पूरब से उत्पन्न पश्चिमी सभ्यता
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चित्र:Easter Origins Western Civ Cover.jpg | |
लेखक | John M. Hobson |
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भाषा | अंग्रेजी |
विषय | विश्व इतिहास |
प्रकाशक | कैंब्रिज युनिवर्सिटी प्रेस |
प्रकाशन तिथि | 5 July 2004 |
प्रकाशन स्थान | युनाइटेड किंगडम |
मीडिया प्रकार | Print (Hardback & Paperback) |
पृष्ठ | 392 |
आई.एस.बी.एन | 0-521-54724-5 |
पूरब से उत्पन्न पश्चिमी सभ्यता (The Eastern Origins of Western Civilisation), जॉन एम हॉब्सन द्वारा सन २००४ में लिखित पुस्तक है जिसमें इस ऐतिहासिक सिद्धान्त के विरुद्ध तर्क दिया गया है कि पश्चिम का उदय सन १४९२ के बाद 'कुँवारी माँ' से हुआ। [1] इस पुस्तक में यह दर्शाने का सफल प्रयत्न किया गया है कि पश्चिमी का उदय वस्तुतः उसके पूर्वी देशों के साथ अन्तःक्रिया (interactions) के कारण हुआ जो पश्चिम की तुलना में सामाजिक एवं प्रौद्योगिकीय दृष्टि से अधिक उन्नत थे।
मुख्य विचार
[संपादित करें]- यूरोप की उन्नति प्रदान करने वाले अनेक आविष्कार चीन में हुए थे।
- यूरोप के लोगों ने साम्राज्यवाद की मदद से पूर्वी देशों के भूमि, श्रम, बाजार आदि संसाधनों का दुरुपयोग किया।
- यूरोपीय शक्तियों ने विश्व व्यापार का सृजन नहीं किया (जैसा कहा जाता है), बल्कि हलचल से भरे भारतीय तथा चीनी बाजारों में पैठ बनाने के लिये अमेरिकी चाँदी का उपयोग किया।
- यह कहना कि मुक्त व्यापार, तर्कपूर्ण शासन तथा लोकतन्त्र के परिणामस्वरूप यूरोपीय वर्चस्व स्थापित हुआ - यह एक 'देशभक्तिपूर्ण मिथक' है। सही बात तो यह है कि यूरोपीय शक्तियों ने व्यापार के अधिकार बल द्वारा प्राप्त किये और ब्रिटेन की 'औद्योगिक क्रांति' कठोर नियंत्रण के परिणामस्वरूप हुई थी।
- यूरोप के सांस्कृतिक आन्दोलन तथा विचार भी तभी सम्भव हुए जब वे बाहरी दुनिया (विशेषकर, पूर्वी दुनिया) के सम्पर्क में आये।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Hobson, John M. (5 July 2004). The Eastern Origins of Western Civilisation. Cambridge University Press. पपृ॰ 11, 102, 296. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-521-54724-5. मूल से 27 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जनवरी 2017.