धीरे धीरे लोगों के अन्दर अपने अधिकारो का ज्ञान हुआ। ओर लोगों ने शिक्षा के लिये प्रयास किये। ओर सन २००६ में नगरिकों के प्रयास से हाईस्कूल हुआ। अब जनता अपने अधिकारो को जानने लगी।