सदस्य:કાર્તિક

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भारतीय सैन्य व्यवस्था विश्व की श्रेष्ठतम व्यवस्थाओं में से एक है जिसमें सीमित संसाधनों के द्वारा भी विजय प्राप्त करने की क्षमता विद्यमान है ऐसे अनेकों अवसर आये जब भारतीय सैनिकों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपनी देशभक्ति का अदभुत परिचय दिया ।

धन्य है इस देश की वे माताएं जिन्होनें ऐसे वीर सपूतों को जन्म दिया । जिन्होने युवास्था में ही अपनी जिन्दगी देश के लिए न्यौछावर कर अपनी देश भक्ति की मिशाल पेश की । भारत चीन युद्ध हो या फिर भारत पाक युद्ध, कारगिल युद्ध हो या सीमा पार से छदम युद्ध ।

सभी में भारतीय सैनिकों ने बहादुरी की मिशाल पेश की । वो भी सीमित संसाधनों के द्वारा । जिससे भारतीय सेना को विश्व की श्रेष्ठतम सेना का दर्जा प्राप्त होता है । संसाधनों की यदि बात की जाये और यूरोप के देशों की सेना तो दूर पुलिस से भी भारतीय सेना के संसाधनों की तुलना की जाए तो हमारी जांबाज सेना के पास अत्याधुनिक संसाधनों का अभाव है ।

लेकिन संसाधनों के अभाव के बाद भी भारतीय सेना विश्व की किसी भी सेना से मुकाबला करने में श्रेष्ठ है जो केवल भारतीय सेना के अदभुत साहस के बल पर ही सम्भव है । यह सब सम्भव है उनके धैर्य पर भी जो अपने घर-परिवार से दूर देश की सीमा पर दिन-रात एक कर डटे हुए हैं और उफ तक नहीं करते ।

यह भारतीय सेना के अनुशासन की मिशाल है । इस देश के नीतिकारों को इस गम्भीर विषय पर विचार कर भारतीय सैनिकों की पीड़ा को समझना चाहिए कि घर-परिवार से दूर रहना कितना पीड़ादायक होता है । इस गम्भीर समस्या के समाधान हेतु कोई ठोस कदम उठाना चाहिए ताकि भारतीय सैनिकों को घर-परिवार से दूर रहने की पीड़ा न झेलनी पड़े । भारतीय सैनिक ही देश के सच्चे सेवक व देशभक्त हैं जो सैकड़ो कष्ट उठाकर इस देश को सुरक्षित रखते हैं ।

वे सुरक्षित रखते हैं इस देश के नीतिकारों को, वे सुरक्षित रखते हैं देश के मान-सम्मान को, वे सुरक्षित रखते हैं इस देश की मर्यादा को, वे सुरक्षित रखते हैं इस देश के नागरिकों को, वे सुरक्षित रखते हैं इस देश की युवा शक्ति को, वे सुरक्षित रखते हैं इस देश के बुद्धिजीवियों को, लेकिन उक्त सब लोग इसके बदले मे इस देश के सैनिकों को क्या देते हैं ।

कभी किसी ने विचार किया ही नही, ये सब लोग देश के सैनिक परिवारों तक को सुरक्षित नहीं रख पाते । एक तो वो सैनिक जो इस समस्त देश को सुरक्षित रखते हैं और दूसरी ओर वो समस्त नागरिक जो इस देश की सीमा के अन्दर रहते हुए उन सैनिक परिवारों को भी सुरक्षित नहीं रखपाते जिनके जाबाज बहादुर सम्पूर्ण देश को सुरक्षित रखते हैं । यह व्यवस्था की कमी कही जा सकती है या फिर नागरिकों की इच्छा शक्ति की ।

यहां भारतीय व्यवस्था तो दोषी है ही जो आजादी के तिरेसठ वर्ष बाद भी भारतीय सैनिकों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध करने में असमर्थ रही है । जो असमर्थ रही है उनको ऐसी व्यवस्था करने में कि भारतीय सैनिकों को देश की सीमा, सीमा नहीं अपना घर परिवार दिखायी दे ।

