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अन्नपुर्णा देवी

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माता अन्नपुर्णा देवी[संपादित करें]

माता अन्नपुर्णा देवी, सर्व जीव जगत के अन्न (भोजन) पूर्ति की संरक्षिका और प्रदाता हैं |

माता के व्रत-अनुष्ठान से धन-धान्य तथा संतान-सुख की प्राप्ति तो होती है, उस प्राणी को अन्नकष्ट सहन नहीं करना पड़ता है।

श्री अन्नपुर्णास्तोत्रं

नित्यानंदकरी वराभयकरी सौंदर्य रत्नाकरी, निर्धुता-$खिल घोर पावनकरी प्रत्यक्ष माहेश्वरी |

प्रालेयाचल वंश पावनकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताअन्नपूर्णेश्वरी ||

नानारत्न विचित्र भूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी, मुक्ताहार-विलंबमान-विलसद वक्षोज-कुम्भान्तरी |

काश्मीरा-$गुरु-वासिता रूचिकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताअन्नपूर्णेश्वरी ||

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थ-निष्ठाकरी, चंद्रार्कानल भासमान लहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी |

सर्वैश्वर्य-समस्त-वांछितकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताअन्नपूर्णेश्वरी ||

कैलाशाचल कन्दरालयकरी गौरी उमा शंकरी, कौमारी निगमार्थ-गोचरकरी ओंकार बीजाक्षरी |

मोक्षद्वार कपाट पाटनकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताअन्नपूर्णेश्वरी ||

दृश्या-$दृश्य-प्रभूतवाहनकरी ब्रह्माण्डभांडोदरी, लीलानाटक-सूत्रभेदनकरी विज्ञान दीपान्कुरी |

श्री विश्वेशमन: प्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताअन्नपूर्णेश्वरी ||

उर्वी सर्वजनेश्वरी भगवती माताअन्नपूर्णेश्वरी, वेणी-नील-समान कुंतलहरी नित्यान्न दानेश्वरी |

सर्वानन्दकरी दृशां शुभकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताअन्नपूर्णेश्वरी ||

आदिक्षान्त-समस्त-वर्णनकरी शम्भोस्त्रि भावाकरी, काश्मीरा त्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्यान्कुरा शर्वरी |

कामाकांक्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताअन्नपूर्णेश्वरी ||

देवी सर्व-विचित्र-रत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी, वामस्वादु-पयोधर-प्रियकरी सौभाग्य माहेश्वरी |

भक्ताभीष्टकरी दशाशुभकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताअन्नपूर्णेश्वरी ||

चन्द्रर्कानल-कोटिकोटि-सदृशा चंद्रान्शुबिम्बाधरी, चंद्रार्काग्नी समान कुंत लहरी चंद्रार्कवर्णेश्वरी |

माला-पुस्तक-पाश सान्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताअन्नपूर्णेश्वरी ||

क्षत्रत्राणकरी महा$भयकरी माता कृपासागरी, साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरी श्रीधरी |

दक्षाक्रंदकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी, भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी माताअन्नपूर्णेश्वरी ||

अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकर प्राण वल्लभे, ज्ञान वैराग्य सिद्यर्थ भिक्षां देहि च पार्वती |

माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वर:, बान्धवा: शिव भक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम ||