"नायकी देवी": अवतरणों में अंतर

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'''नायकी देवी''' [[चालुक्य वंश]] की महारानी थी, जिसने ११७८ ई. में [[मोहम्मद ग़ोरी]] को परास्त किया था. इस युद्ध में घोरी जान बचा कर भागने में जरुर सफल रहा लेकिन भय के कारण अपने जीवन में कभी गुजरात की ओर रुख नहीं कर पाया.
'''नायकी देवी''' [[चालुक्य वंश]] की महारानी थी, जिसने ११७८ ई. में [[मोहम्मद ग़ोरी]] को परास्त किया था।


== जीवन ==
== जीवन ==
नायकी देवी कंदब (आज के [[गोवा]]) के महामंडलेश्वर पर्मांडी की पुत्री थी. इनका विवाह गुजराज के महाराजा [[अजयपाल]] से हुआ था. अजयपाल [[सिद्धराज जयसिंह]] के पौत्र तथा [[कुमारपाल]] के पुत्र थे. अंगरक्षक द्वारा ११७६ अजयपाल की हत्या के बाद राज्य की बागडोर महारानी नायकी देवी के हाथ में आ गई थी, क्योंकि तब उनके पुत्र मूलराज बाल्य अवस्था में थे.
वीरांगना नायकी देवी कंदब (आज के [[गोवा]]) के महामंडलेश्वर पर्मांडी की पुत्री थी. इनका विवाह गुजराज के महाराजा [[अजयपाल]] से हुआ था. अजयपाल [[सिद्धराज जयसिंह]] के पौत्र तथा [[कुमारपाल]] के पुत्र थे. अंगरक्षक द्वारा ११७६ अजयपाल की हत्या के बाद राज्य की बागडोर महारानी नायकी देवी के हाथ में आ गई थी, क्योंकि तब उनके पुत्र मूलराज बाल्य अवस्था में थे.


== युद्ध ==
== युद्ध ==

09:56, 4 जून 2018 का अवतरण

नायकी देवी चालुक्य वंश की महारानी थी, जिसने ११७८ ई. में मोहम्मद ग़ोरी को परास्त किया था।

जीवन

वीरांगना नायकी देवी कंदब (आज के गोवा) के महामंडलेश्वर पर्मांडी की पुत्री थी. इनका विवाह गुजराज के महाराजा अजयपाल से हुआ था. अजयपाल सिद्धराज जयसिंह के पौत्र तथा कुमारपाल के पुत्र थे. अंगरक्षक द्वारा ११७६ अजयपाल की हत्या के बाद राज्य की बागडोर महारानी नायकी देवी के हाथ में आ गई थी, क्योंकि तब उनके पुत्र मूलराज बाल्य अवस्था में थे.

युद्ध

मोहम्मद ग़ोरी को जब पता चला कि गुजरात पर एक विधवा रानी का शासन है तो उसने गुजरात पर आक्रमण कर दिया. पूर्व सूचना के आधार पर नायाकि देवी की सेना ने गुजरात की राजधानी पाटण से दूर आबू पर्वत की तलहटी में कयादरा के निकट पहुँच कर घोरी से युद्ध किया. इस युद्ध में घोरी बुरी तरह से घायल हुआ और उसे प्राण बचा कर भागना पड़ा. इसके बाद घोरी ने कभी गुजरात की ओर मुड़ कर नहीं देखा.