भयारा

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भयारा गाँव व्यवसाय यातायत के साधन शिक्षा मस्जिद जमींदारी

भयारा गाँव

भयारा गाँव भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बाराबंकी जिले में स्थित है। ये गाँव बाराबंकी मुख्य शहर से २० किलोमीटर दूर स्थित है और राजधानी लखनऊ से लगभग ४३ किलोमीटर दूर है। विधानसभा क्षेत्र जैदपुर का यह गाँव एक १२ गाँव की पंचायत के रूप में जाना जाता है। ये ब्लाक मसौली का एक गाँव है जिसका थाना जहांगीराबाद एवं तहसील नवाबगंज है| गाँव में ही एक पोस्ट ऑफिस भी है जिसका पिनकोड २२५२०४ है। भयारा पंचायत १२ गाँव का एक संग्रह है जिसमे भयारा, खैरातीपुर, निबहा, लोहरवा, कटहली, रुस्तमपुर, बांसभारी, चंदना, सखमदा, कटरा, चपरी आदि गाँव शामिल हैं। गाँव में एक पंचायत घर है। और इसी पंचायत घर में आर्याव्रत ग्रामीण बैंक है।

व्यवसाय

गाँव का मुख्य व्यवसाय खेती पर निर्भर है। यहाँ पर मुख्य रूप से धन, गेहूं, पिपरमिंट, सरसों आदि की खेती की जाती है। गाँव की मुस्लिम आबादी मुख्यरूप से आम की खेती पर निर्भर हैं । गाँव मे किदवई लोगों के आम के बहुत बड़े बड़े बड़े बाग हैं। और इन बागों की संख्या अधिक होने के कारण इनके नाम भी रखे गए हैं जो बड़े बाग हैं उनमे नौ लखा, रौज़ा और चौदहा बाग प्रमुख हैं। गाँव में हफ्ते का एक बाजार भी बुधवार को लगता है।

यातायत के साधन

यातायात के साधन के लिए त्रिलोकपुर गाँव से बस भयारा होते हुए बाराबंकी जाती है। ये दिन में ३ बार मिलती बाकि टाइम टैक्सी मसौली तक मिलती है उसके बाद गोंडा रोड से बसे मिल जाती हैं।


शिक्षा

शिक्षा के लिए गाँव में एक मदरसा है और कटहली गाँव में एक प्राथमिक विद्यालय और एक माध्यमिक विद्यालय है इसके अलावा चंदना गाँव में एक प्राथमिक विद्यालय है। साथ ही गाँव और कई सरे गैर सरकारी विद्यालय भी हैं| उच्च शिक्षा के लिए ५ किलोमीटर दूर रफ़ी मेमोरिअल इंटर कॉलेज भी है। और बाराबंकी में डिग्री कॉलेज है।

मस्जिद

गाँव में दो मस्जिद हैं जिसमे एक बड़ी मस्जिद के नाम से जनि जाती है और दूसरी छोटी मस्जिद के नाम से, छोटी मस्जिद जोकि मदरसे के करीब ही स्थिति है और वहां जुमे की नमाज़ को छोड़कर बाकि सारी नमाजे होती हैं। बड़ी मस्जिद जोकि अलीम किदवई के घर के पीछे स्थिति वहां सारी नमाजों के साथ ही जुमे की नमाज भी होती है ये मस्जिद काफी खूबसूरत बनवाई गयी है। इसके अलावा गाँव का एक ईदगाह भी है जो चंदना गाँव के पास स्थित है और यहाँ ईद उल फ़ित्र और ईद उल अजहा की नमाज़ अदा की जाती है।

जमींदारी

गाँव पहले ज़मींदारों के हाथ में था। यहाँ के मुख्य ज़मीनदार रऊफ किदवई, जुबेर किदवई, उस्मान किदवई और उनके परिवार के लोग थे। इसके अलावा एक और परिवार था जोकि आरिफ किदवई के परिवार के नाम से जाना जाता था लेकिन ज़मींदारी प्रथा समाप्त होने के बाद धीरे धीरे इनके परिवार का वर्चस्व भी समाप्त हो गया। वैसे तो इन परिवारों की इज्जत आज भी गाँव के लोग करते हैं। जैसे जैसे इनका वर्चस्व कम होता गया या इनके परिवारों के बच्चों की पढाई की बात आने लगी तो इनमे से ज्यादा तर लोगों ने अपना गाँव छोड़कर शहर में बस गए। अब गाँव में सिर्फ अलीम किदवई, फारान किदवई, उसामा किदवई और आरिफ किदवई के परिवार में सिर्फ सईद किदवई ही गाँव में रहते हैं और अपने ज़मीन और बागों की देखभाल करते हैं। इसके अलावा यासिर अराफात किदवई उर्फ़ अर्फू किदवई भी कभी कभी अपने गाँव आ जाते हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]