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'''सोमदेव''' (अनुमानतः ग्यारहवीं शताब्दी)
सोमदेव के जीवन के बारे में कुछ भी पता नहीं है। उनके पिता का नाम 'राम' था। सम्भवतः १०६३ और १०८१ के मध्य उन्होने रानी सूर्यमती के चित्तविनोद के लिये उन्होने इस महाग्रन्थ की रचना की। सूर्यमती
सोमदेव शैव ब्राह्मण थे। तथापि [[बौद्ध धर्म]] के प्रति भी उनकी अगाध श्रद्धा थी। कथासरित्सागर के किसी-किसी कथा में इसी कारण बौद्ध प्रभाव परिलक्षित होता है।
== सन्दर्भ ==
* The Katha Sarit Sagara, or Ocean of the Streams of Story, Translated by C.H.Tawney, 1880
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