सदस्य:Lokendra Mani Mishra

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भोजपुरी के शेक्सपीयर भिखारी ठाकुर

भिखारी ठाकुर खलिहा एगो नाम नइखे बल्कि भोजपुरिया संस्कृति आ समाज के के नींव के ईंटा बा, ऊ ईंटा जवना के ना रहला पर दीवाल के कल्पना नइखे कईल जा सकत। भोजपुरी के पहिचान भिखारी ठाकुर से बा बिदेसिया से बा सुंदरी प्यारी के विलाप से बा बारहमासा से बा आजकल के फूहर पातर गीतन से नइखे। भिखारी ठाकुर के हर रचना में एगो ग़ज़ब के खिंचाव बा अगर एक बार पढ़ल शुरू कइनी त रुक ना सकेनी। आज भिखारी ठाकुर जी के श्रद्धांजलि के रूप में हमरा ओर से कुछ पंक्ति --

पति के वियोग में दुखारी भईल कलकत्ता में दूल्हा जुआरी भईल। सुंदरी के त मन बहुते भारी भईल बिदेसी के दोसरा से यारी भईल।

कलकत्ता के रंग में रंगईले बिदेसी सुंदरी प्यारी के भुलि गईले बिदेसी। चिट्ठी पाँति ना एक्को पठईले बिदेसी कलकत्ते में अब घर बसईले बिदेसी।

बटोही बटोही खबर ले के अइहs हमरा दूल्हा के साथे तूं घर ले के अइहs। बटोही समाचार जा के सुनावें बिदेसी के दुल्हिन के हालत बतावें ई सुनिके बिदेसी घरे अपना अइलें रहता में डाकू से बाबू लुटइले।

कलकत्ता वाली कलकत्ता से अईलस बिदेसी की संघे ओहि घर में रहलस बिदेसिया के महिमा ना हमसे कहाई हम जेतना कहब ओतना बाँचल रहि जाई।

भिखारी के रचना भिखारी के भाषा कबहुँ इमिरती आ कबहुँ बताशा बेरोजगारन के मन के हताशा बंगाल के जइसे जादू तमाशा।

कहाँ ले कहब हम कहाँ ले लिखब हम की औकात से हमरा बाहर भिखारी भोजपुरी भाषा के समृद्ध वन में एक्के गो राजा बा नाहर भिखारी।


जय भोजपुरी ~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

  देवरिया