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सदस्य:Rahul Vashishtha

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सोरों शूकरक्षेत्र भारत देश के उत्तर प्रदेेश में भागीरथी गङ्गा के तट पर बसा कासगंज जनपद का एक अतिप्राचीन तीर्थस्थल है, जो विष्णु के तृतीयावतार भगवान वराह की मोक्षभूमि एवम् श्रीरामचरितमानस के रचनाकार महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी व अष्टछाप के जड़िया कवि नन्ददास जी की जन्मभूमि है। यह भूमि अनेकों ऋषि-मुनियों, देवताओं की तपस्थली तथा राजा-महाराजाओं की आश्रयस्थली रही है। यहाँ स्थित कुण्ड में मृतकों की अस्थि विसर्जन करने का विशेष माहात्म्य है। यहाँ विसर्जित की हुईं अस्थियाँ तीन दिन के अन्त में रेणु रूप धारण कर लेती हैं। आदित्यतीर्थ, वैवस्वततीर्थ, सोमतीर्थ, योगतीर्थ, चक्रतीर्थ, रूपतीर्थ, शाखोटकतीर्थ, गृद्धवट (जिसके नीचे वराह-पृथ्वी सम्वाद हुआ था) आदि यहाँ के प्रमुख तीर्थ हैं। यहाँ भगवान वराह का विशाल मन्दिर है। महाप्रभु वल्लभाचार्य जी की २३ वीं बैठक यहाँ स्थापित है।