प्रत्येक सैनिक को सीमा पर भी परिवार रखने की व्यवस्था हो जब भारतीय सैन्य अफसर प्रत्येक जगह अपने परिवार के साथ रह सकते हैं । तो भारतीय सैनिक क्यों नही ? आधुनिकता के इस युग में जब तकनीकी अपने उच्चतम शिखर पर है तब भी भारतीय सैनिक उच्च तकनीकी को मोहताज हैं और केवल अपने धैर्य और साहस के दम पर ही अपना कर्त्तव्य निभा रहे हैं ।

अन्यथा भारतीय सेना की तस्वीर ही कुछ और होती, जिसके लिए दोषी है भारतीय व्यवस्था जो अपने रक्षकों को पर्याप्त तकनीकी सुविधाओं तक मुहैया नहीं करा पा रही है । इसके अलावा जो सुविधाएं भारतीय सैनिकों के परिवारों को मिलनी चाहिए जिससे उन सैनिक परिवारों को अपने आप को नागरिक परिवारों से अलग होने का एहसास हो सके ।

वे मूलभूत सुविधाएं भी सैनिक परिवारों को नसीब नहीं हो पा रही है जिसका परिणाम यह है कि वर्तमान समय में कुछ अपवादों को यदि छोड़ दिया जाए तो कोई भी युवा सेना में भर्ती होने में रूचि नहीं ले रहा है यही कारण है कि वर्तमान समय में सेना में हजारों अफसरों व लाखों सैनिकों की कमी चल रही है ।

जिसके पीछे निजी क्षेत्र की चकाचौंध भरी जिन्दगी, अच्छा वेतन पैकेज भी युवाओं को सेना में भर्ती होने से रोक रहा है । आधुनिकता की इस दौड़ में युवा देश प्रेम का पाठ भूलकर धन प्रेम का पाठ पढ़ रहे हैं । तभी तो युवाओं का झुकाव सेना में भर्ती होने में नहीं है ।

अगर यही स्थिति रही तो सेना में अफसरों व सैनिकों की भारी कमी होगी । जिसके लिए कुछ हद तक दोषी है भारतीय व्यवस्था जो सेना के प्रति युवाओं को आकर्षित करने में असफल रही है योग्य और प्रतिभाशाली युवाओं का झुकाव सेना के प्रति न होकर निजी क्षेत्र की चकाचौंध की ओर है एक तो आकर्षक वेतन पैकेज दूसरा भौतिक सुख सुविधाएं जो भारतीय युवाओं को सेना में जाने से रोक रही हैं ।

यदि भारतीय नीतिकार इस गम्भीर विषय पर चिंतन करें तो निश्चित ही उनको समस्या का समाधान मिल जायेगा । जब भारतीय युवाओं को सेना व निजी क्षेत्र की सुख सुविधाओं में कोई अन्तर दिखाई नही देगा और वे सेना के महत्व को समझेंगे ।

साथ ही भारतीय सैनिकों को समाज व देश में विशिष्ट दर्जा प्राप्त होगा तो निश्चित ही भारतीय युवाओं के दृष्टिकोण में बदलाव आयेगा और भारतीय युवाओं का भारतीय सेना में भर्ती के विषय में दृष्टिकोण में बदलाव ही भारतीय सेना के महत्व को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा ।

भारतीय सेना विश्व की श्रेष्ठतम सेनाओं में से एक है और इस श्रेष्ठता को हमें बताने की आवश्यकता नहीं हैं क्योंकि जब-जब भारतीय सेना को अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने का अवसर मिला है उसने संसाधनों की कमी या आधुनिक हथियारों की कमी या वेतन की कमी का रोना रोये बिना अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की, जो इस बात को प्रमाणित करती है कि भारतीय सेना विपरीत परिस्थतियों में भी जंग जीतने में सक्षम है ऐसे अनेकों अवसर आये है ।