राजेन्द्र चोल प्रथम
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राजेन्द्र चोल प्रथम | |
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प्रकेशरी, युद्धमल्ल, मुम्मुदि गंगैकोण्डा चोल | |
शासनावधि | 1014–1044 CE[1] |
पूर्ववर्ती | राजराजा चोल |
उत्तरवर्ती | राजाधिराज चोल प्रथम |
जन्म | अज्ञात |
निधन | 1044 CE |
संगिनी | Tribhuvana Mahadeviyar Pancavan Madeviyar Viramadevi |
संतान | Rajadhiraja Chola I Rajendra Chola II Virarajendra Chola Arulmolinangayar Ammangadevi |
राजवंश | चोल राजवंश |
पिता | राजराजा चोल |
धर्म | हिन्दू, शैव |
राजेन्द्र प्रथम (1012 ई. - 1044 ई.) चोल राजवंश का सबसे महान शासक था। उसने अपनी महान विजयों द्वारा चोल साम्राज्य का विस्तार कर उसे दक्षिण भारत का सर्व शक्तिशाली साम्राज्य बनाया। उसने 'गंगई कोंड' की उपाधि धारण की तथा गंगई कोंड चोलपुरम नामक नगर की स्थापना की। वहीं पर उसने चोल गंगम नामक एक विशाल सरोवर का भी निर्माण किया।
उपलब्धियां
[संपादित करें]सिंघल की विजय : संपूर्ण सिंघल पर अपना अधिकार कर लिया और सिंघल नरेश महेंद्र पंचम को बंदी बना कर चोल राज्य भेज दिया और जँहा 12 वर्ष बाद उसकी मृत्यु हो गयी ।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Sen, Sailendra (2013). A Textbook of Medieval Indian History. Primus Books. पपृ॰ 46–49. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9-38060-734-4.