"संधि शोथ": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
No edit summary
टैग: Manual revert
गठिया रोग या जोड़ो का दर्द
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''गठिया रोग या जोड़ो का दर्द''' -- ( '''https://www.myupchaars.com/2020/02/arthritis.html'''{{Infobox Disease |
{{Infobox Disease |
Name = संधिशोथ |
Name = संधिशोथ |
Image = Arthrite rhumatoide.jpg|
Image = Arthrite rhumatoide.jpg|
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
MeshID = D001168 |
MeshID = D001168 |
}}
}}
'''गठिया रोग या जोड़ो का दर्द''' गठिया रोग बढ़ती उम्र में ज्यादा होता है ,क्या होता है की ये बीमारी 40 आयु वाले वर्ग से लेकर उसके ऊपर तक का होता है ! एक्सपर्ट का कहना है की हमारे पैरों में घुटने के ऊपरी हिस्शे को फीमर और निचली हिस्शे को टिबिया होता है इन दोनों के बीच कार्टिलेज होता हैं कार्टिलेज बढाती उम्र और हमारे शरीर का वजन अधिक होने से जब भी हम बैठते या कोई काम करते है तो सीधा प्रभाव हमारे पैरों के जोड़ो पर पड़ता है जिससे हमारा कार्टिलेज रगड़ खाता हैं और घिस जाता और वहां पर सूजन आ जाती है जिससे हमे चलने और कुछ काम करने में बहुत जाता समस्या होती है इसी को गठिया रोग कहते हैं !

'''संधि शोथ''' यानि "जोड़ों में दर्द" ([[लैटिन]], [[जर्मन]], [[अंग्रेज़ी]]: Arthritis / आर्थ्राइटिस) के रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को '''गठिया''' भी कहते हैं।
'''संधि शोथ''' यानि "जोड़ों में दर्द" ([[लैटिन]], [[जर्मन]], [[अंग्रेज़ी]]: Arthritis / आर्थ्राइटिस) के रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को '''गठिया''' भी कहते हैं।



02:53, 28 जुलाई 2020 का अवतरण

गठिया रोग या जोड़ो का दर्द -- ( https://www.myupchaars.com/2020/02/arthritis.html

संधिशोथ
वर्गीकरण व बाहरी संसाधन
संधिवात रोगी हाथ
अन्य नाम आर्थ्राइटिस, गठिया, संधिवात
आईसीडी-१० M00.-M25.
आईसीडी- 710-719
रोग डाटाबेस 15237
मेडलाइन+ 001243
ई-मेडिसिन topic list
एमईएसएच D001168

गठिया रोग या जोड़ो का दर्द गठिया रोग बढ़ती उम्र में ज्यादा होता है ,क्या होता है की ये बीमारी 40 आयु वाले वर्ग से लेकर उसके ऊपर तक का होता है ! एक्सपर्ट का कहना है की हमारे पैरों में घुटने के ऊपरी हिस्शे को फीमर और निचली हिस्शे को टिबिया होता है इन दोनों के बीच कार्टिलेज होता हैं कार्टिलेज बढाती उम्र और हमारे शरीर का वजन अधिक होने से जब भी हम बैठते या कोई काम करते है तो सीधा प्रभाव हमारे पैरों के जोड़ो पर पड़ता है जिससे हमारा कार्टिलेज रगड़ खाता हैं और घिस जाता और वहां पर सूजन आ जाती है जिससे हमे चलने और कुछ काम करने में बहुत जाता समस्या होती है इसी को गठिया रोग कहते हैं !

संधि शोथ यानि "जोड़ों में दर्द" (लैटिन, जर्मन, अंग्रेज़ी: Arthritis / आर्थ्राइटिस) के रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया भी कहते हैं।

संधिशोथ सौ से भी अधिक प्रकार के होते हैं। अस्थिसंधिशोथ (osteoarthritis) इनमें सबसे व्यापक है। अन्य प्रकार के संधिशोथ हैं - आमवातिक संधिशोथ या 'रुमेटी संधिशोथ' (rheumatoid arthritis), सोरियासिस संधिशोथ (psoriatic arthritis)।

संधिशोथ में रोगी को आक्रांत संधि में असह्य पीड़ा होती है, नाड़ी की गति तीव्र हो जाती है, ज्वर होता है, वेगानुसार संधिशूल में भी परिवर्तन होता रहता है। इसकी उग्रावस्था में रोगी एक ही आसन पर स्थित रहता है, स्थानपरिवर्तन तथा आक्रांत भाग को छूने में भी बहुत कष्ट का अनुभव होता है। यदि सामयिक उपचार न हुआ, तो रोगी खंज-लुंज होकर रह जाता है। संधिशोथ प्राय: उन व्यक्तियों में अधिक होता है जिनमें रोगरोधी क्षमता बहुत कम होती है। स्त्री और पुरुष दोनों को ही समान रूप से यह रोग आक्रांत करता है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया वात) के कारण

