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गुमान मिश्र

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गुमान मिश्र संस्कृत और हिन्दी भाषा तथा साहित्यशास्त्र के पंडित थे।

ये सांडी (जिला हरदोई, उत्तर प्रदेश) के निवासी थे और सं० १८०६ वि० में वर्तमान थे। अपना परिचय देते हुए कवि ने स्वयं लिखा है कि वह मिश्र ब्राह्मण और सबसुख मिश्र का शिष्य है। कुछ समय तक ये दिल्ली में मुहम्मदशाह सम्राट् (१७१९-१७४८ ई०) के यहाँ राजा जुगुलकिशोर भट्ट के पास रहे। फिर पिहानी के मुहमदी महराज अकबर अली खाँ के यहाँ गए थे। उन्हीं की प्रेरणा से इन्होंने हर्षकृत संस्कृत ग्रंथ 'नैषध' को 'काव्यकलानिधि' नाम से हिंदी में भाषांतरित किया। इसका भाषांतरण काल सं० १८०५ वि० है। इस अनुवाद का प्रकाशन श्री वेंकटेश्वर प्रेस से हो गया है जो काफी अशुद्ध है। खोज रिपोर्टो में इसके अतिरिक्त इनकी दो और कृतियाँ कही गई हैं- अलंकार दर्पण और गुलाल चंद्रोदय। इनमें प्रथम का निर्माणकाल सं० १८१८ और दूसरे का सं० १८१९ वि० है। 'अलंकारदर्पण' का वर्ण्यविषय अलंकारों का वर्णन करना। श् 'गुलालचंद्रोदय' की रचना बिसवाँ (जिला सीतापुर) के तालुकेदार के आश्रय में हुई थी। 'नैषध' के अनुवाद को कवि ने नाना छंदों के करके सफल बनाने की चेष्टा की हैं, किंतु उसमें उसे पूर्ण सफलता नहीं मिल सकी है। काव्य चमत्कार की ओर कवि का स्वाभाविक रुझान था, यह इस अनुवाद से स्पष्ट ज्ञात होता है। कवि की रचनाओं से उसकी काव्य-कला-मर्मज्ञता तथा उसके अभिव्यंजन कौशल का अच्छा परिचय मिलता है।

सन्दर्भ ग्रंथ

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  • रामनरेश त्रिपाठी : कविता कौमुदी, भाग० १.
  • मिश्रबंधु: मिश्रबंधु विनोद,
  • खोज विवरण, सन् १९०५ (प्रकाशन, नागरीप्रचारिणी सभा, काशी)।