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यह् एक प्रमुख हिन्दी दैनिक समाचार पत्र है |
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==प्रारम्भ==
== प्रारम्भ ==
'''जनसत्ता''' इंडियन एक्सप्रेस समूह का हिन्दी अख़बार है. इसकी स्थापना इंडियन एक्सप्रेस, दिल्ली के संपादक प्रभाष जोशी ने की थी. १९८३ में शुरू हुए इस अखबार ने रातों रात सबको पीछे छोड़ दिया और इसके कई संस्करण निकले. उसके सम्पादक ओम थानवी हैं. जनसत्ता कोलकत्ता, चंडीगढ़ और रायपुर से भी निकलता है.
'''जनसत्ता''' इंडियन एक्सप्रेस समूह का हिन्दी अख़बार है. इसकी स्थापना इंडियन एक्सप्रेस, दिल्ली के संपादक प्रभाष जोशी ने की थी. १९८३ में शुरू हुए इस अखबार ने रातों रात सबको पीछे छोड़ दिया और इसके कई संस्करण निकले. उसके सम्पादक ओम थानवी हैं. जनसत्ता कोलकत्ता, चंडीगढ़ और रायपुर से भी निकलता है.


==प्रकाशन स्थल==
== प्रकाशन स्थल ==
जनसत्ता मुख्यालय दिल्ली से प्रकाशित होता है. प्रभाष जोशी के बाद इसके संपादक बने राहुल देव। राहुल देव के बाद अच्युतानंद मिश्र ने इसके संपादक का कार्यभार संभाला। लेकिन उन्हें ठीक से काम नहीं करने दिया गया। इसके पीछे प्रभाष जोशी की शह पर रामबहादुर राय समेत कई पत्रकारों ने अच्युताजी की राह में रोड़े अटकाए। हालांकि बाद में संपादक बने ओम थानवी ने प्रभाष जोशी के नजदीकी लोगों को ही निबटा दिया।
जनसत्ता मुख्यालय दिल्ली से प्रकाशित होता है. प्रभाष जोशी के बाद इसके संपादक बने राहुल देव। राहुल देव के बाद अच्युतानंद मिश्र ने इसके संपादक का कार्यभार संभाला। लेकिन उन्हें ठीक से काम नहीं करने दिया गया। इसके पीछे प्रभाष जोशी की शह पर रामबहादुर राय समेत कई पत्रकारों ने अच्युताजी की राह में रोड़े अटकाए। हालांकि बाद में संपादक बने ओम थानवी ने प्रभाष जोशी के नजदीकी लोगों को ही निबटा दिया।


==प्रमुख परिशिष्ट==
== प्रमुख परिशिष्ट ==
==बाहरी कडियाँ==
==बाहरी कडियाँ==
* {{Official|http://www.jansatta.com}}
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15:15, 14 फ़रवरी 2013 का अवतरण

यह् एक प्रमुख हिन्दी दैनिक समाचार पत्र है |

प्रारम्भ

जनसत्ता इंडियन एक्सप्रेस समूह का हिन्दी अख़बार है. इसकी स्थापना इंडियन एक्सप्रेस, दिल्ली के संपादक प्रभाष जोशी ने की थी. १९८३ में शुरू हुए इस अखबार ने रातों रात सबको पीछे छोड़ दिया और इसके कई संस्करण निकले. उसके सम्पादक ओम थानवी हैं. जनसत्ता कोलकत्ता, चंडीगढ़ और रायपुर से भी निकलता है.

प्रकाशन स्थल

जनसत्ता मुख्यालय दिल्ली से प्रकाशित होता है. प्रभाष जोशी के बाद इसके संपादक बने राहुल देव। राहुल देव के बाद अच्युतानंद मिश्र ने इसके संपादक का कार्यभार संभाला। लेकिन उन्हें ठीक से काम नहीं करने दिया गया। इसके पीछे प्रभाष जोशी की शह पर रामबहादुर राय समेत कई पत्रकारों ने अच्युताजी की राह में रोड़े अटकाए। हालांकि बाद में संपादक बने ओम थानवी ने प्रभाष जोशी के नजदीकी लोगों को ही निबटा दिया।

प्रमुख परिशिष्ट

बाहरी कडियाँ