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'''फाइबर''' अनाज, फल पत्तेदार सब्जी, रोटी, फलियों, दालों व खाद्य वस्तुओं के उस हिस्से को कहते हैं, जो बिना पचे व अवशोषित हुए ही आंत के द्वारा बाहर निकल जाता है। ये भोजन के आवश्यक तत्त्व हैं और इनके कारण पेट व आंत की सफाई भी आसानी से हो जाती है। ये पदार्थ आँत में चिपके नहीं हैं और इनके प्रयोग से कई तरह की दूसरी पाचन संबंधी गंभीर समस्याएँ भी दूर होती हैं। पेट की खराबी व कब्ज में आंत की अन्दरूनी सतह क्षतिग्रस्त हो जाती है व छोटी-छोटी थैलियाँ सी बन जाती हैं। रेशायुक्त भोजन करने से मल मुलायम होकर आसानी से बाहर निकल जाता है, इस तरह फाइबर की अधिक मात्रा आँत के आसपास पड़ने वाले दबाव को रोकने में मदद करती है। रेशेदार पदार्थ बवासीर व पाइल्स से भी बचाते हैं, पेट में गैस बनने पर नियंत्रण रहता है, भोजन का पाचन ठीक से होता है और शरीर को ऊर्जा मिलती है, इसलिए रेशेदार पदार्थ भोजन में जरूरी होते हैं।
'''फाइबर''' अनाज, फल पत्तेदार सब्जी, रोटी, फलियों, दालों व खाद्य वस्तुओं के उस हिस्से को कहते हैं, जो बिना पचे व अवशोषित हुए ही आंत के द्वारा बाहर निकल जाता है। ये भोजन के आवश्यक तत्त्व हैं और इनके कारण पेट व आंत की सफाई भी आसानी से हो जाती है। ये पदार्थ आँत में चिपकते नहीं हैं और इनके प्रयोग से कई तरह की दूसरी पाचन संबंधी गंभीर समस्याएँ भी दूर होती हैं। पेट की खराबी व कब्ज में आंत की अन्दरूनी सतह क्षतिग्रस्त हो जाती है व छोटी-छोटी थैलियाँ सी बन जाती हैं। रेशायुक्त भोजन करने से मल मुलायम होकर आसानी से बाहर निकल जाता है, इस तरह फाइबर की अधिक मात्रा आँत के आसपास पड़ने वाले दबाव को रोकने में मदद करती है। रेशेदार पदार्थ बवासीर व पाइल्स से भी बचाते हैं, पेट में गैस बनने पर नियंत्रण रहता है, भोजन का पाचन ठीक से होता है और शरीर को ऊर्जा मिलती है, इसलिए रेशेदार पदार्थ भोजन में जरूरी होते हैं।


[[श्रेणी:पोषण]]
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04:20, 4 फ़रवरी 2020 का अवतरण


फाइबर अनाज, फल पत्तेदार सब्जी, रोटी, फलियों, दालों व खाद्य वस्तुओं के उस हिस्से को कहते हैं, जो बिना पचे व अवशोषित हुए ही आंत के द्वारा बाहर निकल जाता है। ये भोजन के आवश्यक तत्त्व हैं और इनके कारण पेट व आंत की सफाई भी आसानी से हो जाती है। ये पदार्थ आँत में चिपकते नहीं हैं और इनके प्रयोग से कई तरह की दूसरी पाचन संबंधी गंभीर समस्याएँ भी दूर होती हैं। पेट की खराबी व कब्ज में आंत की अन्दरूनी सतह क्षतिग्रस्त हो जाती है व छोटी-छोटी थैलियाँ सी बन जाती हैं। रेशायुक्त भोजन करने से मल मुलायम होकर आसानी से बाहर निकल जाता है, इस तरह फाइबर की अधिक मात्रा आँत के आसपास पड़ने वाले दबाव को रोकने में मदद करती है। रेशेदार पदार्थ बवासीर व पाइल्स से भी बचाते हैं, पेट में गैस बनने पर नियंत्रण रहता है, भोजन का पाचन ठीक से होता है और शरीर को ऊर्जा मिलती है, इसलिए रेशेदार पदार्थ भोजन में जरूरी होते हैं।