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अन्तस्त्वचा

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अन्तस्त्वचा भूमि पौधों में वल्कल की सबसे भीतरी स्तर है। इसमें नालाकर की कोशिकाओं को एकल सतह होती है। इन कोशिकाओं में अन्तःकोशिकीय स्थान नहीं होता। अन्तस्त्वचा की कोशिकाओं की स्पर्श रेखीय तथा अरीय भित्तियों पर कैस्पारीय पट्टियों के रूप में जल अपारगम्य, मोमी पदार्थ सुबेरिन होता है। अन्तस्वचा से भीतर की ओर मोटी भित्ति मृदूतकीय कोशिकाएँ होती हैं जिसे परिरम्भ कहते हैं। [1] अन्तस्त्वचा वल्कल और रम्भ के मध्य की सीमा है।

अन्तस्त्वचा संवहनीय तन्त्र में और बाहर जल, आयनों और हार्मोन के संचालन को नियन्त्रित करने में सहायक है। यह मण्ड को भी संग्रहीत कर सकता है, गुरुत्वाकर्षण की धारणा में शामिल हो सकता है और पौधे को संवहनीय तन्त में जाने वाले विषाक्त पदार्थों से बचा सकता है।

सन्दर्भ

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  1. Rost, Thomas L.; Michael Barbour; C. Ralph Stocking; Terence Murphy (2006). Plant Biology, 2nd Edition. Thompson, Brooks/Cole. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-534-38061-8.