सदस्य:Sonakshi nayar/प्रयोगपृष्ठ
मेरा नाम सोनाक्शी है। मै कालेज की छात्रा हू । मै चनाई की रह्ने वाली हू। मेरे पिताजी दफ्तर मे नौकरी करते है । मरी माता घर का ध्यान रखती है । मरी एक बडी बहन भी है । वह भी नौक्री कर रही है । मेरे खनदान मै तेरह सदस्य है । मेरी दो चाचा और उनकी बीवी बच्चे भी हमारे साथ रहते है । हमारा पऱीवार एक सुखी पऱीवार है । मे अपने पऱीवार से दूर यहा डाक्तर बनने के लीये आई हू। मै नाटक , कला , गीत , लेखन अदी मै दिलचस्पी रख्ती हू। मुझे गीत गाने मे दिलचस्पी है । मुझे नाटक मे भी बहुत दिलचस्पी है । मै छोटी उमर से ही कलाकार बनना चाहती थी । लेकिन मेरे पिताजी को सह बात समझ नही आती थी । इस लिए मैने नाट्क और गीत मै दिलचस्पी रखना छोड दीया । उसके बाद मैने बहुत महनत की और किताबो को अपना सबसे अछा मित्र बना लीया । आज मै यह बहुत निडर होकर कह साक्ती हु कि मै एक डिक्टर बनना चाहती हू । मेरे पिताजी बहुत खुश है इस बात को जानकर की मै लोगो की सेवा करना चाहती हू। और उनकी खुशी मै ही मेरी खुशी है । मै अपने माता , पिता से बहुत प्यार कर्ती हू। और अपने दादि दादा से भी । मेरे पिता की कही किसी बात को मै नही टाल सक्ती । मै उनको ही अपना गुरु मान्ती हू। मै गरीब लोगो के लिए एक अस्पताल बनाना चाहती हू। उनका इलाज मै मुफ्त मै करना चाहती हु। मै अपना जीवन लोगो की सेवा मे बिताना चाहती हू। अपने माता पिता और समाज की सेवा करके अपने जीवन को सफल बनाना चाहती हू।