यह पृष्ठ एक विश्वज्ञानकोष का निबन्ध नहीं है। यदि आपको यह पृष्ठ विकिपीडिया से किसी अन्य जालपृष्ठ पर दिख रहा है, तो आप एक प्रतिबिंबित पृष्ठ पर हैं। यह सदस्य पृष्ठ असुधारी हो सकता है, और जिस सदस्य का यह पृष्ठ है उसका विकिपीडिया से किसी अन्य जालपृष्ठ के साथ व्यक्तिगत संबद्धता नहीं है। वास्तविक पृष्ठ यहाँ है।
Wikimedia Foundation
जयदीप कर्णिक, हिन्दी संपादक
“
हम अरण्यरोदन कब तक करेंगे? हमें झूठे आशावाद से बचकर हिन्दी भाषा के लिए कुछ कठोर कदम उठाने होंगे। एक समय था जब अखबार पढ़कर भाषा सीखी जाती थी, जबकि आज के दौर में भाषा बिगड़ न जाए इसलिए हम बच्चों को अखबार पढ़ने से मना करते हैं। उदाहरण के लिए 'घट रही है पेड़ों की पापुलेशन', यह हमें कहाँ ले जाएगा।
”
अजहर हाशमी, हिन्दी संपादक
“
देश स्वाधीन है परंतु वैचारिक और मानसिक दृष्टि से हम आज भी दास हैं। इसी कारण हिन्दी को 'कू़ड़े-करकट का ढेर' और अंग्रेज़ी को 'अमृत-सागर' समझने की हमारी मान्यता आज भी नहीं बदली है। हिन्दी भाषा को, अब अंग्रेज़ी से नहीं, भारतीयों से भय है।