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राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला

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सी-एनएम ५ एक पाँच सीटों वाला विमान

राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला एन ए एल भारत की दूसरी सबसे बड़ी एयरोस्पेस कंपनी है। यह वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा १९५९ मे दिल्ली में स्थापित किया गया था और इसका मुख्यालय १९६० में बंगलौर ले जाया गया। यह फर्म एचएएल, डीआरडीओ और इसरो के साथ मिलकर काम करती है और असैनिक विमानों के विकास के लिये जिम्मेदार है। एनएएल एक उच्च प्रौद्योगिकी उन्मुख संस्था है जो एयरोस्पेस और संबंधित उन्नत विषयों पर ध्यान केंद्रित करती है।

यह मूल रूप से राष्ट्रीय वैमानिकी प्रयोगशाला के रूप में शुरू किया था और बाद मे नाम बदलकर राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला कर दिया गया जो इसकी भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में भागीदारी, अपने बहुविधा गतिविधियों और ग्लोबल पोजीशनिंग क्षेत्र मे अनुसंधान को प्रतिबिंबित करती है।

यह भारत की अकेली असैनिक एयरोस्पेस प्रयोगशाला है जिसकी उच्च स्तरीय क्षमता और उसके वैज्ञानिकों की विशेषज्ञता को विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है। एनएएल मे १३०० कर्मचारी है जिसमे ३५० पूर्ण रूप से अनुसंधान और विकास के लिये है। एनएएल नीलकंठन पवन सुरंग केन्द्र और एक कम्प्यूटरीकृत थकान परीक्षण जैसी सुविधाओ से सुसज्जित है। एनएएल मे एयरोस्पेस विफलताओं और दुर्घटनाओं की जांच के लिए सुविधाएं हैं।

चालू परियोजनाएं

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आर टी ए ७० (भारतीय क्षेत्रीय जेट)

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वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने एनएएल को एक ऐसे हवाई जहाज को डिजाइन करने के लिये ३०० करोड़ रुपये (७५ करोड़ डॉलर) की मंजूरी दी है जो कम दूरी की उड़ानों पर ७० यात्रियों को ले जा सकता हो और् भारतीय आकाश में फ्रेंको इतालवी विमान निर्माता एटीआर से प्रतिस्पर्धा कर सके। परियोजना का नाम आर टी ए ७० होगा। पहला प्रोटोटाइप एक 70 सीटों विमान होगा। यह विमानो का परिवार है जिसमे तीन संस्करण है - एक ७० सीटों वाले, एक ५० सीटों वाले और एक विस्तारित ९० सीटों वाले संस्करण होगा जिसमे शक्ति के स्रोत के लिए टर्बोप्रोप और टर्बोफैन दोनो का विकल्प होगा।[1]

  • एचएएल हंस - एक पुर्ण समग्र, हल्का प्रशिक्षक विमान
  • एचएएल सारस - एक हल्का, बहुभूमिका, १४ सीटों वाला परिवहन विमान
  • एचएएल एनएम ५ - पांच सीटों वाला विमान

सन्दर्भ

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  1. "एयरोस्पेस प्रयोगशाला द्वारा ९० सीटों वाले विमान का विकास". मूल से 9 फ़रवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जनवरी 2011.

बाहरी कडिया

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