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माध्यमिक एवं सुलभ अधिनियम, 1996

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माध्यस्थ्म, एवं सुलह अधिनिय्म 1996 का मुख्य उद्देश्य ‘’ विदेशी माध्यश्थम पंचाटो और अन्तर्राशट्रीय वाणिज़िय्क माध्य्थम मे. देशी माध्य्श्थम से सम्बनिधत विधि को समेकित और संशोधित करना तथा सुलह और उससे सम्बनिध्त मामलो के लिए या उसके आनुशंगिक विषय से सम्बंधित विधि को परिभाषित करना है दुसरे शब्दौ मे हम कह सक्ते हे कि माध्यस्थम तथा सुलह अधिनियम, 1996 को भारतीय संसद दारा पारित करने के मुख्य- मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हे ---  विदेशी माध्य्सथम विधी पंचाटो को भारत मे लागु करना तथा विदेशी माध्यस्थम पंचटो को भारत मे मान्य्ता देना,  देशी माध्य्सथम, विधी को अन्तर्रौषटीय माध्यस्थम विधी मे समिम्लित करना तथा उसके लिय यदि सशोधन की आव्श्य्क्यता हो तो देशी माध्यस्थम विधी मे उसके अनुरुप सशोध्न करना,  सुलह तथा उससे सम्बनिध्त विष्यो को परिभाषित करना|| समर्णीय है कि भारत ने भी अन्य कई देशो के साथ-साथ अन्तर्राष्टीय आदश्श्र विधि को अपनाया हे ज़ो अ अंनतर्राश्टीय व्यापार से सम्बनिध्त विवादो को माध्यसथम तथा सुलह के ज़रिये सुलझाने के लिय सयुक्त राश्ट्र्य सग्र के व्यापरिक विधी पर आयोग दारा तेयार की गई थी फ्ल्सरुप भारत मे माध्यस्थम तथा सुलह के क्षेत्र मे अन्तर्राशटीय भाईचारा शामिल हुआ|