"नेल्सन मंडेला": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[Image:Soviet Union stamp 1988 CPA 5971.jpg|सोवियत संघ में मंडेला पर जारी डाकटिकट]]
[[Image:Soviet Union stamp 1988 CPA 5971.jpg|thumb|सोवियत संघ में मंडेला पर जारी डाकटिकट]]
'''नेल्सन रोलीह्लला मंडेला''' (जन्म [[१८ जुलाई]] [[१९१८]]) [[दक्षिण अफ्रीका]] के [[दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति|भूतपूर्व राष्ट्रपति]] हैं। राष्ट्रपति बनने से पूर्व दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहे [[रंगभेद|अपार्थीड]] के प्रमुख विरोधी एवं [[अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस]] एवं इसके सशस्त्र गुट [[उमखोंतो वे सिजवे]] के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी के २७ वर्ष [[रॉबेन द्वीप]] पर कारागर में रंगभेद नीति के खिलाफ लडते हुए बिताए।
'''नेल्सन रोलीह्लला मंडेला''' (जन्म [[१८ जुलाई]] [[१९१८]]) [[दक्षिण अफ्रीका]] के [[दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति|भूतपूर्व राष्ट्रपति]] हैं। राष्ट्रपति बनने से पूर्व दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहे [[रंगभेद|अपार्थीड]] के प्रमुख विरोधी एवं [[अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस]] एवं इसके सशस्त्र गुट [[उमखोंतो वे सिजवे]] के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी के २७ वर्ष [[रॉबेन द्वीप]] पर कारागर में रंगभेद नीति के खिलाफ लडते हुए बिताए।



19:01, 9 अप्रैल 2008 का अवतरण

सोवियत संघ में मंडेला पर जारी डाकटिकट

नेल्सन रोलीह्लला मंडेला (जन्म १८ जुलाई १९१८) दक्षिण अफ्रीका के भूतपूर्व राष्ट्रपति हैं। राष्ट्रपति बनने से पूर्व दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहे अपार्थीड के प्रमुख विरोधी एवं अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस एवं इसके सशस्त्र गुट उमखोंतो वे सिजवे के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने अपनी जिंदगी के २७ वर्ष रॉबेन द्वीप पर कारागर में रंगभेद नीति के खिलाफ लडते हुए बिताए।

दक्षिण अफ्रीका एवं समूचे विश्व में रंगभेद नीति का विरोध करते हुए जहां श्री मंडेला पूरी दुनिया में स्वतंत्रता एवं समानता के प्रतीक बन गये थे वहीं रंगभेद की नीति पर चलने वाली सरकारें श्री मंडेला को कम्यूनिस्ट एवं आतंकवादी बताती थी और अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस को ऐसे लोगों की पनाहगाह।

११ फरवरी १९९० को उनकी रिहाई के बाद जब उन्होंने समझौते और शांति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतांत्रिक एवं बहुजातिय अफ्रीका की नींव रखी जिससे रंगभेद काफी हद तक समाप्त हुआ और बाद में उनके विरोधी भी उनकी प्रशंसा करने में पीछे नहीं रहे। श्री मंडेला को उनके कार्यों के लिए दुनिया भर से पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान किया गया जिसमें उन्हें १९९३ में मिला शांति के लिएनोबेल पुरस्कार सबसे मुख्य था। दक्षिण अफ्रीका में प्रायः उन्हें मदीबा कहकर बुलाया जाता है जो बुजुर्गों के लिए एक सम्मान सूचक शब्द है और अब वहां श्री मंडेला का पर्याय बनता जा रहा है। श्री मंडेला अपने कार्यों का प्रेरणा स्त्रोत बहुधा महात्मा गांधी को बताते रहे हैं, जिनसे उन्होंने अहिंसा का मुख्य गुर सीखा।