सदस्य:Aayushman Aggarwal

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मेरा जन्म बिहार के पट्ना जिला मे २ सितम्बर १९९७ को हुआ था। जब मैं ३ साल का था, तब हि मेरा विद्यालय मे दाखिला हो गया था। १५ साल की उम्र में मैनें अपना मैट्रिक दिया। दसवीं कक्षा मैं मैनें ५८% प्रतिशत प्राप्त कीया। इतने अच्छे अंक आने के बाद मैं कोची के सबसे अच्छे विद्यालय में दाखिला लिया जिसका नाम मार थोमा पब्लिक स्कूल है। उस विद्यालय् में 2 साल की पढाई के बाद २०१५ में पदवी पूर्व परीक्षा देकर 93% अंक से पास हुआ। इसके बाद क्राइस्त कालेज में मैने दाखिला लिया। 
 
    मेरा सबसे पसंदीदा खेल फुट्बोल और क्रिकेट है। मैं बिलियाड्स का भी खिलाडी हूँ। मेरे पिताजी एक व्यवसायी हे। उन्होने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया है। उन्होने मुझे कठिनाइयों भरा जीवन दिखाया और मुझे अनुशासित तरीके से पालन-पोशण् किया। इसिलिये आज मैं भी अनुशासित हूँ और हर काम अनुशासन से करता हूँ। मैं भी अपने पिताजी की तरह एक संघर्ष व्यवसायी बना चाहाता हूँ।
 इसके अलावा मै अपने विद्यालय के फूट्बोल टीम का भी सदस्य रेह चूका हूं। मैं अक्शय कुमार का प्रशन्सक हूं। ज्यादातर उसीके चलचित्र देखता हूं। इसके अलावा मुझे किताबें पढ्नें का शौक है। मैने डैन ब्राउन की सारी किताबें पढी हैं। इसके अलावा मैं सुबह सुबह व्यायाम भी करता हूं जिससे मैं तरो ताज़ा हो जाता हूं। मुझ में आलस्य बिलकुल भी नहीं है, हर काम पलक झपकते कर लेता हूं। कुल मिलाकर इन सारी चीज़ों का शौकीन हूं मैं। भाग दौड में मैं अब कमज़ोर हो गया हूं। बोर्ड्स परीक्शा के कारण मेरा फूट्बोल खेलना कम हो गया जिस्के कारण मैं दौड नहीं पाता अब। ज़्यादा देर तक मैं अकेला नहीं बैठ सकता। ये मेरी कमियाँ हैं। 
 लक्ष्यहीन जीवन हमे कही नहीं ले जाता है। तो, एक आदमी अपने जीवन के उद्देश्य को ठीक करना चाहिए । उन्होंने कहा कि इसे साकार करने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन वह एक मजबूत दृढ़ संकल्प है, तो वह सफलता हासिल करना होगा। मेरा उद्देश्य मानवता की सेवा के लिए है पवित्र पुस्तक मानवता की सेवा करने के लिए बार-बार हमें हिदायत। हमारी पवित्र पैगंबर मौखिक रूप से हमें निर्देश दिया गया है न केवल लेकिन व्यावहारिक रूप से मानवता की सेवा के महत्व को हमें दिखाया है । उनकी पवित्र जीवन वह उनकी जरूरतों को पूरा करने और उन्हें करने के लिए एक छोटी सी खुशी लाने के लिए दूसरों को सुख देने के लिए अपने सुख , अपनी जरूरतों और उसका लाभ बलिदान किया था , जहां इस तरह की घटनाओं से भरा है।
  
 मैं एक सकरात्मक इन्सान हूँँ। हमेशा सकरात्मिक रूप से सोचता हूँ। मेरे पिताजी ने अपने आशावादी विचारों से मेरे मुघ्द मन को भर दिया है। मैने कभी भी हार नहीं माना। हमेशा दूसरों का भला चाहा। किसी से दुशमनी भी नहीं की। हमेशा ईमानदारी से काम किया।
 आगे जाकर मेरा लक्ष्य यही है कि मैं एक बहुत बडा व्यापारी बनूँ। अपने पिताजी का नाम रोशन करूँ। अपने माता पिता कि सेवा करना मैं अपना परमोधर्म मानता हूं। अपने परिवार को बिना किसी कठिनाई के रख्नना मेरे जीवन का उद्देश्य है साथ हीं साथ हम जानते हैं कि मानवता हमारे हिस्से पर एक बलिदान है सेवा करने के लिए नहीं सोचना चाहिए। समाज सेवा न केवल दयालुता का कार्य है, बल्कि यह एक सामाजिक दायित्व है, एक धार्मिक कर्तव्य और ऋण के भुगतान के लिए है। दूसरों के लिए पर्याप्त हैं करने के लिए समाज सेवा के लिए अवसर अच्छा करने के लिए।