क़लाह
क़लाख़्, क़लाह या क़ला – प्राचीन असीरिया अथवा असुर देश का नगर जो मोसुल से लगभग 19 मील दक्षिण दजला और उपरली ज़ाब नदियों के संगम पर कभी बसा था। असुरों की प्राचीन राजधानी 'असुर' और पश्चात्कालीन राजधानी निनेवे के बीच की सदियों में क़ला उनकी राजधानी रहा। संभवत: इसका निर्माण 1395 ई.पू. में हुआ था और जब राजधानी बदलकर राजनीतिक कारणों से निनेवे चली गई तब भी क़ला (क़लाख़्) का महत्व बना रहा क्योंकि वही नगर असुर सैन्य शक्ति का सर्वदा केंद्र रहा। असुरों के साम्राज्य में जितने भी ऐसे सैनिक षड्यंत्र हुए जिनका संबंध असूर देश से था, सब इसी क़ला में रचे गए।
पिछली खुदाइयों में क़लाख़् के विविध राजाओं द्वारा निर्मित अनेक राजप्रासादों के खंडहर मिले हैं। इन खंडहरों की शिल्पकला प्राचीन सभ्यता में मूर्धन्य है। लंदन के ब्रिटिश म्यूज़ियम में रखे पंखधारी विशाल सिंह क़लाख़् से ही प्राप्त हुए थे। पंखधारी सिंह और वृषभ, असुर राजाओं के महलों के द्वार पर, द्वारपालों के जोड़े की तरह, प्रतिष्ठित होते थे। क़लाख़् संभवत: सभ्यता का प्राचीनतम नगर था जिसके चारों ओर परकोटा खिंचा था। इसी गढ़नुमा रूप के कारण अरबी में 'किला' शब्द का दुर्ग के अर्थ में प्रयोग हुआ जो मध्यपूर्व के सभी देशों और पाकिस्तान, भारत आदि में इसी अर्थ में रूढ़ हो गया है। पिछले युगों की क़ाहिरा की प्रसिद्ध मस्जिद अल्-किला का नाम इसी नगर के नाम पर पड़ा है। पहले भारत और अब पाकिस्तान का 'क़लात' भी इस नगर से, 'संज्ञा' की दृष्टि से, संबंधित है। ईरानी शब्द 'क़लई', जिसका उपयोग भारत में भी सामान्य रूप से होता है, इसी नगर के नाम से संबंधित है। ईरानियों ने असुरों और उनसे राजधानी क़ला (क़लाख्) का पराभव करके भी बहुत कुछ उनसे सीखा था और उनसे वे असाधारण प्रभावित हुए थे। असुरों का अपने अभिलेखों में यह दावा करना कि राष्ट्रों द्वारा हमारे शिल्पियों के लिए इतनी माँग आ रही है कि हम उसे पूरा नहीं कर सकते–क़ला की खुदाइयों में मिली अगणित शिल्प सामग्री से बहुश: प्रमाणित है। भारतीय वास्तु और तक्षण साहित्य में मय असुर का नाम शिल्पाचार्यो के रूप में प्रस्तुत और स्वीकृत हुआ।
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- Citadel Documentation Project[मृत कड़ियाँ] lfgm.fsv.cvut.cz
- High Commission for Erbil Citadel Revitalization erbilcitadel.org
- Research of the citadel at Arbil, Iraqi Kurdistan kar.zcu.cz