गोलघर
गोलघर | |
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गोलघर | |
सामान्य विवरण | |
वास्तुकला शैली | स्तूप |
स्थान | पटना, बिहार, भारत |
निर्देशांक | निर्देशांक: 25°37′13″N 85°08′22″E / 25.6203374°N 85.1394483°E |
निर्माण सम्पन्न | 20 जुलाई 1786 |
स्वामित्व | बिहार सरकार |
ऊँचाई | 29 मीटर |
प्राविधिक विवरण | |
व्यास | 125 मीटर (लगभग) |
योजना एवं निर्माण | |
वास्तुकार | कप्तान जॉन गार्स्टिन |
गोलघर, बिहार प्रांत की राजधानी पटना में गाँधी मैदान के पश्चिम में स्थित है। 1770 में आई भयंकर सूखे के दौरान लगभग एक करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हुए थे। तब के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई थी, ब्रिटिश इंजिनियर कप्तान जॉन गार्स्टिन ने अनाज़ के (ब्रिटिश फौज के लिए) भंडारण के लिए इस गोल ढाँचे का निर्माण 20 जनवरी 1784 को शुरु करवाया था। इसका निर्माण कार्य ब्रिटिश राज में 20 जुलाई 1786 को संपन्न हुआ था। इसमें एक साथ 140000 टन अनाज़ रखा जा सकता है।
इसका आकार 125 मीटर और ऊँचाई 29 मीटर है। इसमें कोई स्तंभ नहीं है और इसकी दीवारें आधार में 3.6 मीटर मोटी हैं। गोलघर के शिखर पर लगभग तीन मीटर तक ईंट की जगह पत्थरों का प्रयोग किया गया है। गोलघर के शीर्ष पर दो फीट 7 इंच व्यास का छिद्र अनाज डालने के लिये छोड़ा गया था, जिसे बाद में भर दिया गया। 145 सीढियों के सहारे आप इसके उपरी सिरे पर जा सकते हैं जहाँ से शहर का एक बड़ा हिस्सा देखा जा सकता है और गंगा के मनोहारी दृश्य को यहाँ से निहारा जा सकता है। पटना शहर की सबसे अच्छी और मनमोहन दृश्य गोलघर हैं । इसके ऊपर चढ़ने पर मनोहारी गंगा का दृश्य दिखता है । और इस गोलघर पर से अधिकांश पटना दिखता है लेकिन अब इस पर चढ़ने की इजाजत किसी को नहीं दिया जा रहा है
गोलघर के निर्माण का काम कप्तान जॉन गार्स्टिन को सौंपा गया था। इसका निर्माण कार्य 20 जनवरी 1784 को शुरू हुआ था। ब्रिटिश राज में 20 जुलाई 1786 को इसका निर्माण पूरा हुआ। इसमें एक साथ 1,40,000 टन अनाज रखा जा सकता है।
गंगा नदी के किनारे बसे बिहार की राजधानी पटना कई ऐतिहासिक स्मारकों, धरोहरों और विरासत स्थलों का स्थल रहा है। ऐसी ही एक ऐतिहासिक धरोहर पटना में गांधी मैदान के पश्चिम में गोलघर है। गोलघर का निर्माण कार्य वर्ष 1786 में पूरा हुआ था. जिसके बाद से लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।[1]
राज्य संरक्षित स्मारक
[संपादित करें]गोलघर को 1989 में राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया।
लोकप्रिय संस्कृति में
[संपादित करें]गोलघर को 2019 की हिंदी फिल्म इंडियाज मोस्ट वांटेड में दिखाया गया था।[2]
स्थापत्य कला
[संपादित करें]स्थापत्य का अदभुत नमुना है गोलघर। इसके निर्माण में कहीं भी स्तंभ नहीं है। गुम्बदाकार आकृति के कारण इसकी तुलना 1627-55 में बने मोहम्मद आदिल शाह के मकबरे से की जाती है। गोलघर के अंदर एक आवाज 27-32 बार प्रतिध्वनित होती है। यह अपने आप में अद्वितीय है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "पटना का गोलघर हुआ 236 साल का". प्रभात खबर. 20 जुलाई 2022.
- ↑ "Patna an ideal place for film shoot, says Arjun".
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