विकिपीडिया वार्ता:विकि लव्ज़ वीमेन-२०१९/प्रतिभागी
विषय जोड़ेंमहिला दिवस के उपलक्ष्य में बेटी बचाओं अिभियान के अंतर्गत अपनी एक कविता जोड़ना चाहती हूू:
अजन्मी हत्या सूनी कोख सिसकता सा मन रोती गोद बिलखता आंगन
उस पर ये अजन्मी हत्याएं क्यूं न मन को तड़पा जाएं
एकअजन्मी हत्या ये बोली दूधो नहाओ पूतो फलो आशीर्वाद सी तुम्हें नहीं मिली थी लेकिन िजिसको कुचला तुमने तुम्हारी ही बगयिा में खिली थी
क्या कभी तुमने जाना मुझको दुर्गति नाशिनी दुर्गे मैं थी काल विनाशिनी काली मैं थी उमा रमा ब्रह्माणी मैं थी राधा रूक्मणी सीता मैं थी
पुत्र पाने की लालसा में तुमने इनको पूजा होगा लेकिन अपने इन आदर्शों मे मेरे रूप को खोजा होगा
नहीं पुत्र रत्न नहीं थी मैं भारत रत्ना इंदिरा मैं थी मरियम की मूरत सी मैं थी लेकिन तुम्हारे अंध मोह में सूली का ईसा भी मैं थी
अरे मानव रूप के दानवो कुछ तो तुम रब को भी जानो स्वार्थ अपना पाने से पहले कुदरत के िनियम पहचानो पुष्प िखिलाना चाहते हो तुम थोड़ी सी कलिया महकालो
लेने देते जन्म मुझे तुम तुम्हारा उपवन महकाती मैं शायद रानी झांसी या मदर टेरेसा बन आती मैं।
पूनम सुभाष हिन्दुस्तान पेट्रोलियम स्कोप मीनार
बेटी बचाओं अिभियान के अंतर्गत अपनी एक कविता जोड़ना चाहता हूँ ![संपादित करें]
बेटी बचाओ
"बधाई हो!
आप की छोटी बहू गर्भवती हैं !"
सुन डाक्टर मेहरा की बोली
होने वाली दादी बोली
ये तो पहले से पता है मुझको
लड़का -लड़की तुम बतलादो,
मत खेलो तुम आँख मिचौली !
डाक्टरनी हंस पडी और कहदी
पोता हो पोती हो चाहे
आप हर हाल बनोगे दादी |
पोता गर हो जायेगा तो
क्या आप बन जाओगे दादा ?
देखो डाक्टरनी साहिबा
बात ना कर तू इतनी ज्यादा
बड़के के भी है एक बेटी
और पोतियाँ नहीं चाहिए
बस इसको तुरंत गिराइये !!!!
पहले तो मुँह सफ़ेद हो गया
फिर हुवा क्रोध से लाल
बोली :
लीजिये अपनी जुबान संभाल
नारी ही नारी की दुश्मन
ये तो है कमाल !
एक शांन्त स्वर तभी उभरा
मत घबराओ डाक्टर मेहरा
इस बच्चे को जन्म मैं दूंगी
चाहे होती ये तीसरी बेटी
अम्माजी कभी आपने सोचा
आपकी या मेरी माता ने
अपना गर्भ गिराया होता
ना हम होते ना ये मंज़र होता |
बेटी बचाओ , उसकी माँ को सशक्त बनाओ !
--Ravindra Kumar Karnani (वार्ता) 05:20, 6 अप्रैल 2019 (UTC)रविन्द्र कुमार करनानी