प्रेरण भट्ठी
प्रेरण भट्ठियाँ (Induction furnaces), प्रेरण (electromagnetic induction) के सिद्धांत पर कार्य करती है। परिणामित्र की भाँति, इसमें भी दो अंशक (coil) होते हैं, प्राथमिक और द्वितीयक। प्राथमिक में वोल्टता आरोपित होने पर द्वितीयक में वोल्टता प्रेरित हो जाती है। यदि द्वितीयक का लघु परिपथन कर दिया जाए, तो प्रतिरोध कम होने पर उसमें अत्यधिक धारा प्रवाहित हो जाती है। इसी सिद्धांत पर इस भट्ठी में भी प्राथमिक कुंडली को संभरण (supply) से संबद्ध कर दिया जाता है और द्वितीयक में जो स्वयं धान के रूप में होती है, अत्यधिक धारा प्रेरित हो जाती है, जिससे थान पिघल जाता है।
इस भट्ठी में भी ऊष्मा सीधे धान में ही उत्पन्न होती है और इसलिए उसका अधिकतम सीधे धान में ही उत्पन्न होती है और इसलिए उसका अधिकतम उपभोग होना संभव है। परंतु इन भट्ठियों में केवल वही धातु पिघलाई जा सकती है जो चार्ज के रूप में लघुपरिपथित द्वितीयक बन सके। इन भट्ठियों में किसी वस्तु के विशिष्ट भाग को सापेक्षतया अधिक गरम कर सकना भी संभव है। इस प्रकार ये गियर (gear) को दृढ़ (harden) करने के उपयोग में तथा ऊष्मा उपचार (heat treatment) के लिए बहुत प्रयोग की जाती है। इन भट्ठियों को, सामान्यत:, उच्च आवृत्ति (high frequency) संभरण से संभरित किया जाता है, जिससे अधिक ऊष्मा उत्पन्न हो सके। 10,000 साइकिल प्रति सेकंड की आवृत्ति का प्रयोग सामान्य है, जो साधारणतया इलेक्ट्रॉनिकी युक्तियों (electronic devices) द्वारा प्राप्त की जाती है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- "How Induction Furnace Are Making It Hot For The Axis" , November 1943, Popular Science detailed article on the basics with numerous illustrations