"भित्तिचित्र कला": अवतरणों में अंतर

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भितिचित्र कला ज्यादातर छत्तीसगढ़ के जिला सरगुजा, तहसील अंबिकापुर के अंतर्गत आने वाले गांवों जैसे पुहपुटरा,लखनपुर, केनापारा आदि में लोक एवं आदिवासी जातियों द्वारा अभ्यास की जाने वाली ऐसी लोक कला है जो गांव की औरतों के द्वारा वहां की कच्ची मिट्टी से बनी झोपड़ियों की दीवारों पर गोबर, चाक मिट्टी, कुँओं से निकली खड़िया मिट्टी, फेविकोल, मिट्टी के रंगों एवं नारियल की रस्सी के द्वारा बनाई जाती है।
भितिचित्र कला ज्यादातर छत्तीसगढ़ के जिला सरगुजा, तहसील अंबिकापुर के अंतर्गत आने वाले गांवों जैसे पुहपुटरा,लखनपुर, केनापारा आदि में लोक एवं आदिवासी जातियों द्वारा अभ्यास की जाने वाली ऐसी लोक कला है जो गांव की औरतों के द्वारा वहां की कच्ची मिट्टी से बनी झोपड़ियों की दीवारों पर गोबर, चाक मिट्टी, गोबर आदि को मिलाकर की जाती है। सुदूर आदिवासीय क्षेत्रों में जहाँ कि सजावट आदि के साधन अपर्याप्त होते थे, लोग वहाँ प्रचलित विभिन्न त्योहारों व धार्मिक अवसरों के समय अपने घरों की सज्जा हेतु दीवारों में कच्ची मिट्टी द्चारा पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों आदि के आकृतियां बनाकर उनमें बहुत ही मनोरम रंगों से रंगकर अपने घरों को सजाते हैं।

01:54, 17 जुलाई 2012 का अवतरण

भितिचित्र कला ज्यादातर छत्तीसगढ़ के जिला सरगुजा, तहसील अंबिकापुर के अंतर्गत आने वाले गांवों जैसे पुहपुटरा,लखनपुर, केनापारा आदि में लोक एवं आदिवासी जातियों द्वारा अभ्यास की जाने वाली ऐसी लोक कला है जो गांव की औरतों के द्वारा वहां की कच्ची मिट्टी से बनी झोपड़ियों की दीवारों पर गोबर, चाक मिट्टी, गोबर आदि को मिलाकर की जाती है। सुदूर आदिवासीय क्षेत्रों में जहाँ कि सजावट आदि के साधन अपर्याप्त होते थे, लोग वहाँ प्रचलित विभिन्न त्योहारों व धार्मिक अवसरों के समय अपने घरों की सज्जा हेतु दीवारों में कच्ची मिट्टी द्चारा पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों आदि के आकृतियां बनाकर व उनमें बहुत ही मनोरम रंगों से रंगकर अपने घरों को सजाते हैं।