बीमारी का कारण ढंग से ज्ञात नहीं है हालाँकि कुछ कारणों पे संदेह किया जा सकता है जो कि रिसर्च द्वारा पता किया गया है जो कि सूझन होने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पदार्थ जो पूर्व-शोथ कार्य करते हैं और प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा जारी किए जाते हैं, वे संयुक्त के भीतर उपास्थि करते हैं और हड्डी में सूझन पैदा करते हैं अथवा नुकसान पहुंचाते हैं।[1]

प्रकार

संधिशोथ दो प्रकार के होते हैं :

  • (1) तीव्र संक्रामक (acute infective) संधिशोथ,
  • (2) जीर्ण संक्रामक (chronic infective) संधिशोथ

तीव्र संक्रामक संधिशोथ

किसी भी तीव्र संक्रमण के समय यह शोथ हो सकता है। निम्नलिखित प्रकार के संक्रामक संधिशोथ अधिक व्यापक हैं :

  • (क) तीव्र आमवातिक (rheumatic) संधिशोथ,
  • (ख) तीव्र स्ट्रेप्टोकॉकेल (streptococcal) संधिशोथ,
  • (ग) तीव्र स्टैफिलोकॉकेल (staphylococcal) संधिशोथ,
  • (घ) गॉनोकॉकेल (gonococcal) संधिशोथ,
  • (ङ) लोहित ज्वर (scarlet fever), प्रवाहिका (dysentry) अथवा टाइफाइड युक्त संधिशोथ तथा
  • (च) सीरमरोग (serum sickness)।

जीर्ण संक्रामक संधिशोथ

यह शोथ प्राय: शरीर के अनेक अंगों पर होता है। पाइरिया (pyorrhoca), जीर्ण उंडुक शोथ (appendicitis), जीर्ण पित्ताशय शोथ (cholecystitis), जीर्ण वायुकोटर शोथ (sinusitis), जीर्ण टांसिल शोथ (tonsillitis), जीर्ण ग्रसनी शोथ (pharyngitis) इत्यादि।

आर्थराइटिस के लक्षण

  • जोड़ों में दर्द या नरमी (दर्द या दबाव) जिसमें चलते समय, कुर्सी से उठते समय, लिखते समय, टाइप करते समय, किसी वस्तु को पकड़ते समय, सब्जियां काटते समय आदि जैसे हिलने डुलने की क्रियाओं में स्थिति काफी बिगड़ जाती है।
  • शोथ जो जोड़ों के सूजन, अकड़न, लाल हो जाने और/या गर्मी से दिखाई पड़ता है।
  • विशेषकर सुबह-सुबह अकड़न
  • जोड़ों के लचीलेपन में कमी
  • जोड़ों को ज्यादा हिला डुला नहीं सकना
  • जोड़ों की विकृति
  • जोड़ो के आस-पास गर्माहट महसूस होना।
  • जोड़ का सीमित उपयोग। [2]
  • वजन घटना और थकान
  • अविशिष्ट बुखार
  • खड़-खड़ाना (चलने पर संधि शोथ वाले जोड़ों की आवाज)

संधि शोथ का उपचार तथा प्रबन्धन

संधिशोथ के कारणों को दूर करने तथा संधि की स्थानीय अवस्था ठीक करने के लिए चिकित्सा की जाती है। इनके अतिरिक्त रोगी के लिए पूर्ण शारीरिक और मानसिक विश्राम, पौष्टिक आहार का सेवन, धूप सेवन, हलकी मालिश तथा भौतिक चिकित्सा करना अत्यंत आवश्यक है।

  • संधि शोथ (आर्थराइटिस) की बीमारी की विवेकपूर्ण प्रबंधन और प्रभावी उपचार से अच्छी तरह जीवन-यापन किया जा सकता है।
  • रक्त परीक्षण और एक्स-रे की सहायता से संधि शोथ (आर्थराइटिस) की देखरेख की जा सकती है।
  • डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवाइयां नियमित रूप से लें।
  • शारीरिक वजन पर नियंत्रण रखें।
  • स्वास्थ्यप्रद भोजन करें।
  • डॉक्टर द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार नियमित व्यायाम करें।
  • नियमित व्यायाम करें तथा तनाव मुक्त रहने की तकनीक अपनाएं, समुचित विश्राम करें, अपने कार्यों को योजनाबद्ध तरीके से पूरा करके तनाव से मुक्त रहें।
  • औषधियों के प्रयोग में अनुपूरक रूप में योग तथा अन्य वैकल्पिक रोग के उपचारों को वैज्ञानिक तरीके से लिपिबद्ध किया गया है।

व्यायाम

पैरों की हड्डीओं को सही संरेखण (एलाइनमेंट) में रखने के लिए और उन पर पड़ने वाले वजन को कम करने के लिए मजबूत मांसपेशियों की आवश्यकता होती है। मजबूत मांसपेशियां व्यायाम के द्वारा बनाई जा सकती है। सप्ताह में कम से कम ३ बार व्यायाम जरूरी है। 

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "रूमेटाइड आर्थराइटिस (गठिया वात) के कारण". ashadidi.com. मूल से 29 मई 2019 को पुरालेखित.
  2. www.logintohealth.com/blog/hi/Arthritis.

बाहरी कड़ियाँ