लौंडेबाजी

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लौंडेबाज़ी के आरोपी भिक्षुओं को बेदी पर जला दिया गया, Ghent 1578

किसी पुरुष का किसी पुरुष के साथ मलद्वार अथवा गुदा द्वार के साथ सम्भोग करना लौंडेबाजी या गुदा मैथुन (sodomy) कहलाता है। इस अपराध को धारा ३७७ (भारतीय दण्ड संहिता) के अंतर्गत रखा गया है इस अपराध को सबिओत करने के लिए ये साबित करना आवश्यक है की लिंग का प्रवेश गुदा द्वार से हुआ था। लिंग के गुदा द्वार मे प्रवेश करने के प्रयास पे धारा 511 लगायी जाती है जिसके तहत अपराधी को कुछ वर्षो के कारावास से लेकर आजीवन कारावस तक, जुरमाना अथवा दोनों किये जा सक्य्ते है। निष्क्रिय माध्यम (पुरुष जिसके साथ भी ये अपराध हुआ हो ) द्वारा दि गयी सहमति भी मानय नहीं होती अर्थात सहमती देना कोई मायने नहीं रखता है। इसके अलवा अगर निष्क्रिय माध्यम ने सहमती दि है तो ये अपराध दोनों पर लागु होगा और निष्क्रिय माध्यम भी इस अपराध मे भागीदार माना जायेगा। अगर निष्क्रिय माध्यम कोई 18 साल से छोटा बच्चा हो तो आरोपी पर POCSO एक्ट Protection of Children from Sexual Offences Act( लैंगिक अपराधो से बालको का सरंक्षण अधिनियम) के तहत भी मुकदमा चलता है जिसके तहत सजा की अवधि 7 वर्ष से कम नही हो सकती परन्तु आजीवन कारावास मे बदल सकती है तथा अपराधी को सजा के साथ उचित जुरमाना भी लगाया जाता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

समलैंगिकता

धारा ३७७ (भारतीय दण्ड संहिता)