सामग्री पर जाएँ

गणितीय संकेतन

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
गणितीय संकेतन खंड का इतिहास (१९२८)

गणितयीय संकेतन (Mathematical Notations) वे चिन्ह अथवा संकेत हैं जो किसी गणितीय क्रिया अथवा संबंध को व्यक्त करने में, किसी गणितयी राशि की प्रकृति अथवा गुण को दर्शाने में, अथवागणित में प्राय: प्रयुक्त होनेवाले वाक्यांश, विशिष्ट संख्या या गणितीय राशि को निर्दिष्ट करने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। इस प्रकार अ + ब में धन का चिन्ह निर्दिष्ट करता है कि अ में ब जोड़ना है; अ < ब में असमता का चिन्ह (<) अ का ब से छोटा होने का संबंध दर्शाता है; फ (य) में, संकेत यह सूचित करता है कि फलन फ (य) एकरूप वर्धमान फलन (Monotonic increasing function) है।

गणितीय संकेतन की सहायता से गणित के तर्क संक्षिप्त रूप से लिखे जा सकते हैं और इस प्रकार यह गणितीय चिंतन में सहायक है। पाठक सूक्ष्म और तर्कसंगत भाषा की सहायता से जटिल संबंधों को सरलता से समझ सकता है। मध्ययुगीन शताब्दियों में संकेतन के यथेष्ट विकास के अभाव में गणित की प्रगति अवरु द्ध हो गई थी। १६ वीं शताब्दी के अंत में प्रारंभिक बीजगणित का शुद्ध सांकेतिक रूप में विकास होने के पश्चात ही १७वीं शताब्दी में गणित की कुछ विशिष्ट शाखाओं की उन्नति हो सकी।

प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों में विभिन्न संकेत तथा संश्लेषण मिलते हैं, किंतु समय के साथ उन सब में परिवर्तन हुए और वे अनेक रूपांतर के पश्चात वर्तमान रूप में आए। व्यावहारिक संकेतन की उन्नति बहुत धीरे-धीरे हुई और वे ही संकेत प्रयुक्त होते रह सके जो संक्षिप्त थे, गणितीय सिद्धांतों के प्रयोगानुकूल पाए गए और सरलता से मुद्रित किए जा सके। कभी कभी किसी संकेत का दीर्घकालीन प्रचलन भी उसके ग्रहण किए जाने का कारण हुआ है, यद्यपि उसके स्थान पर अधिक उपयोगी संकेत का प्रचार हो चुका था, जैसे करणी सचिन्ह का, जो अधिक लचीले भिन्नात्मक घातांक के होते हुए अब भी उपयोग किया जाता है :

प्रारंभिक बीजगणित के धन (+) तथा ऋण (-) चिन्ह सबसे पूर्व सन्‌ १४८९ में मुद्रित हुए थे और गुणन तथा भाग के चिन्ह सबसे पहले क्रमश: सन्‌ १६३१ और १६५९ में प्रकाशित हुए थे। समता का चिन्ह रॉबर्ट रिकार्डे (Robert Ricarde) ने सन्‌ १५५७ में प्रचलित किया था।


संख्याएं

[संपादित करें]
इन***्हें भी देखिये
[संपादित करें]

संदर्भ ग्रंथ

[संपादित करें]
  • फ्लोरियन केजोरी : हिस्ट्री ऑव मैथिमैटिकल नोटेशंस, २ भाग (१९२८, २९);
  • वीरा सैनफोर्ड : शॉर्ट हिस्ट्री ऑव मैथिमैटिक्स (१९३०);
  • एरिक टेंपुल बेल : डेवलपमेंट ऑव मैथिमैटिक्स (१९४०)

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]