बेगार
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मूल्य चुकाए बिना श्रम कराने की प्रथा को बेगार कहते हैं। इसमें श्रमिकों की इच्छा के बिना काम लिया जाता है। सामंती, साम्राज्यवादी और अफ़सरशाही प्रायः समाज के कमज़ोर लोगों से बेगार करवाती है। ब्रिटिशकालीन भारत में तो यह आम बात थी। किंतु स्वतंत्र भारत में भी इस तरह की घटनाओं का सर्वथा अभाव नहीं है। यह प्रथा अंगरेजों के खिलाफ आम जनता के असंतोष की एक बड़ी वजह थी।